माइनस 7 तापमान में सफल रहा ऑपरेशन दोस्त

तुर्किये से 10 दिन बाद लौटे एनडीआरएफ के जवान

  • ‘आपरेशन दोस्त’ खत्म, गाजियाबाद का बढ़ा मान
  • हिंडन एयरबेस से लेकर एनडीआरएफ बटालियान में हुआ स्वागम

गाजियाबाद। (सच कहूँ न्यूज) ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत तुर्किये गई एनडीआरएफ 8वीं बटालियन गाजियाबाद की टीम 10 दिन बाद भारत लौट आई है। तुर्किये के अदाना एयरपोर्ट से उड़े भारतीय वायुसेना के स्पेशल विमान सी-17 ग्लोब मास्टर ने शुक्रवार सुबह 9 बजे गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर लैंड किया। तुर्किये से रवानगी के वक्त अदाना एयरपोर्ट के स्टाफ ने तालियां बजाकर अपने जवानों को विदाई दी। एनडीआरएफ ने तुर्किये में अपना रेस्क्यू ऑपरेशन समाप्त कर दिया है, इसके बाद ही जवान लौटे हैं। इन जवानों ने तुर्किये में 18-18 घंटे काम किया था।

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एनडीआरएफ प्रवक्ता नरेश चौहान ने बताया कि 6, 7 और 8 फरवरी को एनडीआरएफ इंडिया की तीन बटालियनों की टीमें बचाव-राहत कार्य के लिए तुर्किये भेजी गई थीं। वहां इनका ऑपरेशन पूरा हो चुका है, जिसके बाद एनडीआरएफ टीमों ने लौटना शुरू कर दिया है। शुक्रवार सुबह 9 बजे पहली फ्लाइट से एनडीआरएफ गाजियाबाद के 51 जवान आ गए हैं। इन्होंने अपनी बटालियन में पहुंचकर आमद दर्ज करा दी है।

डिप्टी कमांडेट दीपक तलवार ने संभाली कमान

एनडीआएफ के डिप्टी कमांडेट दीपक तलवार ने 51 जवानों की कमान संभाली। विशेष बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि हमारा ‘ऑपरेशन दोस्त’ अभियान दस दिन तक चला। हमारी टीम ने तुर्किये के नौरदाग में 14 डिफाइेंट पर कार्य किया। जिसमें हम लोगों ने 27 शव मलबे में दबे हुए निकाले। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के दौरान काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। करीब -7 डिग्री तापमान में हम लोगों ने काम किया।

भाषा व बोलचाल को लेकर भी रही समस्या

डिप्टी कमांडेट दीपक तलवार ने बताया कि इस दौरान हम लोगों को भाषा समझने और अपनी भाषा वहां के लोगों को समझाने में भी समस्या का सामना करना पड़ा, लेकिन वहां ट्रांसलेटर और गुगल पर सर्च कर हमने इस समस्या का निराकरण करा, जिससे हमे काफी सफलता मिली।

30 मिनट में लगा लिया था टैंट, सुबह सात बजे शुरू कर दिया ऑपरेशन

डिप्टी कमांडेट दीपक तलवार ने बताया कि भारत से तुर्किये पहुंचने पर हम लोगों ने करीब 30 मिनट में अपना टैंट लगा लिया था, उसके बाद जवानों ने आराम किया और सुबह सात बजे से अपना आॅपरेशन भीषण ठंड के बीच शुरू किया, उन्होेंने बताया कि यह मेरा पहला मौका था इस तरह के आॅपरेशन करने का। इससे पहले बारवेले सहित अपने देश में कई आपरेशन मैने अंजाम दिए है।

पांच महिलाओं समेत 51 सदिस्य टीम में ये रहे शामिल

सैकेंड कमांडेट अदित्या प्रताप सिंह, डिप्टी कमांडेट दीपक तलवार, रविंद्र सिंह असवाल, डा. पंकज गौरव, विपिन प्रताप सिंह, आशीष पांडेय, अखिलेश प्रताप वर्मा, दलविंद्र सिंह, शिवानी, अमित सिंह, कपिल देव, रवि, संदीप तोमर, कृष्णपाल, मुकेश, नीरज, यशपाल, प्रेमचंद, कुलदीप, अंकुश, विश्वजीत, कंचन खम्पा, वेदप्रकाश, अनांद अरोरा, संदीप मावीक, संजय तोम, मोहित गिरी, नेत्रपाल, नीरज शुक्ला, केसराम, नर्शीमराव, जयेन्द्रपाल, प्रवेश, अनिरूद्ध, विकास, तेजसिंह, राकेश कुमार, अतुल सांगवान, रिंकु सिंह, शशिकांत, मांगेलाल, सचिन, राघवेन्द्र सिंह, अबदुल आलम, अरविंद कुमार, सुषमा यादव, राखी, अर्चना सिंह, प्रियंका, सुनील कुमार यादव, उज्जवल कांत पांडेय।

टीमों ने निकाले 83 शव, दो बच्चों की बचाई जान: प्रवीण कुमार तिवारी

एनडीआरएफ कमांडेट प्रवीण कुमार तिवारी ने बताया कि हमारे लिए बड़ी खुशी की बात है कि हमारी टीम विदेश में जाकर भी काम कर रही है। भारत से तीन टीम तुर्की पहुंची थी, जिसमें सबसे पहले गाजियाबाद की टीम फिर कलक्ता की टीम लौटी है, हम लोग हिंडन ऐयरबेस पर अपने जवानों का स्वागत कर रहे है, संभवत कल वारणसी की टीम भी लौट आएंगी, उन्होंने बताया कि तीनों टीमों में 51-51 जवान शामिल थे। एनडीआरएफ के जवानों ने तुर्किये में नूरदाग, हतय, गाजीअंटेप में मोर्चा संभाला। ये तीनों वे साइट थीं, जो भूकंप का प्रमुख केंद्र थीं।

यहीं पर सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।इन स्थानों से जवानों ने 83 शव निकाले और दो बच्चों को जिंदा बचाया। एनडीआएफ के जवान यहां से छह स्नीफर डॉग सहित ड्रिल उपकरण लेकर गए थे। मोटे-मोटे लिंटर काटने के लिए जवानों के पास अत्याधुनिक उपकरण मौजूद थे। इस वजह से वे 10 दिन के भीतर 83 शव निकाल पाए।

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