पानीपत (सन्नी कथूरिया)। देश में पिछले कई दशकों से ओलंपिक में पदकों का सूखा पड़ा हुआ था उसको पानीपत के नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीतकर हरा-भरा कर दिया। कल शाम से नीरज के गांव पानीपत के खंडरा में ढोल-नगाड़े बजाकर खुशी मनाई जा रही है। नीरज चोपड़ा के घर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। कल से ही प्रदेशभर के नेताओं के फोन और उनके घर पर आना अनवरत जारी है। गांव के युवाओं का कहना है कि नीरज ने गोल्ड मेडल हासिल कर अपने गांव का ही नहीं पूरे भारत देश का नाम रोशन किया है। जिस दिन हम सभी युवाओं को उस पर गर्व है। सच कहूँ से बातचीत करते हुए नीरज की बहन ने कहा, ‘ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर भाई ने राखी का तोहफा दे दिया है।
शुरुआत से ही सबसे आगे रहे
जैवलिन थ्रो के फाइनल में नीरज चोपड़ा शुरुआत से ही सबसे आगे रहे। उन्होंने अपनी पहली ही कोशिश में 87.03 मीटर की दूरी तय की है। वहीं दूसरी बार में उन्होंने 87.58 की दूरी तय करी। इसी के साथ उन्होंने अपने क्वालीफिकेशन रिकॉर्ड से भी ज्यादा दूर भाला फेंका। जैवलिन थ्रो में ये भारत का अब तक का सबसे पहला मेडल है। इतना ही नहीं एथलेटिक्स में भी ये भारत का पहला ही मेडल है।
चंडीगढ़ में ग्रहण की शिक्षा
गांव खंडरा निवासी नीरज का 24 दिसंबर 1997 को किसान परिवार जन्म हुआ। नीरज ने चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में पढ़ाई की। नीरज ने 2016 में पोलैंड में हुए आईएएएफ चैंपियनशिप में 86.48 मीटर दूर भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता था। उनके इस प्रदर्शन के बाद उन्हें सेना में नायब सूबेदार नियुक्त किया गया।
2019 मे हुआ ऑपरेशन
नीरज के परिजनों परिजनों ने सच कहूँ से बातचीत करते हुए कहा, 2019 में नीरज की कोहनी का आपरेशन हुआ था जिसके चलते नीरज कमजोर हो गए थे। कुछ समय के लिए खेल से दूर रहे सभी परिवार वालों को चिंता हो गई थी आगे खेल पाएंगे या नहीं।
अपने दम पर हुआ चयन
नीरज के कोच नसीम ने कहा कि 2011 में नीरज पंचकूला के देवी लाल स्टेडियम में आया था और उस समय यह सख्त निर्देश थे कि अकैडमी में उतने ही बच्चे हों जितनों का रिजल्ट अच्छा आ सके। तब मैंने चार पांच बच्चे सिलेक्ट किए जिसमें नीरज भी था। नीरज शुरू से ही अच्छा खिलाड़ी था और अपने दम पर सिलेक्ट हुआ था।
नीरज के नाम से जाना जाएगा खंडरा गांव
नीरज के दादा ने कहा कि आज मेरे पोते ने मेरी छाती गर्व से चोड़ी कर दी। नीरज ने अपने गांव का नाम ही नहीं पूरे देश का नाम रोशन किया है। नीरज के स्वागत में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी। पूरे ढोल धमाकों के साथ नीरज को उसके गांव में लाया जाएगा। अब हमारा गांव खंडरा देश में नीरज के नाम से जाना जाएगा।
गांव में नहीं पूरे देश में खुशी का माहौल
नीरज के पिता सतीश चोपड़ा का कहना है कि हमने कभी सोचा ही नहीं था कि हमारे परिवार का सदस्य एक दिन ओलिंपिक गोल्ड मेडल लाकर देश का नाम रोशन करेगा। नीरज की इस खुशी में गांव के लोग ही नहीं पूरे भारत के लोग खुशी मना रहे हैं। कल शाम से ही सोशल मीडिया, फोन करके और घरों में आकर बधाइयां दे रहे हैं।
राखी का तोहफा
नीरज की दो सगी बहनें है। वैसे परिवार में कुल 10 भाई-बहन है। जिसमें नीरज सबसे बड़ा है। नीरज की बहनों का कहना है कि राखी पर भाई ने बहुत ही कीमती तोहफा दिया है। 7 अगस्त के दिन को एक ऐतिहासिक दिन बना दिया है। हमें अपने भाई पर गर्व है। हमें अपने ऊपर यह मान है कि हम नीरज चोपड़ा की बहने हैं।
वजन कम करने के लिए भेजा जिम
चाचा भीम चोपड़ा ने बताया कि नीरज बचपन में बहुत हेल्दी था और उनका 12 साल की आयु में 80 किलो वजन था। वजन कम करने के लिए उन्हें पहले जिम ज्वाइन कराया गया। जिम जाते समय दूसरों को खेलते देख उन्हें भी खेलने की रुचि हुई और बाद में कोच के कहने पर उन्होंने जेवलिन थ्रो में अपने कैरियर की शुरुआत की।
सामाजिक व धार्मिक कार्यों में शामिल होते थे चोपड़ा
नीरज चोपड़ा खेल के साथ-साथ सामाजिक व धार्मिक कार्यक्रमों में भी शामिल होते थे। 2018 में शहर में हर रविवार राहगिरी का कार्यक्रम होता था उसमें भी नीरज बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे ।
घरौंडा विधायक ने नीरज के घर जाकर परिजनों को दी बधाई
घरौंडा विधायक हरविंद्र कल्याण ने गाँव खंडरा पहुंचकर नीरज के परिजनों को बधाई दी व शॉल ओढ़ाकर उनका सम्मान किया। उन्होंने कहा कि नीरज चोपड़ा ने जो कर दिखाया है उस पर आज पूरा देश गर्व कर रहा है। ग्रामीण परिवेश की धरती से निकलकर इस मुकाम को हासिल करना अपने आप में बेमिसाल है।
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