कैथल जिले का अनोखा गांव, यहां है सिर्फ तीन मतदाता

Kaithal News
Kaithal News: गांव में 12वी तक बना स्कूल और गांव के नाम का बोर्ड

गांव में बैंक, स्कूल, गौशाला, कृषि भूमि सब कुछ लेकिन मतदाता सिर्फ तीन

  • पूर्ण गांव का दर्जा मिलने के बावजूद कभी सरपंची का भी चुनाव नहीं हुआ।
  • 12वी तक का स्कूल लेकिन गांव का एक भी बच्चा नहीं पढ़ता

कैथल (सच कहूं/कुलदीप नैन)। Kaithal News: विधानसभा चुनाव नजदीक है और सभी पार्टियों के उम्मीदवार गांव गांव जाकर अपने हक में प्रचार करते नजर आ रहे है। पूरे प्रदेश में बड़े से बड़े और छोटे से छोटे गांवो के बारे में तो सुना ही होगा लेकिन एक गांव ऐसा भी है जो सभी गांवो से छोटा गांव है। यहां के मतदाताओं की बात करे तो इस गांव में सिर्फ तीन मतदाता है। हम बात कर रहे है कैथल जिले के खडालवा गांव की। हैरानी की बात ये है कि इस गांव में कभी सरपंची का भी चुनाव नहीं हुआ। Kaithal News

गांव में जिन तीन व्यक्तियों के वोट बने हैं उनमें यहां के पुजारी महंत रघुनाथ गिरी उनके शिष्य लाल गिरी व आत्मा गिरी है। इसके अलावा गांव में कोई कोई आबादी नहीं है। इस गांव के नाम 16 एकड़ कृषि और गैर कृषि भूमि है। ज्यादातर भूमि को गायों के लिए चारे के लिए इस्तेमाल किया जाता है। गांव में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, सहकारी बैंक, अस्थायी बस स्टैंड, गोशाला, दो सड़कें, गलियां इसी गांव की जमीन पर बनी हुई है। राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार पूरे गांव की विरासत मंदिर के नाम है।

पटवारी नंबरदार की कमी पड़ोसी गांव पूरी करते | Kaithal News

गांव को सरकारी रिकॉर्ड में पूर्ण गांव का दर्जा मिला हुआ है। इसलिए और गांव की तरह उनके गांव के भी अलग पटवारी और नंबरदार है। गांव में कोई भी सरपंच व पंच नहीं है फिर भी जब उनको नंबरदार की जरूरत पड़ती है तो जिला प्रशासन द्वारा उनके पास के गांव मटौर के नंबरदार को इसकी जिम्मेवारी दी हुई है। इसलिए उनको आज तक प्रशासनिक कार्यों में किसी प्रकार की समस्या नहीं आई। वोटर कार्ड, आधार कार्ड, पासबुक सहित उनके सभी दस्तावेज बने हुए हैं, परंतु उन्होंने आज तक किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं लिया।

कभी यहां थी विकसित संस्कृति | Kaithal News

इस गांव का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। यह श्रीराम यानी रघुवंश के पूर्वजों से जुड़ा हुआ है। किसी समय में यहां विकसित संस्कृति थी। उसके बाद शकों और हूणों के हमलों ने इस गांव को तबाह कर दिया। इसके बाद यह दोबारा कभी आबाद नहीं हुआ। खुदाई के दौरान आज भी पुरानी दीवारों के अवशेष, मिट्टी के बर्तन, औजार, मिट्टी की चूड़ियां और मानवीय जन जीवन से जुड़ी वस्तुओं के अवशेष मिलते हैं। पांच हजार वर्ष से इस भूखंड पर प्राचीन शिव मंदिर स्थित है।

गांव में बना 12वीं तक का स्कूल, लेकिन गांव का एक भी बच्चा नहीं पढ़ता।

गांव में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बना हुआ है, जिसमें इस गांव के नहीं बल्कि दूसरे गांव के बच्चे पढ़ने आते हैं। स्कूल में आवश्यकता अनुसार अध्यापक भी उपलब्ध हैं, जिनके कड़े परिश्रम की बदौलत स्कूल का रिजल्ट आसपास के स्कूलों से बेहतर रहता है। चार एकड़ से ज्यादा भूमि पर बने स्कूल में बिल्डिंग के साथ बच्चों के खेलने के लिए ग्राउंड भी है। इसलिए शायद यह भी पहले प्रदेश का पहला ऐसा स्कूल होगा जिसमें इस गांव का एक भी बच्चा नहीं पढ़ता।

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