यहां मृत शरीर को जलाते नहीं, बल्कि मेडिकल शोध के लिए करते हैं दान

Body donated for medical research - sach kahoon

पूज्य गुरु जी की ‘अमर सेवा’ मुहिम ने बदली करोड़ों लोगों की सोच

  •  कृष्णा इन्सां पत्नी स्व. स्वर्ण लाल चौपड़ा इन्सां का नाम भी शरीरदानियों में  हुआ शामिल

सच कहूँ/विजय शर्मा सरसा। देश में मेडिकल शोध कार्यों के लिए मृत शरीर न मिलने के कारण चिकित्सकों व छात्रों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। कारण सीधा सा है जब हमारे परिवार का कोई भी सदस्य ये संसार छोड़ जाता है तो हम उस मृत शरीर को या तो दफना देते हैं या फिर जला देते हैं। जागरूकता न होने कारण देश के करोड़ों लोग इस रूढ़िवादी पंरम्परा की जंजीरों में बंधे हुए हं। फिर एक दिन ऐसा आया, जब डेरा सच्चा सौदा के संत ने ‘अमर सेवा’ मुहिम का आगाज किया। ओर फिर एक नहीं, दो नहीं बल्कि करोड़ों लोग जीते जी गुर्दादान, आंखें दान, खूनदान और मरने के बाद शरीरदान करने को तैयार हो गये।

-पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ही हैं जिनके एक आह्वान पर करोड़ों लोग पुरानी मानसिकता को बदलकर मेडिकल शोध कार्यों के लिए शरीरदान कर रहे हैं। इसी शरीदानों की सूची में अब कृष्णा इन्सां पत्नी स्व. स्वर्ण लाल चौपड़ा इन्सां का नाम भी जुड़ गया है। कृष्णा इन्सां के पौते लक्की इन्सां ने बताया कि उनकी दादी ने पूज्य गुरु जी की पावन शिक्षा का अनुसरण करते हुए मरणोपरांत शरीरदान करने प्रण लिया हुआ था।

रामा मेडिकल कॉलेज जिला हापुड़, उत्तर प्रदेश को किया शरीरदान

जिला सरसा के उपकार कॉलोनी ब्लॉक-बी निवासी कृष्णा इन्सां (85 वर्षीय) पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही थी। जिसके चलते वह अपनी श्वासों रूपी पूंजी कर मालिक के चरणों में जा विराजी। कृष्णा इन्सां की इच्छानुसार उत्तर प्रदेश के जिला हापुड़ स्थित रामा मेडिकल कॉलेज एंड होस्पिटल को शरीरदान किया गया। जहां विद्यार्थी मेडिकल रिसर्च करेंगे। अंतिम विदाई के दौरान कृष्णा इन्सां के मृतदेह को फूलों से सजी एम्बूलेंस में विदा किया गया। इस दौरान उपकार कॉलोनी के 15 मैंबर कृष्ण लाल इन्सां, प्रमोद इन्सां, संदीप इन्सां मृतका के रिश्तेदार मधु, कंचन, सीमा, दीपक, सचिन, ज्योति,अन्नू, पीयूष सहित शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फे यर फोर्स विंग के सेवादार मौजूद रहे।

‘अमर सेवा’ मुहिम चिकित्सकों व छात्रों के लिए बनी वरदान: नीरज इन्सां

Neeraj Insanउपकार कॉलोनी के 15 मैंबर नीरज इन्सां ने बताया कि डेरा अनुयायी जीते जी तो इंसानियत को समर्पित हैं ही लेकिन मरणोपरांत भी चिकित्सा व शोध कार्यांे के लिए शरीरदान कर ‘अमर सेवा’ कर समाज को शरीरदान का संदेश दे जाते हैं। पूज्य गुरु जी के आह्वान पर अब जहां हजारों की संख्या में शरीरदान किए जा चुके हैं वहीं लाखों की तदाद में डेरा श्रद्धालु लिखित में मरणोपरांत शरीरदान करने का प्रण ले रहे हैं। पूज्य गुरु जी की ‘अमर सेवा’ मुहिम चिकित्सकों व छात्रों के लिए वरदान साबित हुई है।

 

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