पाक की पुरानी आदत है दोगली नीतियां

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ऐतिहासिक समारोह पर भी पाकिस्तान दोहरी नीति अपना रहा

पाकिस्तान ड्रामा करने की अपनी पुरानी आदत को छोड़ने का नाम नहीं ले रहा (pakisthan) । पिछले दिनों करतारपुर साहिब कॉरिडोर का नींव पत्थर रखने जैसे ऐतिहासिक समारोह पर भी पाकिस्तान दोहरी नीति अपना रहा है। समारोह में पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कॉरिडोर को अमन का प्रतीक बताया था किंतु अगले ही दिन पाक के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस समारोह को इमरान की गुगली करार दे दिया। एक वीडियो में कुरैशी दावा कर रहे हैं कि करतारपुर समारोह में पाकिस्तान ने किसी न किसी तरीके से भारत सरकार के दो मंत्रियों को बुलाना था। नि:संदेह कुरैशी के इस बयान से सिख भाईचारे के साथ-साथ भारत वासियों की भावनाओं को भी ठेस पहुंची है।

धर्म मौहब्बत व भाईचारे की शिक्षा देते हैं

पाक के शासक धर्म के मुद्दे पर खेलने से बाज नहीं आए। सभी धर्म मौहब्बत व भाईचारे की शिक्षा देते हैं, इस बात को जुबानी-कलामी पाक का प्रत्येक शासक स्वीकार भी करता है। कॉरिडोर की नींव पत्थर रखना भारत-पाक की एकता व प्यार का संदेश था, जो पाक की दोहरी नीति के कारण प्रभावित हुआ। हैरानी की बात यह है कि इमरान खान अपने एक मंत्री की विवादित टिप्पणी पर चुप हैं दूसरी तरफ पाक का विदेश मंत्रालय सफाई दे रहा है कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ झूठा प्रचार कर रहा है।

  • दरअसल विदेश मंत्री चापलूसों की तरह काम रहा है
  • और अपनी पूरी ताकत पाक को हीरो बनाने में झोंक रहा है,
  • लेकिन कुरैशी यह बात भूल रहा है कि अमेरिका ने पाक की दोगली नीतियों के कारण ही उसे मिलने वाली आर्थिक मदद पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  • अमेरिका ने पाक को मुंबई हमले के दोषियों को सख्त सजाएं देने का बयान देकर पाक की पोल भी खोल दी है।
  • यदि इमरान खान पाकिस्तान को नए दौर में देखना चाहते हैं तो उन्हें मंत्रियों पर लगाम कसनी होगी।
  • स्पष्टत: व इमानदारी से उठाए गए कदम ही मित्रता की पहली शर्त है।

कॉरिडोर से पाक ने सिख भाईचारे की भावनाओं का सम्मान किया है

मंत्रालय भी यह कह रहा है कि कॉरिडोर से पाक ने सिख भाईचारे की भावनाओं का सम्मान किया है। कॉरिडोर के संदर्भ में उनके मंत्री व मंत्रालय की टिप्पणी अलग-अलग है। यह हालात पाक की अनिश्चितता की गवाही देते हैं। यदि पाकिस्तान का रवैया यही रहा तो दोनों देशों में बातचीत के रास्ते बंद हो सकते हैं। दोनों देशों के पास कई ऐसे मुद्दे हैं जहां बड़ी से बड़ी कड़वाहट को दूर किया जा सकता है, बशर्ते पाक शासकों की नीयत साफ हो। अपने मंत्री की टिप्पणी को अनदेखा कर अमन की बातें करना पाक के विदेश मंत्रालय की इमानदारी पर प्रश्न चिन्ह् लगाता है।

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