मानसा: हजारों लोगों ने त्यागा नशा और बुराइयों से की तौबा

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मानसा में ‘मानस जन्म’ का महत्व समझने पहुंचे हजारों डेरा श्रद्धालु

  • पंचायतों ने नशों की गिरफ्त में फंसे युवाओं को नशों से मुक्त करवाने के लिए मांगा डेरा सच्चा सौदा से सहयोग
  • साध-संगत की श्रद्धा के सामने छोटे पड़े सभी प्रबंध

मानसा(सच कहूँ/सुखजीत मान)। सरसा रोड स्थित ‘शाह सतनाम जी अमनपुरा धाम’ मानसा में वीरवार को आॅनलाईन गुरूकुल में बड़ी संख्या में साध-संगत ने शिरकत की। इस दौरान प्रबंधकोंं ने भले ही अपने स्तर पर प्रबंधों में कोई कमी नहीं रहने देने का दावा किया लेकिन इस रूहानी सत्संग की शुरूआत में ही साध-संगत के उत्साह के आगे सभी प्रबंध छोटे पड़ते नजर आए। साध-संगत के बैठने के लिए लगभग 4 एकड़ में बनाया गया पंडाल भी छोटा पड़ गया और सड़कों पर 10 किलोमीटर तक जाम लग गए। इस रूहानी सत्संग में मानस जन्म के असल मकसद को जानने के लिए हजारों की संख्या में साध-संगत पहुंची।

आॅनलाईन गुरूकुल और डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज के पवित्र अवतार माह की खुशी में शाह सतनाम जी अमनपुरा धाम, मानसा को बहुत ही शानदार ढंग से सजाया गया था। साध-संगत के भारी इकट्ठ के दौरान किसी भी को भी कोई मुश्किल पेश न आए इसके लिए बड़ी संख्या में सेवादारों द्वारा अपनी -अपनी ड्यूटियां निभाई गई। इस दौरान शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा, जिला बागपत (यूपी) से आॅनलाईन गुरूकुल द्वारा पूज्य गुरू जी ने बड़ी संख्या में नशा और अन्य बुराईयां छोड़ने आए नय जीवों को नाम-शब्द की अनमोल दात भी प्रदान की।

इस मौके पर पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने विभिन्न गांवों की पंचायतों, काऊंसलरों, बुढलाडा के सुख दुआ समाज और बास्केटबॉल के खिलाड़ियों और साध-संगत का स्वागत करते फरमाया कि आज जो भी उस वाहेगुरू के नाम के साथ जुड़े हैं, जैसे-जैसे आप उस मालिक की याद में समय लगाएंगे, उस मालिक की खुशियों के हकदार बनते चले जाएंगे। इस मौके एक गांव की पंचायत ने गांवों में बढ़ रहे नशों के कहर को रोकने के लिए जब सहयोग की मांग की तो पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि नशे रूपी दैत्य को रोकने के लिए गांवों की पंचायतें जिस भी तरह के सहयोग के लिए कहेंगी, सारी साध-संगत उनके साथ चलेगी।

पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि हम भी यही चाहते हैं कि आप चाहे कैंप लगाओ या नशों में फंसे युवाओं का इलाज करवाओ, हम आपके साथ हैं। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि वह आपकी ही औलाद नहीं , हमारी भी औलाद है क्योंकि जो वाहेगुरू की औलाद है, वह संत-फकीर की औलाद पहले हो जाती है, और हमारे अंदर यह दर्द है कि कोई समय था जब पंजाब की जवानी खेलों में नंबर वन होती थी, सिख रेजिमेंट में सैनिक पंजाब से सबसे ज्यादा होते थे लेकिन आज सबसे बुरे नशे चिट्टे से युवाओं की जवानी बर्बाद हो रही है।

पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि आज समाज में जो यह नशे रूपी दैत्य खड़ा है, अगर सभी मिलकर हम प्रयास करें, हिम्मत करें तो वह मालिक भी रहमत करेगा और यह नशे रूपी दैत्य जरूर खत्म होगा और हमारे बच्चे और उनकी जवानी जरूर बचेगी। इस मौके चूल्हे पर रोटियां बना रही, दाने भून रही और पंजाब की पुरातन विरासत को उजागर करती झांकियों की पूज्य गुरू जी ने खूब प्रशंसा की।

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