मुसीबत में भी बने रहे दुखियों व जरूरतमन्दों
का सहारा | Panchkula Violence
सरसा (भूपिन्द्र इन्सां)। आज से ठीक एक साल पहले 25 अगस्त 2017 का वो रूह कंपा देने (Panchkula Violence) वाला मंजर शायद ही कोई भूला हो। पंचकूला सीबीआई कोर्ट द्वारा पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के विरुद्ध फैसला सुनाए जाने के बाद डेरा श्रद्धालुओं का दिल दर्द से कराह उठा। दूसरी तरफ पंचकुला और सरसा में हुई पुलिस गोलीबारी में डेरा श्रद्धालुओं की लाशें बिछ गई और 40 के करीब डेरा श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई। दर्द की इस दास्तां से पंचकूला व सरसा की सड़कें लहू से लाल थी।
श्रद्धालुओं की भीड़ में शामिल असामाजिक तत्वों द्वारा हिंसा किए जाने के बाद जब पुलिस की गोलियां चली तो लाशों के ढ़ेर लग गए। अपने मुर्शिद-ए-कामिल के दर्शनों को आए श्रद्धालुओं को पशुओं से भी बदतर तरीके से पीटा गया कि आज तक भी वे जख्म भर नहीं पाए हैं। जुल्म की इंतहा भी डेरा श्रद्धालुओं के भक्ति, विश्वास व मानवता की सेवा के महान पथ से उन्हें डांवाडोल न कर सकी। इन्सानियत की राह… मुसीबत के इस दौर में भी
पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पवित्र शिक्षा पर अमल करते हुए डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु अपने मानवता भलाई के नि:स्वार्थ कार्यों को बढ़-चढ़कर कर रहे हैं। अगस्त 2017 से लेकर अब तक की बात करें तो डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालुओं का 133 मानवता भलाई कार्यों का कारवां ज्यों का त्यों जारी है।
आज भी वह जरूरतमंद परिवारों को राशन, आपदा में फंसे लोगों को सहारा, गरीब को मकान, बीमारों को इलाज, रक्तदान पौधारोपण आदि कार्य कर रहे हैं। सड़क हादसे का शिकार कोई अपनी जान बचाने के लिए तड़प रहा हो या फिर कोई इलाज करवाने में असमर्थ हो, इन सभी की मदद के लिए सबसे आगे होकर डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु ही इन जरूरतमंदों की सुध लेते हैं।
25 लाख पौधे लगाकर दिया हरियाली का उपहार | Panchkula Violence
डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन अवतार दिवस पर पूरे जोश से नेक कार्य करते हैं। इसी कड़ी के तहत डेरा श्रद्धालुओं ने 14 व 15 अगस्त, 2018 को मात्र दो दिन में ही भारत सहित विदेशों में भी 25 लाख के करीब पौधारोपण कर पृथ्वी को हरियाली का उपहार दिया और उनकी संभाल का प्रण भी किया। सबसे ज्यादा हरियाणा के डेरा श्रद्धालुओं ने लगभग साढ़े 9 लाख पौधे लगाए।
शरीरदान व नेत्रदान कर तोड़ रहे रूढीवादी
विचारधारा | Panchkula Violence
डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालुओं ने रूढ़िवादी विचारधारा को तोड़ते हुए नेत्रदान व मेडिकल रिसर्च के लिए शरीर दान कर विश्व भर में मिसाल कायम की है। पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की शिक्षाओं पर चलते हुए डेरा श्रद्धालु मरणोपरांत नेत्र व शरीर दान करने के फार्म भरते हैं। इस संदर्भ में सबसे अहम बात यह है कि वह यह प्रण किसी खास कार्यक्रम जैसे जन्मदिन, विवाह, वर्षगांठ के अवसर पर ही करते हैं। अब तक सैकड़ों की संख्या में नेत्रहीन लोग डेरा श्रद्धालुओं की बदौलत इस जहान को देख रहे हैं।
मलबे के ढेर से जिंदगी की तलाश | Panchkula Violence
जुलाई 2018 को नोएडा के गांव शाहबेरी में दो बहु मंजिला इमारतों के ढहने से मलबे में दर्जनों जानें दफन हो गई थी और कई लोग लापता थे। शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के वांलटियर उस वक्त लापता लोगों की तलाश में जुट गए। डेरा श्रद्धालुओं ने प्रशासन व एनडीआरएफ के जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जहां मलबा हटाया वहीं पीड़ितों के लिए भोजन-पानी का भी प्रबंध किया। शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के ये सेवादार पहले भी लेह लद्दाख में बादल फटने, दिल्ली के लक्ष्मी नगर व गाजियाबाद के शालीमार गार्डन क्षेत्र में इमारतें गिरने पर राहत कार्यों में प्रशासन का हाथ बंटाकर सैकड़ों जिंदगीयां बचा चुके हैं।
केरल बाढ़ पीडितों का भी बांट रहे हैं दर्द | Panchkula Violence
प्राकृतिक आपदा का शिकार केरल वासियों की मदद के लिए भी डेरा सच्चा सौदा की शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग राहत सामग्री के साथ केरल पहुंच गई है। पिछले लगभग पांच व छह दिनों से बचाव व राहत कार्यों में विंग के सदस्य प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री मुहैया करवाई गई।
रक्तदान कर बचा रहे जानें | Panchkula Violence
जब किसी सड़क दुर्घटना का शिकार या किसी अन्य बीमारी के कारण इलाज दौरान किसी मरीज को रक्त की जरूरत पड़ी, तब उस वक्त डेरा सच्चा सौदा के ट्रयूब्लॅड पंप ही उनकी मदद के लिए पहुंचते हैं। अब तक डेरा श्रद्धालु सैकड़ों मरीजों की जानें बचा चुके हैं। इसके अलावा आर्मी के लिए भी डेरा सच्चा सौदा में लगाए जाते रक्तदान शिविरों में डेरा श्रद्धालु बढ़-चढ़कर रक्तदान करते हैं। इस अगस्त माह में ही डेरा सच्चा सौदा व देश के विभिन्न स्थानों पर लगाए गए शिविरों में श्रद्धालुओं ने 6503 यूनिट रक्तदान किया है।
प्रेम व इन्सानियत के विरुद्ध जब हुआ षडयन्त्र, बेगुनाहों व निहत्थों पर बरसीं थी गोलियां | Panchkula Violence
25 अगस्त 2017 दिन शुक्रवार देश और दुनिया के इतिहास का वो दिन, जिसे चाहकर भी भुला पाना मुश्किल है। निहत्थे, निरपराध और निर्दोष लोगों पर जुल्म की इंतेहा को याद कर आज भी रूह कांप उठती है। हरियाणा के पंचकूला में गोद में नन्हें-नन्हें बच्चों को लिए माँएं, युवा और बुजुर्ग महिला-पुरुष उस क्षण का इंतजार कर रहे थे, जब वे अपने सतगुरु के दर्शन करें, लेकिन तभी कुछ ऐसा घटित हुआ कि सभी की आँखें आँसुओं से भर आर्इं। वो दृश्य जलियांवाला बाग की भयावहता दोहरा रहा था।
अनपेक्षित निर्णय को सुन जैसे ही गमगीन डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी अपने-अपने घरों को लौटने लगे तो घटिया मानसिकता के राजनीतिज्ञों, नशा माफिया, वेश्यावृत्ति की दलदल में देश की बेटियों को धकेलने वाले दलालों और आपराधिक जगत के गठजोड़ से बुनी गई साजिश ने अपना रूप दिखाया। गुरु दर्शनों को उमड़े लोगों पर पुलिस और सुरक्षा बलों ने जिस तरह से लाठियां और गोलियां बरसाई। साजिशन की गई निर्दयी कार्रवाई में 40 के करीब डेरा अनुयायियों की जान चली गई और सैकड़ों की संख्या में घायल हुए थे। हजारों बेगुनाहों को पुलिस ने कैद कर लिया था।
साजिशकर्ताओं का जब इतने भर से भी जब दिल न भरा तो देश के मीडिया को अपना हथियार बना लिया। फिर क्या था, टीवी चैनल और समाचार पत्रों के द्वारा मीडिया ने अपने धर्म से मुंह मोड़ते हुए आधारहीन, तथ्यहीन, मनगढ़ंत कहानियां रच रिपोर्टें चलाई और छापीं ताकि डेरा सच्चा सौदा को बदनाम किया जाए। रूहानियत के सच्चे दर से जुड़े लोगों के विश्वास को तहस-नहस करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी गई। शांति और भाईचारे के दुश्मनों द्वारा भरसक षड्यंत्र रचे गए।
निर्दोष लोगों पर देशद्रोह के झूठे मुकदमें दर्ज किए गए, बाप-बेटी के पवित्र रिश्ते को बदनाम किया अनगिनत झूठे व मनगढ़ंत आरोप लगाए गए, आखिर सच्चाई धीरे-धीरे सामने आ रही है। एक वर्ष के दौरान कोर्ट में कई मुकदमे खारिज हुए, बेगुनाह डेरा प्रेमियों को बरी किया गया, मुकदमों में देशद्रोह की धारा को हटाया गया और ज्यादातर में केसों में लगाए गए आरोपों को साबित करने में पुलिस नाकाम साबित हो रही है, क्योंकि झूठ के पाँव नहीं होते हैं।
महीनों तक पूज्य गुरु जी व आश्रम को तरह-तरह के झूठे आरोप लगाकर बदनाम करने वाली मीडिया को भी उस समय मुंह की खानी पड़ी जब हाई कोर्ट द्वारा नियुक्त कोर्ट कमिश्नर ए.के.एस पंवार के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम द्वारा गहन जांच के बाद प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में सभी आरोपों को निराधार और झूठा पाया गया।
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में यूं तो हर छुटमुट घटनाओं पर मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग, सर्वोच्च न्यायालय के अलावा देश भर में सक्रिय सामाजिक, राजनीति संगठन आए दिन मानवाधिकारों की दुहाई देते दिखाई देते हैं, लेकिन इस जघन्य कांड पर सभी का चुप्पी साधना भी ‘महाभारत’ के द्रोपदी चीरहरण कांड की पुनरावृत्ति जैसा था। आज भी डेरा प्रेमी अपने साथ हुए अन्याय के दर्द झेलते हुए अहिंसा के रास्ते पर चलकर न्यायपालिका से न्याय की आस लगाए बैठे हैं। आखिर पंचकूला व सरसा में अपनी जान गंवाने वाले बेगुनाहों को कब न्याय मिलेगा?
सम्पादक
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