शांतिपूर्ण विरोध व सुरक्षा आवश्यक

Farmer Protest

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन दौरान टकराव की खबरें चिंताजनक हैं। गत दिवस हरियाणा के रोहतक में किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के हैलीकॉप्टर की लैंडिंग का विरोध किया। इस दौरान लैंडिंग का स्थान बदलना पड़ा। किसानों और पुलिस की झड़प में कई किसान घायल भी हो गए। इसी प्रकार कुछ दिन पूर्व राजस्थान में किसान नेता राकेश टिकैत के काफिले पर हमला हुआ। पंजाब में मलोट व गुरदासपुर में भाजपा नेताओं के साथ मारपीट व बेहद शर्मनाक तरीके से विरोध करने की घटनाएं घटी। अब किसान नेताओं की सुरक्षा भी आवश्यक है। राकेश टिकैत सहित कई किसान नेता विभिन्न राज्यों में दौरा कर रहे हैं। पुलिस को किसान नेताओं की सुरक्षा यकीनी बनानी चाहिए। किसी को भी अपने विचार प्रकट करने का अधिकार है।

दूसरी तरफ किसानों को भी विरोध करने के तौर-तरीकों को बदलना होगा। विरोध करने वाले किसानों को अपने किसान संगठनों के नेताओं की हिदायतों की पालना करनी चाहिए। प्रदर्शनकारी किसानों को बेहूदा व असभ्य तरीके से प्रदर्शन करने से बचना चाहिए, वे अमन-शांति से अपना विरोध प्रकट करें। इन परिस्थितियों में किसानों को उन तत्वों पर भी खास नजर रखनी होगी जो किसानों के नाम पर कानून कानून व्यवस्था को बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। लोकतंत्र में किसी को भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन से नहीं रोका जा सकता, अगर हम ऐसा करने लगेंगे, तो लोकतंत्र की एक बड़ी विशिष्टता का लोप हो जाएगा। लेकिन इसके लिये शालीन तौर-तरीकों की अपेक्षा है। लोकतंत्र के मन्दिर की पवित्रता एवं जीवंतता इसी में है कि जनता को साथ लेकर ऐसे चला जाए कि जनता का शासन जनता के लिये हो, जिसमें सत्ता में रहते न कानूनों के दुरुपयोग की जरूरत पड़े और न विपक्ष में रहते कानून तोड़ने की।

राजनीति में जब व्यक्ति राजनीतिक क्षेत्र में उतरता है तो उसके स्वीकृत दायित्व, स्वीकृत सिद्धांत व कार्यक्रम होते हैं, जिन्हें कि उसे क्रियान्वित करना होता है या यूं कहिए कि अपने कर्तृत्व के माध्यम से लोकतांत्रिक मूल्यों को जीकर बताना होता है। विरोध के नाम पर प्रदर्शनकारी अपने ही संगठन के नियमों की उल्लंघना कर रहे हैं। दरअसल किसान आंदोलन की लोकप्रियता ही शांतिपूर्ण विरोध के कारण हुई है। किसान नेता बाकायदा प्रैस वार्ताएं कर बार-बार आंदोलन को उचित तरीके से चलाने की हिदायतें जारी करते हैं लेकिन निम्न स्तर पर हिदायतों पर अमल नहीं होता और कोई बुरी घटना घट जाती है। दरअसल आंदोलन किसी भीड़ या शारीरिक शक्ति का नाम नहीं बल्कि यह विचारों की शक्ति का नाम है। प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शन की मर्यादा की पालना अति आवश्यक है। सरकार उन व्यक्तियों के खिलाफ भी ठोस कार्रवाई करे जो हिंसा को अंजाम देकर किसानों का नुकसान कर रहे हैं।

 

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