पेट्रोलियम उपभोक्ताओं को संप्रग के जमाने के उधार की भी कीमत देनी पड़ रही है : सीतारमण

Nirmala Sitharaman

नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में जारी वृद्धि पर कांग्रेस समेत विपक्ष की ओर से की जारी आलोचनाओं का करारा जवाब देते हुए कहा कि आज उपभोक्ताओं को उस भारी उदार सब्सिडी की कीमत भी चुकानी पड़ रही है जो 10 साल पहले तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने आयल बाँड के रूप में भारी उधार लेकर दी थी और जिसका भुगतान भविष्य के लिए छोड़ दिया गया था। श्रीमती सीतारमण ने विनियोग विधेयक, 2022 और वित्त विधेयक 2022 पर सदन में हुयी चर्चा का जबाव देते हुये यह बात कही। सदन ने इन दोनों विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर लोकसभा को लौटा दिया। राज्य सभा में इस चर्चा में 26 सदस्यों ने भाग लिया। वित्त मंत्री ने किसी पार्टी का नाम लिए बिना कहा कि लोग सरकार से पूछ रहे हैं कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें अब क्यों बढ़ती जा रही हैं, जबकि यूक्रेन की लड़ाई तो पहले से चल रही है। उन्होंने कहा कि युद्ध के हालात पहले से थे और आपूर्ति श्रृंखला में बाधाओं के कारण कच्चे तेल सहित जिंसों की आपूर्ति में व्यवधान शुरू हो गया था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में उछाल से निपटने के लिए सरकार निरंतर उपाय कर रही थी।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘आज ग्राहक इन बढ़ी हुई कीमतों का ही नहीं बल्कि उस लाभ की भी कीमत चुका रहे हैं जो तत्कालीन संप्रग सरकार ने पेट्रोलियम का भाव कम रखने के लिए आयल बाँड से उदारतापूर्वक भारी पैसा जुटा कर दिए थे और उसका भुगतान भविष्य पर छोड़ दिया। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि हमसे यह कहा जा रहा है कि आयल बाँड तो वाजपेयी सरकार ने भी जारी किए थे। पर उस बाँड और संप्रग के बाँड में बहुत बड़ा फर्क है। वाजयेयी सरकार ने 9000 करोड़ रुपये के बाँड जारी किए थे जबकि संप्रग ने कई बार में दो लाख करोड़ रुपये से अधिक के बाँड जारी किए और उसका भुगतान आज हम कर रहे हैं। यह भुगतान अभी पांच वर्ष तक और करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि चर्चा के दौरान किसी ने सुझाव देते हुए हुए कहा कि यदि मैं आम आदमी का बजट देख लेती तो मुझे समझ आ जाता कि बजट कैसे बनाया जाता है? श्रीमती सीतारमण ने किसी राज्य का नाम लिए बिना दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार पर तीखा तंज किया।

उन्होंने कहा, ‘अगर मैं उस बजट से सीख लूं तो मेरी पुलिस का खर्च किसी के जिम्मे होता, मेरे रक्षा का बजट कोई और भरता तथा मेरे लिए किसान के लिए कुछ करने की जरूरत नहीं होती और मैं दिल्ली में प्रदूषण दूर करने के खर्च से बचे हुए पैसे से देश भर में पत्र पत्रिकाओं में पूरे पेज का विज्ञापन दे रही होती। उन्होंने चर्चा के दौरान बजट 2022-23 पर पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की टिप्पणियों का जवाब देते हुए कहा कि पूर्व वित्त मंत्री ने बजट में 6.03 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत बजट पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इसमें एयर इंडिया एसेट कंपनी और एयर इंडिया को दिया गया है, वह 51.9 हजार करोड़ रुपये का कर्ज पूंजीगत व्यय नहीं माना जा सकता है। इसी तरह श्री चिंदम्बरम का यह भी कहाना है कि राज्यों को एक लाख करोड़ रुपये के कर्ज को भी पूंजीगत व्यय की श्रेणी में रखना उचित नहीं है।

वित्त मंत्री ने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री ने सवाल किया है कि इसे कैसे पूंजीगत व्यय माना जाया जाए? उन्होंने कहा कि लेखा सिद्धांत है कि किसी लोक उपक्रम या राज्य को दिया गया कर्ज पूंजीगत खर्च में गिना जाएगा। इस बजट में इस विषय में कोई असाधारण बात नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में यदि एयर इंडिया को दिए गए कर्ज को निकाल दें तो भी इसे निकाल दिया जाए तो 5.51 लाख करोड़ तक पहुंच गए हैं जो कि चालू वित्त वर्ष के बजट अनुमान के 5.54 लाख करोड़ रुपये के बिल्कुल निकट है।वित्त मंत्री ने कहा कि संप्रग के समय भी 2012-13 में और उसके बाद एयर इंडिया को जो हजारों करोड़ रुपये के कर्ज दिए गए, वे भी पूंजीगत खर्च में ही डाले गए थे।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि यह कहना है कि हमने पूंजीगत व्यय के लक्ष्य को पूरा करने के लिए एयर इंडिया को दिए गए पैसे को पूंजीगत खर्च में किया है, गलत है। उन्होंने कहा कि राज्यों को एक लाख करोड़ रुपये के कर्ज को भी पूंजीगत खर्च के रुख में दिखाए जाने पर श्री चिदंबरम द्वारा उठाये गये सवाल को भी खारिज किया और कहा कि यह ब्याज मुक्त कर्ज है और यह सम्पत्ति सृजन के लिए है। इससे अर्थव्यवस्था को महामारी के बाद गति देने के प्रयासों को समर्थन मिलेगा। राज्यों को दिया जाने वाला कर्ज पूंजी व्यय ही माना जाता है। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज राज्य सभा में कहा कि रूस-यूक्रेन जंग के कारण तेल की कीमतों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुयी है जिससे निपटने के उपाय किये जा रहे हैं। लोकसभा वित्त विधेयक को 39 सरकारी संशोधनों के साथ पहले ही पारित कर चुकी है। विनियोग विधेयक भी निचले सदन में पारित हो चुका है।

वित्त मंत्री ने कहा कि यूक्रेन पर हमले का असर सभी देशों पर हो रहा है। आपूर्ति प्रभावित हो रही है। वर्ष 2020 में बजट लाया गया, जिसके बाद महामारी आ गयी और वर्ष 2021 के बजट के बाद देश में कोरोना की दूसरी लहर आ गयी। इस वर्ष अब बजट के बाद रूस यूक्रेन जंग का प्रभाव पड़ने लगा है। वित्त विधेयक में किये गये 39 सरकारी संशोधन और आयकर में किये गये 100 से अधिक संशोधनों को लेकर चिदंबरम द्वारा उठाये गये सवालों का जबाव देते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं किया गया है। बजट पेश किये जाने के बाद विभिन्न हितधारकों से मिले सुझावों के आधार पर ये संशोधन किये गये हैं। उन्होंने कहा कि वित्त विधेयक 2009 में 117 संशोधन हुआ था, जिसमें से 87 आयकर से जुड़े थे।

श्रीमती सीतारमण ने विशेष शिक्षा और स्वास्थ्य, राजमार्ग एवं अवसंरचना और जीएसटी राजस्व क्षतिपूर्ति के लिए लगाए गए विशेष उपकरों से राज्यों के हित पर प्रभाव के तर्कों को आंकड़ों के आधार खारिज किया। उन्होंने कहा कि केंद्र ने इन उपकरों से जितना राजस्व कमाया है, उससे अधिक राज्यों को दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर एक अस्थायी व्यवस्था है। इसके हट जाने पर सरकार के राजस्व में अप्रत्यक्ष करों का हिस्सा फिर प्रत्यक्ष करों के हिस्से से नीचे आ जाएगा। वह इस आलोचना का जवाब दे रही थीं कि इस वर्तमान सरकार में जीडीपी के हिस्से के तौर पर अप्रत्यक्ष कर प्रत्यक्ष कर की तुलना में ऊंचा है।

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