बसताड़ा में लाठीचार्ज से कृषि कानूनों का विरोध हुआ तेज, आक्रोश में अन्नदाता, बनेगी नई रणनीति

farmer protest

धरना स्थलों पर बड़ी संख्या में पहुंचे धरतीपुत्र, महिलाएं भी उमड़ी

  • संयुक्त किसान मोर्चा की प्रदेश स्तरीय बैठक में लेंगे बड़ा फैसला : गुरनाम सिंह चढूनी

चंडीगढ़/सरसा। कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के प्रदर्शन ने शनिवार को करनाल के बस्ताड़ा टोल पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज के बाद फिर रफ्तार पकड़ ली है। रविवार को नरवाला के बदोवाल टोल प्लाजा, करनाल के बसताड़ा, सरसा के भावदीन, भिवानी के कितलाना और हिसार के रामायण सहित विभिन्न स्थानों पर किसानों की संख्या में इजाफा देखा गया। इनमें महिलाओं ने भी बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज करवाई। इस दौरान किसानों में सरकार के खिलाफ भारी रोष देखने को मिला। किसानों का कहना था कि अब इस लड़ाई को निर्णायक मोड तक पहुंचाएंगे।

बता दें कि शनिवार को लाठीचार्ज का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढूनी के आह्वान पर किसानों ने प्रदेशभर में 47 स्थानों पर हाइवे और सड़कें जाम कर दीं। जिससे सड़कों पर वाहनों की लंबी कतारें लग गई। किसानों के रोष के चलते दिनभर प्रदेश में हालात तनावपूर्ण बने रहे। शाम को भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढूनी खुद बसताड़ा टोल पर पहुंचे और धरने की कमान संभाली। इस दौरान उन्होंने सरकार को चेताते हुए हिरासत में लिए गए किसानों की रिहाई तक प्रदर्शन जारी रखने की बात की। तत्पश्चात प्रदेश में बढ़ते विरोध के चलते पुलिस ने देर शाम हिरासत में लिए गए 30 किसानों को छोड़ दिया।

सीएम खट्टर का विरोध करने आए किसानों पर लाठीचार्ज, कई घायल

इसके बाद शाम सवा सात बजे किसानों ने हाइवे और सड़कों से जाम हटा लिया। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि लोगों की परेशानी को देखते हुए सड़क जाम खोलने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस की बर्बरता के खिलाफ विरोध जारी रहेगा। दो दिन के भीतर संयुक्त किसान मोर्चा की प्रदेश स्तरीय बैठक होगी, जिसमें विरोध प्रदर्शन की विस्तारपूर्वक रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि किसान का लहू बहाने का खामियाजा प्रदेश और केन्द्र दोनों सरकारों को भुगतना पड़ेगा। वहीं करनाल के डीसी निशांत कुमार यादव का कहना है कि 10 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।

किसानों का सिर फोड़ने का आदेश देने वाले अधिकारी पर हो कार्रवाई : दीपेन्द्र

भिवानी (सच कहूँ/इन्द्रवेश)। राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने करनाल में किसानों पर हुई लाठीचार्ज की निंदा करते हुए लाठीचार्ज का आदेश देने वाले एसडीएम को निलंबित किए जाने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि राज बदलने के बाद ऐसे अधिकारी जो कुर्सी के अहंकार में अलोकतांत्रिक फरमान जारी करते हैं, उनका हिसाब-किताब लिया जाएगा। वे यहां एक सामाजिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

‘सीएम खट्टर मांगें माफी, एसडीएम को करें बर्खास्त’

‘मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को किसानों से माफी मांगनी चाहिए। हरियाणा के मुख्यमंत्री किसानों पर लाठियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने बल प्रयोग नहीं किया। मैंने शीर्ष नेतृत्व से कहा कि बल प्रयोग न करें। मैं भी ‘किसान का बेटा’ हूँ। एसडीएम (उप-मंडल मजिस्ट्रेट आयुष सिन्हा) को तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए। वह एसडीएम पद के लिए फिट नहीं हैं। सरकार उनका समर्थन कर रही है। अधिकारी के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। 600 किसान मारे गए हैं, लेकिन सरकार की ओर से किसी ने भी सांत्वना का एक शब्द भी नहीं कहा।
-सत्यपाल मलिक, मेघालय के राज्यपाल

किसानों पर लाठीचार्ज से आहत संतोष दहिया ने छोड़ी जजपा

कुरुक्षेत्र (सच कहूँ/देवी लाल बारना)। करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज से आहत जननायक जनता पार्टी की नेता संतोष दहिया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। संतोष दहिया वर्ष 2019 में लाडवा विधानसभा से जजपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुकी है। संतोष दहिया जननायक जनता पार्टी में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य और चार जिलों कैथल, कुरुक्षेत्र, करनाल, अंबाला की महिला प्रभारी भी रही हैं। इसके अलावा संतोष दहिया सर्व जातीय सर्व खाप महिला हरियाणा की अध्यक्ष भी हैं। अपने सेक्टर 9 स्थित आवास पर पत्रकारोें से बातचीत करते हुए संतोष दहिया ने बताया कि जजपा पार्टी से शुरू से ही जुड़ी हुई थी। उन्हें उम्मीद थी कि किसानों का मुद्दा हल हो जाएगा, लेकिन अभी तक हल नही हुआ। 9 महीने में 500 से ज्यादा किसान शहादत दे चुके हैं। अब जब शनिवार को करनाल में बस्ताडा टोल प्लाजा पर निहत्थे किसानों पर लाठीचार्ज किया गया, उन लोगों पर लाठियां बरसाई गर्इं, जो देश का अन्नदाता है।

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