यात्री ध्यान दें, आज से दो दिन तक रोडवेज का चक्का जाम है!

Roadways Workers, Strike, Protest, Privatization

निजीकरण के विरोध में प्रदेशभर में हड़ताल
पर रहेंगे रोडवेज कर्मी

  • रोडवेज को होगा करोड़ों का नुकसान वहीं निजी वाहन चालकों की रहेगी चांदी

सच कहूँ/सुनील वर्मा/ सरसा। अगर आप रोडवेज में यात्रा करते हैं तो आज से सोच समझकर यात्रा करें। आज से रोडवेज कर्मचारियों की ओर से दो दिवसीय चक्का जाम कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। रोडवेज कर्मचारियों द्वारा की जा रही हड़ताल के कारण यात्रियों को खासी परेशानी होने वाली है। हजारों यात्री रोजाना रोडवेज की बसों में यात्रा करते हैं। रोडवेज विभाग को रोजाना लाखों रुपए की आय भी रोडवेज की बसों से होती है। दो दिनों के चक्का जाम से जहां विभाग को लाखों रुपए का नुकसान होगा।

वहीं रोडवेज बसों में सफर करने वाले यात्रियों को भी परेशानियां झेलनी पडेगी। चक्का जाम कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सोमवार को रोडवेज कर्मचारियों ने बस स्टेंड परिसर में प्रभात फेरी निकाली। प्रभात फेरी का नेतृत्व डिपो प्रधान रामकुमार चुरनियां व सुरजीत अरोड़ा ने संयुक्त रूप से किया।

इस मौके पर सुरजीत अरोड़ा ने कहा कि कर्मचारी अपनी लंबित मांगों को लेकर काफी समय से संघर्ष करते आ रहे हैं। लेकिन सरकार की ओर से मांगों के प्रति कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई है। कर्मचारियों द्वारा चक्का जाम की घोषणा की जाती है तो सरकार बातचीत के लिए बुला लेती है। लेकिन बैठक में सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिलता। अरोड़ा ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों की वजह से रोडवेज विभाग घाटे में जा रहा है। सरकार मोटर व्हीकल एक्ट संशोधित बिल 2017 ला रही है। जिसे रोडेवज कर्मी किसी भी सूरत में सहन नहीं करेंगे।

ये हंै कर्मचारियों की मांगें

मोटर व्हीकल एक्ट संशोधित बिल-2017 को रोका जाए, नियमित भर्ती की जाए। पुरानी पेंशन स्कीम बहाल की जाए। समान काम समान वेतन लागू किया जाए। कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए, निजी कंपनियों से हायर की जा रही 700 बसों पर रोक लगाई जाए, आऊट सोर्सिंग पर भर्ती करने व बिना किसी लाभ वाले मार्र्गों पर प्रतिदिन नए-नए निजी परमिट जारी करने पर रोक लगाई जाए। नई पेंशन स्कीम रद्द की जाए, सभी श्रेणियों की प्रमोशन करवाने, बोनस की स्थाई नीति बनाई जाए।

यात्रियों को भुगतना पड़ता है खामियाजा

सरकारें आती हैं और जाती हैं। सत्ता में आने से पहले हर पार्टी कर्मचारियों से लुभावने वादे करती है। लेकिन सत्ता में आने के बाद पार्टी अपने वादे पर खरा नहीं उतरती। मजबूरन कर्मचारियों को आंदोलन की राह पकड़नी पड़ती है। सरकार व कर्मचारियों की चक्की में यात्रियों को पिसना पड़ता है। जो रोजाना रोडवेज की बसों में सफर करते हैं। न तो सरकार की ओर से यात्रियों को होने वाली असुविधा का ख्याल रखा जाता है और न ही कर्मचारियों की ओर से।

 

 

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