रूस-यूक्रेन युद्ध: हर रोज होते थे धमाके, लगता नहीं था कि जिंदा लौट पाऊंगा घर : शुभम

Russia-Ukraine War

शुभम बोला, भारतीय दूतावास से नहीं मिला कोई सहयोग

ओढां(सच कहूँ/राजू)। रूस और यूक्रेन की जंग के बीच फंसे हजारों भारतीय छात्रों में से अनेक छात्रों की घर वापसी पर परिजन राहत महसूस कर रहे हैं। गांव बप्पा में यूक्रेन से सकुशल वापस लौटने पर छात्र शुभम का परिवार व गांव के लोगों द्वारा स्वागत करते हुए बधाई दी। शुभम के माता-पिता ने भावुक होकर कहा कि परमात्मा का शुक्र है कि उनका बेटा सही सलामत मौत के साए से वापस घर लौट आया है। शुभम ने बताया कि उन्हें भी यकीन नहीं हो रहा कि वह अपने देश वापस लौट आया है। उसे हर पल मौत का डर सताता रहता था। शुभम यूके्रेन के शहर खरकीव में वह एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए गया था। 5 वर्ष उसके बीत चुके थे, लेकिन अंतिम वर्ष की डिग्री समाप्त होने से पहले ही रूस और यूक्रेन की जंग छिड़ गई।

शुभम ने बताया कि 24 फरवरी को पहली बार उनके शहर के पास तेज धमाका हुआ तो उन्हें डर सताने लगा। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इस जंग में वह जिंदा वापस लौट पाएगा या नहीं। वह लगातार भारतीय दूतावास से संपर्क करता रहा, लेकिन उसके कोई सहयोग नहीं मिला। उसने कहा कि कई-कई बार दूतावास में फोन करने पर या तो फोन नहीं उठाया जाता था या फिर उन्हें राजनीतिक कारणों का हवाला देते हुए खरकीव से निकालने में असमर्थता जाहिर की जाती। उसे यह कहा जाता कि वह किसी तरह भी यूक्रेन के किसी भी बॉर्डर पर पहुंच जाए। उसके बाद उसे रेस्क्यू कर लिया जाएगा।

पिता श्यामलाल ने भगवान का किया शुक्रिया

शुभम के पिता श्यामलाल ने बताया कि दिन में कई कई बार वीडियो कॉल कर शुभम व उसके साथियों का हालचाल पूछते थे लेकिन अब उनका बेटा सही सलामत घर वापस आ गया है इसके लिए परमात्मा का शुक्रिया अदा करते हैं। उन्होंने कहा कि वहां जो अन्य छात्र फंसे हुए हैं उन्हें भी वहां से निकालकर सकुशल लाया जाए।

बड़ी मुश्किल से मौत का सफर तय कर पहुंचा पोलैंड बॉर्डर

शुभम ने बताया कि चारों तरफ हो रहे धमाके के चलते शहर के बीच रह रहे छात्रों को बॉर्डर तक पहुंचने के लिए बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। वह भी खरकीव से 1500 किलोमीटर दूर बड़ी मुश्किल से मौत का सफर तय कर पोलैंड बॉर्डर तक पहुंचा। वहां से उन्हें भारतीय दूतावास के माध्यम से भारत लाया गया। शुभम ने कहा कि हमारे देश में अगर मेडिकल कॉलेज व शिक्षा के क्षेत्र में सुधार किया जाए तो उन्हें दूसरे देशों में पढ़ाई करने के लिए नहीं जाना पड़ेगा।

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