रूहानियत: अपने गुरु के वचनों की करेंगे दृढ़ता से पालना

Anmol Vachan

साध-संगत बोली: हमें पूज्य गुरु जी ने सिखाया सभी धर्मों का आदर सत्कार करना

ओढां(सच कहूँ/राजू)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा साध-संगत के नाम लिखी गई 9वीं चिट्ठी 27 मार्च को शाह सतनाम जी धाम सरसा में आयोजित नामचर्चा के दौरान साध-संगत के बीच पहुंची। अपने प्रीतम प्यारे की चिट्ठी में फरमाए गए वचन एवं आशीर्वाद पाकर साध-संगत खुशी से फूले नहीं समाई। चिट्ठी में पूज्य गुरु जी ने समस्त साध-संगत व मैनेजमेंट सहित सभी को अपना पावन आशीर्वाद भेजा है। पूज्य गुरु जी ने मनमते लोगों से सचेत रहने और अपने सतगुरु पर दृढ़ विश्वास रखने की बात कहते हुए अंदर-बाहर से मालामाल करने का भी आशीर्वाद दिया। वहीं पूज्य गुरु जी ने गुरुग्राम में बीती 6 मार्च को चलाए गए सफाई महा अभियान पर भी साध-संगत को आशीर्वाद भेजा है। साथ ही पूज्य गुरु जी ने बेअदबी मामले में कहा कि डेरा सच्चा सौदा सर्व धर्म संगम है। वे सभी धर्मांे का आदर सत्कार करते हैं और समस्त साध-संगत को भी यही शिक्षा देते हैं।

पूज्य गुरु जी की ये चिट्ठी नहीं अपितु एक रूहानी संदेश है। पूज्य गुरु जी ने इस संदेश के माध्यम से सारी साध-संगत के लिए जो अपना प्यार भरा आशीर्वाद भेजा है, उसका लिख या बोलकर वर्णन नहीं किया जा सकता। पूज्य गुरु जी दूर बैठे भी साध-संगत का कितना ख्याल रखते हैं, वो उन्होंंने अपनी सभी चिट्ठियों के माध्यम से बता भी दिया। मैंने अनेक सत्संगे सुनी हैं। पूज्य पिताजी ने कभी भी किसी धर्म के खिलाफ कुछ नहीं बोला। हमें यही शिक्षा दी है कि सभी धर्म एक समान हैं और सभी का आदर-सत्कार करना चाहिए। कुछ लोग राजनीति चमकाने के लिए डेरा सच्चा सौदा का नाम बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। सच एक दिन सबके सामने जरूर आएगा।
– चिड़िया सिंह इन्सां (रोड़ी)।

चिट्ठी पढ़कर रूह शांत हो गई। पूज्य गुरु जी द्वारा चिट्ठी में लिखे गए एक-एक वचन का हम अनुसरण करेंगे। हम अपने मुर्शिद का अनेक जन्म लेकर भी ऋण नहीं उतार सकते। पूज्य गुरु जी ने मनमते लोगों से सचेत रहने के लिए वचन किए हैं। कुछ लोग सोशल मीडिया पर बेवजह की पोस्टें डालकर साध-संगत को भरमाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे कभी भी सफल नहीं होंगे। साध-संगत ऐसे लोगों की असलियत अच्छी तरह से जानती है। हमारा विश्वास अपने सतगुरु पर था और हमेशा रहेगा। पूज्य गुरु जी द्वारा फरमाए गए हर वचन का हम दृढ़ता से पालन करेंगे।
– बागचंद इन्सां (अहमदपुर)।

पूज्य गुरु जी की पावन प्रेरणाओं पर चलते हुए हम सभी धर्मांे का आदर सत्कार करते हैं। लेकिन कुछ लोग अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने व माया के चक्कर में डेरा सच्चा सौदा पर बेवजह किचड़ उछालने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे लोगों को साध-संगत अब बखूबी जानने लगी है। हमारा विश्वास डेरा सच्चा सौदा में दृढ़ रहा है और दृढ़ ही रहेगा। पूज्य पिताजी ने चिट्ठी में वचन भी किए हैं कि ऐसे लोगों से सचेत रहना है। हम हमारे मुर्शिद के वचनों पर पहले भी चलते आए हैं और आगे भी चलते रहेंगे। हम पूज्य गुरु जी का कोटि-कोटि आभार व्यक्त करते हैं, जो साध-संगत की हर पल संभाल करते हैं। हमारा विश्वास डेरा सच्चा सौदा में था, है और हमेशा अडोल रहेगा।
– राजपाल इन्सां (भादड़ा)।

मेरे मुर्शिद की चिट्ठी बेशकीमती है। पूज्य पिताजी ने दूर बैठे ही चिट्ठी के माध्यम से सभी को जो आशीर्वाद भेजा है, वो कहने-सुनने से परे है। हम अपने गुरु का ऋण कई जन्म लेकर भी नहीं उतार सकते। हम सभी धर्मांे का आदर सत्कार ही नहीं करते बल्कि एक दूसरे के धार्मिक कार्यक्रमों में भी शिरकत करते हैं। कोई कुछ कहे, लेकिन समस्त साध-संगत का विश्वास अडोल था और अडोल ही रहेगा। मैं गुरुग्राम सफाई महा अभियान में गया था। वहां जाकर रूह शांत हो गई। अब तो बस यही कामना है कि हमारे सतगुरु देह स्वरूप में जल्द ही हमारे बीच पहुंचे।
– परमजीत कौर इन्सां (गदराना)।

मैंने पूज्य गुरु जी के सभी चिट्ठियां सच-कहूँ के रूप में सहजकर रख रखी हैं। मेरे सतगुरु जैसा न तो कोई है और न कोई होगा। पूज्य गुरु जी ने करोड़ों लोगों को राम-नाम से जोड़कर बुराइयों से दूर किया। उनका ऋण हम अनेक जन्म लेकर भी नहीं उतार सकते। पूज्य गुरु जी ने चिट्ठी में साध-संगत को अपार खुशी व पावन आशीर्वाद भेजा है। कोई कुछ भी कहे मुझे केवल अपने गुरु के वचनों पर विश्वास है और हमेशा रहेगा। हम पावन गुरु ग्रंथ साहिब का आदर सत्कार पहले भी करते थे और भविष्य में भी करते रहेंगे। क्योंकि पूज्य गुरु जी ने हमें सभी धर्मांे का सत्कार करना सिखाया है।
– बलजिंदर कौर इन्सां (बडागुढ़ा)।

ये चिट्ठी नहीं सतगुरु का पावन आशीर्वाद है। पूज्य गुरु जी ने पहले भी कोरोना व किसान आंदोलन के लिए वचन फरमाए थे और अब भी यूक्रेन व रूस के बीच चल रहे युद्ध में शांति के लिए प्रार्थना की है। धन्य है पूज्य गुरु जी जो दूर बैठकर साध-संगत का ही नहीं अपितु पूरी दुनिया का फिक्र करते हैं। हम अनेक जन्म लेकर भी उनका ऋण नहीं उतार सकते। अब तो यही इच्छा है कि पूज्य गुरु जी देह स्वरूप में हमारे बीच आएं।
– अनिता रानी इन्सां (सिंघपुरा)।

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