परीक्षा के योद्धा

Story for Children
परीक्षाओं का समय नजदीक था। बस एक महिना बचा हुआ था। सभी छात्र अपनी तैयारियों में जुटें हुए थे। परीक्षाओं को लेकर सभी बड़े उत्साहित थे। क्लास के लगभग सभी बच्चों ने बढ़िया तैयारी की हुई थी। लास्ट बेंचर अमित, रोहित, कमल और शिवम बहुत परेशान नजर आ रहे थे। क्योंकि चारों दोस्त सालभर किताबों से कोसों दूर रहते थे। उन्हें बस मस्ती सूझती थी। क्लास में चारों की टोली खूब हुड़दंग मचाये रहती। वैसे तो चारों दोस्त पढ़ाई के अलावा अन्य सभी कामों में बहुत तेज थे। स्कूल का वार्षिकोत्सव हो या खेल महोत्सव सभी जगह इन्हीं चारों का श्रेष्ठ प्रदर्शन रहता था। स्कूल में सभी इनको अच्छे से जानते थे। प्रिंसिपल सर के साथ ही पूरा स्टाफ इन चारों को कभी शाबासी देता तो कभी इनकी हरकतों से परेशान होकर डांटता-डपटता था। लेकिन इस बार परीक्षाओं से पहले ये चारों बहुत डरे हुए थे।
इनकी तैयारी बिल्कुल बेकार थी। ये चारों उदास से रहने लगे थे। अब ये पहले जैसी शरारत भी नहीं करते। ना ही किसी को परेशान करते। जितेन्द्र सर दो-तीन दिनों से उन चारों को नोटिस कर रहे थे। वो सोच रहे थे कि ऐसा गजब कैसे हो गया। पिछले तीन दिनों से चारों में से किसी की भी कोई शिकायत नहीं आई। कोई ना कोई मामला जरुर है। जितेन्द्र सर क्लास में आये और उन्होंने लास्ट बेंच में बैठे चारों दोस्तों की ओर इशारा करते हुए कहा कि, ‘इंटरवल में तुम चारों मेरे केबिन में आकर मिलो।’ जितेन्द्र सर के बुलावे पर चारों दोस्त डर गए। वो सोचने लगे कि इस बीच आखिर उन चारों ने ऐसा क्या किया, जिसके लिए सर ने उन्हें अपने केबिन में बुलाया है। वो चारों इंटरवल में डरे सहमें जितेन्द्र सर के केबिन में पहुँचे।
सर ने चारों की ओर मुस्कुराते हुए देखा और पूछा, ‘क्या बात है, पिछले तीन-चार दिनों से तुम लोगों कि कोई शिकायत नहीं आ रही है। मैं नोटिस कर रहा हूँ कि तुम लोग उदास-उदास से रहने लगे हो।’ चारों ने एक स्वर में बोला, ‘सर वो एग्जाम।’ अरे एक-एक कर बताओ आखिर बात क्या है। ‘सर वो हमारे एग्जाम आने वाले हैं’, अमित ने कहा। रोहित बोला, ‘सर हम लोगों की बिल्कुल भी तैयारी नहीं है।’
‘हम एग्जाम कैसे पास करेंगे। अब बस एक महिना बचा हुवा है।’, कमल ने मासूमियत सा जवाब दिया। ‘हम लोग बस एग्जाम को लेकर डरे हुए हैं। अगर फेल हो गए तो घर पर बहुत डांट पड़ेगी।’, शिवम रुवांसा होकर बोला। जितेन्द्र सर ने जोर का ठहाका लगाया और बोले, ‘बस इतनी सी बात है। अरे एग्जाम पास करने का तरीका मैं तुम लोगों को बताता हूँ। क्या तुम चारों योद्धा बनना पसंद करोगे।’ योद्धा, कैसा योद्धा चारों ने आश्चर्य से पूछा। ‘अरे, परीक्षाओं का योद्धा। तुम चारों को परीक्षाओं का योद्धा बनान पड़ेगा। जैसे एक छोटी सी चींटी बड़े आत्मविश्वास को साथ लेकर मीलों की यात्रा कर लेती। समुद्री तूफान से नाविक नौका निकाल लेता है।
अन्तरिक्ष यात्री आसमान के कठिन रहस्यों को खोज लेता है। ठीक उसी तरह तुम चारों भी पूरे आत्मविश्वास के साथ परीक्षाओं की तैयारी करो। तो परीक्षा का युद्ध जरुर जीतोगे।’ जितेन्द्र सर की बातों से चारों में बहुत जोश आ चुका था। उन्होंने योद्धा बनना स्वीकार कर लिया। जितेन्द्र सर को थैंक्स कहकर वो अपनी क्लास में चले गए। एक महीने तक चारों ने कठिन मेहनत के साथ खूब पढ़ाई की। उसके बाद परीक्षा के समय आत्मविश्वास के साथ परीक्षाएं दी। और चारों अच्छे नम्बरों से पास हो गए। इस तरह चारों योद्धाओं ने परीक्षा का युद्ध जीत लिया।
-ललित शौर्य

 

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