विदेशों से आए छात्र बोले…या तो हमें अच्छी सुविधा दो, या घर भेज दो

सेक्टर-21 कम्युनिटी सेंटर में हैं क्वारंटाइन

(Students from abroad)

  • न सफाई और न नहाने की मिल रही सुविधा

संजय मेहरा/सच कहूँ गुरुग्राम। शुक्रवार को विदेशों से गुरुग्राम लाए गए छात्रों को यहां दुविधा हो रही है। जहां उन्हें क्वारंटाइन किया गया है, वहां न तो सफाई है और ना ही नहाने, धोने की सुविधा है। अब वे कह रहे हैं कि इससे अच्छा तो वे विदेश में ही सही थे। यहां सुविधा के नाम पर महंगे होटलों में रहने को कहा जा रहा है, जो कि बहुत महंगे हैं। होटलों में रूम शेयर नहीं करने की शर्त भी रखी गई है, लेकिन यहां कम्युनिटी सेंटर में एक ही छत के नीचे 19 युवाओं को रखा जा रहा है।

  • परेशान छात्र कह रहे हैं कि उन्हें अपने घर भेज दिया जाए।
  • वे वहीं पर क्वारंटाइन हो जाएंगे।

यहां सेक्टर-21 के कम्युनिटी सेंटर में विदेशों से लाकर क्वारंटाइन किए गए 19 हरियाणवी छात्रों में शामिल हिसार निवासी रोहित के अलावा अन्य जिलों से दीपक, अमित, लवप्रीत, रवि, केशव आदि ने कहा कि वे कल इंडिया यानी इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर दोपहर 12:30 बजे पहुंचे थे।

  • एयरपोर्ट पर जांच आदि होने के बाद गुरुग्राम के सेक्टर-21 कम्युनिटी सेंटर में करीब 02:30 बजे पहुंचे।
  • यहां पहुंचने के बाद जो अव्यवस्था थी, वह दुखद थी। यहां पर सफाई नहीं थी।
  • नहाने के लिए पानी तक नहीं था।
  • ना तो टॉयलेट में पानी और ना ही वॉश बेसिन में।
  • उनका कहना है कि वे विदेश में ही सही थे।
  • यहां पर पहले से भी कुछ लोग रखे गए हैं।

पैसे देकर रहने के लिए बताए ये नियम

पीड़ित छात्रों का कहना है कि उन्हें तीन आॅप्शन यहां रहने को दिए गए थे। पहला तो यह कि फोर स्टार होटल में अगर ठहरना है तो वहां 4000 रुपए प्रति कमरे का किराया और टैक्स अलग से लगेगा। ओयो रूम लेकर रहना है तो 2500 रुपए और टैक्स अलग से। साथ ही शर्त रख दी कि एक कमरे में एक ही व्यक्ति रह सकता है। तीसरा यह सरकारी कम्युनिटी सेंटर था। उन्होंने कम्युनिटी सेंटर चुना।

अगर इतना खर्चा करना होता तो आते ही नहीं

छात्रों ने कहा कि अगर वे इतना खर्चा अगर करते तो फिर वापस क्यों आते। 70-80 हजार रुपए में तो उनके वहां पर भी दो महीने कट जाते। छात्रों ने सवाल उठाए कि अगर यहां एक साथ 19 को रखा जा रहा है तो फिर होटल, गेस्ट हाउस में कम से कम 2-3 छात्रों को तो साथ रहने की परमिशन दें। वे अपना खर्चा बांटकर कर लेंगे। लेकिन यहां कोई सुनवाई नहीं हो रही। वे अपनी सुरक्षा के लिए अपने देश लौटे हैं। यहां पर उनके लिए ना तो कोई सुरक्षा ही है और ना ही सुविधा। यहां चाय देने वाला भी मास्क, ग्लब्जपहनकर नहीं आता।

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