Atiq Ahmed को मारने वाले तीनों आरोपी कौन है ? | खुल गई पूरी कुंडली | lovlesh Tiwari, Sunny, Arun

Atiq-Ahmed-

नई दिल्ली। माफिया से नेता बने Atiq Ahmed और पूर्व विधायक भाई अशरफ की शनिवार की रात हुई हत्या के मामले में शाहगंज थाने में तीन लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराया गया है। अतीक अहमद और अशरफ को उमेश पाल हत्याकांड में पूछताछ के लिए पुलिस ने 13 अप्रैल से 17 अप्रैल तक पुलिस रिमांड पर लिया गया था।

लवलेश तिवारी lovlesh Tiwari

लवलेश तिवारी बांदा में बजरंगदल से जुड़ा है। लड़की को थप्पड़ मारने के मामले में जेल भी गया था। सूत्रों के मुताबिक डॉन बनने के फेर में वारदात को अंजाम दिया था। लवलेश के पिता यज्ञ तिवारी ने बताया कि लवलेश नशेड़ी है और हमेशा नशे में ही रहता है। उन्होंने बताया कि लवलेश ने इंटर पास करने के बाद बीए में दाखिला लिया था। वह कभी-कभी ही बांदा आता है। उसका हमसे कोई मतलब नहीं है। लेकिन वह फेल हो गया। उसके बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी और छोटे मोटे अपराध करने लगा। उन्होंने बताया कि आज सुबह उन्होंने टीवी देखा तो पता चला कि उसने कुख्यात माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या कर दी है।

सनी सिंह हिस्ट्रीशीटर  Sunny

सनी सिंह भी हिस्ट्रीशीटर है। सनी सिंह पुत्र जगत सिंह का हमीरपुर के कुरारा थाने क्षेत्र में आपराधिक रिकॉर्ड मिला है। उस पर 17 मुकदमे दर्ज हैं। बताया जा रहा है कि सनी कुख्यात बदमाश सुंदर सिंह भाटी के संपर्क में था। सनी सिंह की माँ अपने मायके में रहती है तो वही पिता व एक भाई का देहांत हो चुका है। सनी सिंह का एक बड़ा भाई पिंटू सिंह का भी उससे पिछले कई सालों से कोई भी वास्ता नहीं है। वह कुरारा थाना क्षेत्र के राम लीला मैदान के पास रहता था। आरोपी हत्या का प्रयास, लूट जैसे संगीन अपराधो में लिप्त था। वह कई सालों से अपने घर नही आया है। पिछले 10 सालों से अपराध की दुनिया मे सक्रिय है।

अरुण मौर्या Arun

अरुण मौर्या कासगंज के सोरों जिले का रहने वाला है। उसका गांव का नाम बघेला पुख्ता है। अरुण के माता पिता की मौत हो चुकी है। अरुण मौर्य के चाचा-चाची लक्ष्मी से पुलिस ने पूछताछ की है। आधा कच्चा-पक्का मकान बना हुआ है। अरुण मौर्या का भी आपराधिक रिकॉर्ड सामने आया है। उसने जीआरपी के एक कॉन्स्टेबल की हत्या की थी। लवलेश तिवारी, अरुण मौर्या और सनी सिंह तीनो अलग अलग जिलों के रहने वाले हैं।

राजू पाल, उमेश पाल की मौत से अतीक का अंत

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के तत्कालीन नेता राजू पाल की हत्या के बाद से माफिया Atiq Ahmed के सितारे गर्दिश में पड़ गए और उमेश पाल की हत्या तो उसके ताबूत में आखिरी कील साबित हुई। राजू पाल की हत्या 25 जनवरी 2005 को राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के कारण हुई थी। यहीं से अतीक के सितारे गर्दिश में पड़ने शुरू हो गए थे। अतीक ने राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल को गवाही नहीं देने के लिए 2006 में अपहरण करवाया गया था। इस मामले में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को नामजद किया गया था।

राजू पाल के मुख्य गवाह उमेश पाल ने प्रदेश में बसपा की सरकार बनने के बाद 2007 में अतीक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करावाया था। वर्ष 2007 में अतीक फरार हो गया था। राजू पाल हत्याकांड की फाइल फिर खोली गई थी। उस समय अतीक सांसद थे, इसके बाद भी पुलिस ने उन पर 20 हजार का इनाम रखा था। बाद में 2008 में उसे दिल्ली के प्रीतमपुरा इलाके से गिरफ्तार कर प्रयागराज लाया गया था।

गत 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या में साबरमती जेल में बंद Atiq Ahmed, बरेली जेल में बंद अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, बेटो और नौ अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। उमेश पाल के अपहरण के 17 साल के बाद एमपी/एमएलए की विशेष अदालत पहली बार 28 मार्च को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी। इसी मामले में न्यायाधीश में दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद साक्ष्य के अभाव में असरफ को दोष मुक्त करार दिया था और उसी शाम को अतीक को साबरमती और अशरफ को बरेली जेल भेज दिया गया था।

उमेश पाल की हत्या के बाद अतीक का बचा हुआ परिवार भी तितर बितर हो गया। अतीक अहमद और अशरफ ,बेटा उमर और मोहम्मद अली पहले से जेल में बंद थे। तीसरे नंबर का बेटा असद और पत्नी शाइस्ता परवीन और परिवार के दूसरे सदस्य फरार चल रहे है। शाइसता पर 50 हजार का इनाम घोषित है जबकि असद पर पांच लाख रुपए का इनाम था। एसटीएफ के साथ 13 अप्रैल को झांसी में एक मुठभेड़ में वह मारा गया था।

Atiq Ahmed और भाई अशरफ को 13 अप्रैल को उमेश पाल की हत्या के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) दिनेश कुमार गौतम की अदालत ने मामले में पूछताछ करने के लिए पांच दिन के लिए 17 अप्रैल तक पुलिस रिमांड मंजूर किया था। 13 अप्रैल की शाम से ही एसटीएफ लगातार पूछताछ कर रही थी। इस दौरान उसने कई महत्वपूर्ण राज कबूले।

शुक्रवार की रात नियमित जांच के लिए उसे काल्विन अस्पताल ले जाया गया था। बेटे असद की एसटीएफ के साथ मुठभेड में मारे जाने को लेकर मीडिया द्वारा पूछे गये तीखे सवालों के जवाब में अतीक शांत दिखाई दे रहा था, जबकि अशरफ ने जवाब में कहा “ अल्लाह ने दिया था और अल्लाह ने वापस ले लिया।”

शनिवार की (15 अप्रैल) रात फिर फिर से नियमित जांच के लिए अतीक और असरफ को काल्विन अस्पताल ले जाया गया था। यहीं पर हमलावरों ने मीडियाकर्मियों के रूप में सवाल करने और उसके करीब पहुंच कर कल देर रात करीब 10.30 बजे कई राउंड गोली चलाकर अतीक और अशरफ के ताबूत में आखिरी कील ठोक दिया।

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