आदित्य-एल1 के लिए इंजीनियरों ने महीनों तक नहीं लगाया परफ्यूम

Aditya-L1
श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत के पहले सूर्य मिशन आदित्य एल-1 की रवानगी हो चुकी है।

बेंगलुरु (एजेंसी)। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत के पहले सूर्य मिशन आदित्य एल-1 (Aditya-L1) की रवानगी हो चुकी है। अगले 4 महीनों में भारत का पहला सूर्य यान पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर अंतरिक्ष से सूर्य का अध्ययन करेगा। इसरो का मानना है कि आदित्य एल-1 करीब पांच वर्षों तक सूर्य का बारीकी से विश्लेषण करेगा। यह सूर्य से लाखों किलोमीटर जरूर दूर रहेगा, लेकिन आदित्य एल-1 का अध्ययन भारत के आगामी मिशनों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

आदित्य एल-1 के जरिए पहली बार में ही इसरो के वैज्ञानिकों ने सूर्य मिशन के लिए कोई यान भेज लिया? इसके पीछे निसंदेह वैज्ञानिकों की वर्षों की मेहनत और लगन है। मिशन के शुरूआती दौर में ऐसी बातें भी थीं, जो आपको सुनने में अजीब लगे लेकिन, इन कामों ने मिशन को सफल बनाया। रिपोर्ट के मुताबिक, सौर मिशन के मुख्य पेलोड पर काम कर रही टीम के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को परफ्यूम लगाकर आने की सख्त मनाही थी। इसके पीछे वैज्ञानिक वजह है। भारत के पहले सौर मिशन आदित्य एल1 के मुख्य पेलोड का निर्माण करने वाली टीम थी- भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान की टीम। टीम में शामिल थे- वैज्ञानिक और इंजीनियर।

इन लोगों के लिए काम के दौरान परफ्यूम या किसी भी प्रकार की सुगंधित चीज लगाकर आने की मनाही थी। टाइम्स आॅफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा इसलिए क्योंकि इत्र का एक भी कण आदित्य के मुख्य पेलोड – विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) को तैयार करने के शोधकर्ताओं के काम को बाधित कर सकता था।

आईसीयू से एक लाख गुना साफ कमरा

इसरो ने सौर मिशन आदित्य-एल1 (Aditya-L1) के मुख्य पेलोड को तैयार करने के लिए बिल्कुल रोगाणुहीन वातावरण तैयार किया था। वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने इस दौरान बेहद क्लीनरूम में काम किया, ऐसा रूम कि अस्पताल के आईसीयू से 1 लाख गुना अधिक स्वच्छ। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि काम के दौरान टीम को क्या-क्या परेशानियां या सावधानियां बरतनी पड़ी होंगी। टीम के प्रत्येक सदस्य को संदूषण से बचने के लिए स्पेस मैन जैसे सूट पहनने पड़े और यहां तक कि अल्ट्रासोनिक सफाई से भी गुजरना पड़ा।

वजह क्या थी

वीईएलसी तकनीकी टीम के प्रमुख नागाबुशाना एस ने बताया, “इसे (क्लीनरूम) अस्पताल के आईसीयू से 1 लाख गुना ज्यादा साफ रखना पड़ता था।” हमने उच्च दक्षता वाले पार्टिकुलेट एयर फिल्टर, आइसोप्रोपिल अल्कोहल (99 प्रतिशत केंद्रित) और कठोर प्रोटोकॉल को फॉलो किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी बाहरी कण काम में व्यवधान उत्पन्न न करे।

यह भी पढ़ें:– गहलोत ने लोक कलाकारों का योजनाओं का पूरा लाभ लेने का किया आह्वान