एकाधिकार से गूगल इंडिया की मदद

भारत में कमजोर एंटी ट्रस्ट या एकाधिकार कानूनों के चलते इंटरनेट क्षेत्र की कंपनियां भारी कमाई कर रही हैं। वर्ष 2021 में केवल गूगल इंडिया ने भारत से 64 बिलियन रुपये वापस भेजे हैं। इसकी तुलना में माइक्रोसाफ्ट ने 9475 करोड़ रुपये अर्जित किए हैं। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने पाया है कि गूगल ने एकाधिकारी प्रतिस्पर्धा रोधी नीतियां अपनाई हैं जिसके चलते अन्य कंपनियां प्रतिस्पर्धा से बाहर हो गयी हैं और दो अलग अलग मामलों में गूगल इंडिया पर 2474.2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। गूगल इंडिया इस मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय में गई जिसने एक मामले में 1337.76 करोड़ रुपये के जुर्माने पर स्थगनादेश देने से इनकार कर दिया है।

इस मामले में गूगल पर आरोप है कि उसने एंड्रोइड सिस्टम तथा प्ले स्टोर नीतियों में अपनी सुदृढ़ स्थिति का दुरुपयोग किया है। न्यायालय के इस आदेश से इंटरनेट क्षेत्र की बडी कंपनियों द्वारा कदाचार को रोकने के बारे में कुछ आशाएं जगी हैं। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग का आदेश अक्तूबर 2022 में जारी किया गया था और यह इस बात का संकेत है कि बडी टेक कंपनियों द्वारा किस तरह देश से प्रति वर्ष अरबों रुपये लूटे जा रहे हैं। आयोग ने प्रतिस्पर्धा एकाधिकारवादी तथा प्रतिबंधित व्यापार प्रथाओं और संबंधित कानूनों में व्यापक बदलाव का आह्वान किया है।

भारत में एकाधिकार और प्रतिबंधित व्यापार प्रथा अधिनियम 1969 के स्थान पर प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2000 लाया गया और इसे सितंबर 2009 से लागू किया गया। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमन तथा एक प्राइवेट कंपनी ओएस लैब्स टेक्नोलोजी की ओर से प्रस्तुत हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने न्यायालय को बताया है कि गूगल भारत जैसे विकासशील देशों के विरुद्ध भेदभाव कर रहा है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के उल्लेखनीय आदेश से इंटरनेट क्षेत्र की बड़ी कंपनी गूगल को झटका लगा है क्योंकि वह प्रतिस्पर्धा के वातावरण को रोक रही है या उच्च लाभ अर्जित करने के लिए एकाधिकारी नीतियां लागू कर रही है।

यूरोपीय आयोग ने वर्ष 2020 में तीन मामलों में एंटी ट्रस्ट के उल्लंघन के लिए गूगल से 8 बिलियन यूरो का जुर्माना देने के लिंए कहा था। एक अन्य मामले में यूरोपीय आयोग ने पाया कि गूगल द्वारा गूगल शॉपिंग का पक्ष लेने से उपभोक्ताओं और नवाचारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। गूगल के विरुद्ध ऐसे अनेक मामले चल रहे हैं जिनमें से एक 2009 से माइक्रोसाफ्ट द्वारा चलाया जा रहा है। भारत यूरोपीय संघ के निर्णय से कुछ सबक ले रहा है।

ट्रंप प्रशासन द्वारा दायर अमरीकी न्याय विभाग के दावे में आरोप लगाया गया है कि गूगल ने सर्च इंजन और विज्ञापन में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए एंटी ट्रस्ट कानूनों का उल्लंघन किया है। सर्च इंजन के भारतीय प्रयोक्ताओं को इस कंपनी के कार्यकलापों से हुए नुकसान का केवल संकेत मात्र है। प्रयोक्ताओं का कहना है कि यह अन्य सिस्टम से पहुंच से उन्हें वंचित रखता है और याहू तथा अन्य गैर गूगल मेलिंग प्रणालियों के साथ भेदभाव करता है। इसके अलावा इसके प्रत्येक एप्लीकेशन प्रयोक्ता की महत्वपूर्ण व्यक्तिगत जानकारियों तक पहुंच की मांग करता है जो निजता, व्यक्तिगत सुरक्षा का उल्लंघन है अ‍ैर खतरनाक है।

इस बात की आशंका व्यक्त की जा रही है कि इस तरह के आंकड़ों से लाभ बढ़ता है और प्रत्येक प्रयोक्ता को भारी नुकसान होता है। दूरसंचार विभाग भी विभिन्न एप्प्स द्वारा व्यक्तिगत ब्यौरा, फोटोग्राफ और अन्य संवेदनशल दस्तावेजों तक पहुंच पर रोक लगा सकता है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने अक्तूबर 2020 की अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि उसने एंड्रोइड मोबाइल आॅपरेटिंग सिस्टम के गूगल लाइसेंसिंग की विभिन्न विधियों तथा गूगल के अनेक मोबाइल एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर, गूगल सर्च, गूगल क्रोम, यू ट्यूब आदि के लाइसेंसिंग की जांच की है।

Google Docs App sachkahoon

यूरोपीय आयोग ने एंड्राइड इको सिस्टम में गूगल द्वारा वर्चस्व स्थापित करने का पता लगाने के बाद यह निर्देश दिया था। यूरोपीय आयोग में गूगल के विरुद्ध अनेक शिकायते हैं जिनमें माइक्रोसॉप्ट द्वारा समर्थित इनफेडरेशन फाउंडर द्वारा 2009 से दायर शिकायत भी शामिल है। वर्ष 2010 से यूरोपीय संघ ने गूगल द्वारा यूरोपीय संघ के प्रतिस्पर्धा कानूनों का उल्लंघन करते हुए अपनी सुदृढ़ स्थिति के दुरुपयोग के कारण उसके विरुद्ध अनेक एंटी ट्रस्ट शिकायतों की जांच की है। ये शिकायतें गूगल शॉपिंग, एंड्राइड आॅपरेटिंग सिस्टम और गूगल एड सेंस के बारे में थी।

एक आॅनलाइन गूगल उत्तर के अनुसार एप्स प्रति वर्ष करोड़ों बिलियन डालर अर्जित कर सकते हैं साथ ही यह दावा करता है कि अधिकतर एप्स कोई पैसा अर्जित नहीं करते हैं। प्रत्येक वर्ष गूगल भारत से 64 बिलियन रुपये अर्जित करता है। वर्ष 2018 में उसने सर्वाधिक 94 बिलियन रुपये अर्जित किए। विश्व भर में गूगल ने 2016 में 19 बिलियन डॉलर अर्थात 3600 प्रति मिनट अर्जित किए। वर्ष 2021 में गूगल ने 76 बिलियन डॉलर अर्जित किए। यूरोपीय संघ का कदम आक्रामक गैर प्रतिस्पर्धी प्रथाओं पर रोक लगाने के लिए है। जिसके चलते गूगल को भारी लाभ हो रहा है।

जब भी गूगल के विरुद्ध ऐसे आदेश आते हैं तो वह इन आदेशों के कार्यान्वयन के लिए समय मांगता है। यूरोप और अमरीका में भी उसने ऐसा किया। उसके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने उच्चतम न्यायालय से उसके आदेश को लागू करने के लिए 45 दिन का समय मांगा है। उन्होंने कहा कि कंपनी को चार माह का समय चाहिए और कहा कि यूरोप में भी कंपनी को इसे लागू करने के लिए नौ माह का समय दिया गया है। इसका तात्पर्य है कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के आदेश और उच्चतम न्यायालय द्वारा इस पर स्थगनादेश देने के बावजूद उपभोक्ताओं को प्रतीक्षा करनी होगी।

पसंद आधारित सर्च इंजन प्रणाली फूल प्रूफ नहीं है क्योंकि यह आरंभ में डिवाइस सेट अप के समय पर ….शुरू की जाएगी और यह बात सिंघवी ने न्यायालय में भी बताई। उपभोक्ता जिन्होंने इसे एक बार चुन लिया है, वह इसे भविष्य में नहीं बदल सकता है। इसका तात्पर्य है कि उस पर कठोर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। अर्थात् भारतीय उपभोक्ताओं के समक्ष कोई विकल्प नहीं होगा।

चूंकि कंप्यूटर एप्लीकेशन को विभिन्न प्रकार की मशीनों में शामिल किया जा रहा है तो कंपनियों द्वारा ऐसे उल्लंघन खतरनाक बनते जा रहे है। टेस्ला ने इसका दुरुपयोग कार सिस्टम को लॉक करने तक के लिए किया और उसने इस सिस्टम को तब अनलॉक किया जब जबरन वसूली के रूप में उसने भारी प्रयोक्ता शुल्क वसूल किया। यह हस्तक्षेप बुनियादी कानूनों के विरुद्ध है। सूचना प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग अत्यधिक हो रहा है। भारत को नया एंटी ट्रस्ट कानून बनाना होगा ताकि सुरक्षित सर्च इंजन और संबंधित कंप्यूटर सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
(यह लेखक के अपने विचार हैं)

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