पंजाब की जेलों में ठूस-ठूस करे भरे कैदी

Punjab Jails, Over Crowded, Basic Amenities

पंजाब की जेलों में तय की गई संख्या की अपेक्षा 95 प्रतिशत तक अधिक
बंदी रखे गैर मानवीय हालातों में  | Punjab Jails

  • सरकार की कोई सुधारवादी नीति न होने के कारण बर्बादी का घर बनी जेलें

चंडीगढ़(अशवनी चावला)। पंजाब की जेलों (Punjab Jails) में रखे गए बंदियों की संख्या तय की गई संख्या की अपेक्षा 95 प्रतिशत तक अधिक है व इन जेलों में गैर मानवीय हालातों में रखे गए बंदियों के भविष्य को में सुधारने के लिए सरकार की कोई भी ठोस नीति नहीं है। उपरोक्त शब्द आज यहां एक प्रैस कान्फ्रÞेंस को संबोधित करते आम आदमी पार्टी पंजाब के जनरल सचिव एडवोकेट दिनेश चड्ढा, वक्ता एडवोकेट जसतेज सिंह और सुखविन्दर सिंह सुखी कैशियर ने आरटीआई की जानकारी के आधार पर मीडिया के सामने कहे।

इन जेलों में बंद हैं इतने कैदी | Punjab Jails

एडवोकेट चड्ढा ने कार्यालय अतिरिक्त डायरेक्ट जनरल आॅफ पुलिस (जेल) पंजाब से आरटीआई एक्ट अधीन के लिए जानकारी के मुताबिक बताया कि सैंट्रल जेल फिरोजपुर में 1100 तक पुरुष बंदी रखने की क्षमता है परंतु इस जेल में 1214 पुरुष बंदी हैं जो कि 114 (10 प्रतिशत) अधिक कैदी हैं। इसी तरह सैंट्रल जैल पटियाला में कुल 1688 पुरुष बंदी रखने की क्षमता है परंतु यहां भी 1790 बंदी होने के कारण 102 (6 प्रतिशत) अधिक कैदी हैं। सैंट्रल जैल अमृतसर में 1982 पुरुष बंदी रखने की क्षमता है परंतु यहां भी 3127 बंदी होने के कारण 1145 (57 प्रतिशत) अधिक कैदी हैं।

सैंट्रल जेल होशियार में 478 पुरुष बंदी रखने की क्षमता है परंतु यहां 819 बंदी होने के कारण 341 (71 प्रतिशत) अधिक कैदी हैं। जिला जेल संगरूर में 584 पुरुष बंदी रखने की क्षमता है परंतु यहां 843 बंदी होने के कारण 259 (48 प्रतिशत) अधिक कैदी हैं। जिला जेल रूप नगर में 338 पुरुष बंदी रखने की क्षमता है परंतु यहां 660 बंदी होने के कारण 322 (95 प्रतिशत) अधिक कैदी हैं। जिला जेल मानसा में 401 पुरुष बंदी रखने की क्षमता है परंतु यहां 691 बंदी होने के कारण 290 (72 प्रतिशत) अधिक कैदी हैं। सब -जैल पट्टी में 204 पुरुष बंदी रखने की क्षमता है परंतु यहां 262 कैदी हैं। सब -जैल फाजिल्का में 48 पुरुष बंदी रखने की क्षमता है परंतु यहां 64 कै दी हैं।

जेल में बंद कैदियों को नहीं मिल रही सुविधाएं | Punjab Jails

एडवोकेट चड्ढा ने कहा कि इतनी अधिक फाल्तू संख्या में कैदी रखने कारण जेलों में इन बंदियों की हालत गैर मानवीय बनी हुई है, क्योंकि इनकी संख्या सामर्थ्य से अधिक होने के कारण इन के लिए बढ़िया खाने -पीने, सफाई, स्वास्थ्य सुविधाएं व अन्य सुविधाएं मुहैया करवाना संभव नहीं है।

एडवोकेट चड्ढा ने कहा कि यहां ही बस नहीं पंजाब की जेलों में महिला बंदियों की संख्या भी क्षमता की अपेक्षा 84 प्रतिशत तक अधिक है। चड्ढा ने आंकड़े रखते बताया कि सैंट्रल जैल जालंधर (कपूरथला) में 120 महिला बंदियों की क्षमता है परंतु यहां 161 महिला बंदी होने के कारण 41 (34 प्रतिशत) अधिक महिला कैदी हैं। सैंट्रल जैल होशियारपुर में 45 महिला बंदियों की सामर्थ्य है परंतु यहां 51 महिला बंदी होने के कारण 6(13 प्रतिशत) फाल्तू महिला कैदी हैं। सैंट्रल जैल संगरूर में 66 महिला बंदियों की सामर्थ्य है परंतु यहां 98 महिला बंदी होने के कारण 32 (48 प्रतिशत) अधिक कैदी हैं। सैंट्रल जैल रूप नगर में 25 महिला बंदियों की क्षमता है परंतु यहां 46 महिला बंदी होने के कारण 21 (84 प्रतिशत) अधिक कैदी हैं।

जेलों में बंद अपराधियों को सुधारने के लिए सरकार नहीं अपना रही कोई ठोस नीति | Punjab Jails

एडवोकेट चड्ढा ने बताया कि राज्य की अलग -अलग जेलों से सूचना के अधिकार कानून के अंतर्गत हासिल जानकारी यह खुलासा करती है कि जेलों में बंद अपराधियों को सुधारने के लिए सरकार की कोई भी ठोस नीति नहीं है। इस बात का सबूत यह है कि सैंटर जेल लुधियाना ने जवाब दिया है कि इस जेल में अपराधियों को सुधारने सम्बन्धित कोई भी प्रोगराम नहीं है। इसी तरह अन्य जेलों ने भी अपराधियों को सुधारने सम्बन्धित कोई ठोस कार्यक्रम होने की पुष्टि नहीं की। सैंटर जेल पटियाला ने जवाब दिया कि इस जेल में सिर्फ एक योगा ट्रेनर जो कि खुद कैदी है जो 525 बंदियों को योगा की प्रशिक्षण देता है। जबकि इस जेल में कुल 1801 बंदी हैं।

अपराधियों को सुधार कर मुख्यधारा में लाने के लिए कौंसलर या धार्मिक ज्ञान
देने की जेल ने नहीं की पुष्टि | Punjab Jails

  • अन्य किसी भी जेल ने अपराधियों को सुधार कर मुख्य धारा के में लाने के लिए कौंसलर या धार्मिक ज्ञान देने की पुष्टि नहीं की।
  • जहां से यह साबित होता है कि जेलों में अपराधियों को सुधार कर मुख्य धारा में लाने संबंधी न तो सरकार गंभीर है व न ही सरकार की कोई नीति है।
  • एडवोकेट चड्ढा ने सरकार को सुझाव दिया है कि जेलों में बंद अपराधियों को सुधारने के लिए कोई ठोस नीति अपनाए नहीं
  • तो जेलों के में गैर मानवीय हलातों में बंदियों को रख कर उन के अपराधों को घटाया नहीं जा सकेगा।

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