कोरोना महामारी के बीच फ्रंट लाइन वर्कर बनकर काम करती हैं, नर्सिंग स्टाफ
- 21वीं सदी की इस महामारी के बीच दूसरी बार मनाया जा रहा विश्व नर्सिंग दिवस
गुरुग्राम(सच कहूँ/संजय कुमार मेहरा)। इसमें कोई दोराय नहीं कि किसी भी चिकित्सा संस्थान में नर्सिंग स्टाफ की अह्म भूमिका रहती है। चाहे निजी हो या फिर सरकारी अस्पताल, हर जगह नर्सिंग स्टाफ के जिम्मे मरीजों के स्वास्थ्य का भार होता है। तभी तो अस्पतालों के नाम भी अधिकतर नर्सिंग होम ही होते हैं। यह नर्सिंग स्टाफ के समर्पण, सेवा भावना को ही तो दर्शाता है। बेशक कभी आपको अस्पताल में किसी नर्स ने डांटा हो, फटकारा हो, लेकिन उन डांट-फटकार के पीछे उनका मर्म ह्दय भी होता है, जो कि मरीजों को शारीरिक के साथ मानसिक मजबूती देता है। इस नर्सिंग दिवस पर हम ऐसी नर्सों को सेल्यूट कर रहे हैं, जिन्होंने कोरोना महामारी के इस दौर में कोरोना संक्रमण से ठीक होकर फिर से अस्पताल में मोर्चा संभाला।
मरीजों की सेवा, परिवार की सुरक्षा भी जरूरी: पूनम सहराय
स्टाफ नर्स पूनम सहराय गुरुग्राम के सेक्टर-10 स्थित नागरिक अस्पताल में कार्यरत हैं। वे यहां सबसे पहले कोरोना संक्रमित होने वाली नर्स हैं। भले ही कोरोना संक्रमित होने के बाद कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा हो, लेकिन वे कहती हैं कि यह प्रोफेशन सिर्फ एक नौकरी नहीं बल्कि मानवता की सेवा का ऐसा माध्यम है, जो अन्य किसी क्षेत्र में नहीं है। कोरोना महामारी में डर के सवाल पर पूनम सहराय कहती हैं कि हां डर लगता है, लेकिन डर ड्यूटी से नहीं बल्कि बच्चों, परिवार के बीच घर जाने से लगता है। मरीजों की सेवा और परिवार को सुरक्षित रखना नर्स के लिए बड़ी चुनौती होती है।
मरीजों की सेवा सर्वोपरि: रितु मलिक
नागरिक अस्पताल सेक्टर-10 में स्टाफ नर्स रितु मलिक भी साल 2020 की लहर में कोरोना संक्रमित हो चुकी हैं। फिर भी उनका जज्बा पहले की तरह कायम है। ड्यूटी को फर्ज और फर्ज को सेवा समझकर वे करती हैं। रितु मलिक का कहना है कि जब इस प्रोफेशन में आ ही गए हैं। इंसानियत की सेवा को कदम बढ़ाया है तो फिर ज्यादा सोचना नहीं। उनका कहना है कि हर किसी को इस तरह का सौभागय नहीं मिलता। चिकित्सा क्षेत्र में इंसानियत की सेवा का सीधा मौका भगवान देता है।
नर्सिंग में आकर सेवा की सोच रखें: बबीता
स्टाफ नर्स बबीता कहती हैं कि नर्सिंग पेशे में आकर सिर्फ और सिर्फ सेवा की सोच रखें, भावना रखें। यह प्रोफेशन हर किसी को सेवा का ही संदेश देता है। महिलाओं का ह्दय वैसे भी कोमल होता है। ऊपर से इस प्रोफेशन में आकर उन्हें इंसानों की सेवा का जो मौका मिला है, वह भगवान का ही आशीर्वाद है। मरीजों को बीमारी से ठीक करने के साथ उनको मानसिक मजबूत देने का भी काम भी नर्स करती हैं। वे कहती हैं कि नर्स की ड्यूटी कभी खत्म नहीं होता। पहले परिवार और फिर अस्पताल में मरीजों की सेवा उसकी दिनचर्या होती है।
सेवा भावना वाले ही चुनें नर्सिंग: सरोज
स्टाफ नर्स सरोज कहती हैं कि नर्सिंग प्रोफेशन को वो ही चुने, जिनके भीतर सेवा की भावना हो। पॉजिटिविटी हो। क्योंकि अस्पताल में परेशान लोग आते हैं। उनसे प्रेम भावना से बात करके उन्हें स्वस्थ होने की काउंसलिंग भी हम ही करती हैं। मरीजों को सही करने में अपनी भूमिका हमेशा सही निभानी चाहिए। अपने प्रोफेशन के साथ सदा न्याय करना चाहिए। यह सिर्फ एक प्रोफेशन या नौकरी नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम हमें मिला है। किसी भी नर्स को कभी अपने काम में कमी नहीं छोड़ना चाहिए।
जिम्मेदारियों भरा काम है, नर्सिंग: जपिंद्र
स्टाफ नर्स जपिंद्र कहती हैं कि नर्स सिर्फ एक शब्द नहीं है, बल्कि यह जिम्मेदारियों भरा काम है। इस काम में हर कदम बेहद ही सावधानी के साथ रखना पड़ता है। क्योंकि नर्स के हाथों में मरीज का जीवन होता है। उसे क्या और कौन सी दवा कब देनी है, यह सब काम नर्सिंग का ही होता है। मरीजों के उपचार के साथ उनकी काउंसलिंग भी जरूरी होती है। यह नर्सिंग ही है, जो कि मरीज को दवा देने के साथ बातों से उनकी काउंसलिंग करके उनमें जीने की नई उम्मीद जगाती हैं। मरीजों के साथ आत्मीयता जताकर उनको परिवार के सदस्य की तरह ट्रीट करती हैं।
विपरीत परिस्थितियों में मजबूत रहें नर्स: सुमन
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली के ह्दय विभाग में कार्यरत नर्सिंग आॅफिसर सुमन कहती हैं कि यह ठीक है कोरोना महामारी खतरनाक है, लेकिन नर्सिंग प्रोफेशन ऐसी ही परिस्थितियों से जूझते हुए मरीजों की सेवा में तत्पर रहने की पे्ररणा देता है। नर्सें विपरीत परिस्थितियों में खुद को मजबूत रखें। नर्सिंग की जननी फ्लोरेंस नाइटिंगेल का धनी परिवार उनके नर्सिंग में आने के खिलाफ था, लेकिन घर में बीमार दादी की देखरेख करते-करते उन्होंने प्रोफेशनल तरीके से नर्सिंग सीखने का मन बनाया। फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जीवन यह बताता है कि मानवता की सेवा की भावना किसी भी परिवार के सदस्य में आ सकती है। उसे रोके नहीं, बल्कि उसका समर्थन करके आगे बढ़ने को प्रेरित करें। नर्सों को आदर दिलाने का श्रेय फ्लोरेंस नाइटिंगेल को जाता है।
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