बेजुबानोंं की जान बचाता है यह ‘इन्सान’

Virender Insan, Welfare Works, Dera Sacha Sauda, Saint Dr. MSG

आज बेजुबान ही हैं इनके सुख-दु:ख के साथी

सच कहूँ/ अनिल/ गोरीवाला।

‘जब जानवर कोई, इनसान को मारे, कहते हैं दुनिया में वहशी उसे सारे, एक जानवर की जान आज इनसानों ने ली है, चुप क्यूं है संसार…’ फिल्म हाथी मेरे साथी के इस गीत को आज भी यदि हम इतमिनान से सुनते हैं तो एकबारगी तो आंखें छलक उठती हैं, हमारे दिल में बेजुबानों के प्रति प्यार गहरा जाता है। कहते हैं इंसान के सबसे बेहतर व सच्चे दोस्त के तौर पर जानवर को ही माना जाता है। ये बेजुबान इंसान के ऐसे दोस्त होते हैं जो न कभी सवाल पूछते और न ही कभी आलोचना करते हैं। आज के जमाने में जहां इंसान दूसरे इंसान का बैरी है वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इन बेसहारा जीवों की जिंदगी बेहतर बनाने की अलख जगा रहे हैं।

आपको अपने आसपास ऐसे कई बेजुबान घूमते मिल जाएंगे जो जख्मी होते हैं या किसी बीमारी से तड़प रहे होते हैं लेकिन हम यह सोचकर अनदेखा कर देते हैं कि हमें क्या लेना-देना, हमने क्या इनका ठेका उठाया है? लेकिन एक शख्स ऐसा भी है जिसने सच में ही इन बेजुबानों के दु:ख-दर्द दूर करने का बीड़ा उठाया है। परिणामस्वरूप जुबान वाले तो क्या आज बेजुबान भी उनके मुरीद हैं। ऐसे ही सड़कों, गलियों में घूमते लावारिस पीड़ित पशुओं को फिर से स्वस्थ करने को अपनी जिंदगी का मिशन बना चुके इस शख्स की कहानी सुन आप भी हैरान रह जाएंगे।

हम बात कर रहे हैं जिला सरसा के खंड दारेवाला के गांव रामपुरा बिश्रोइयां निवासी विरेन्द्र इन्सां की। उन्हें जब भी ऐसे जख्मी, पीड़ित जानवर नजर आते, आंखें बह उठती, गला भर आता। उनके दिल में इन बेजुबानों के लिए टीस उभरी तो इनकी संभाल का बीड़ा उठाकर इनकी देख-रेख व उपचार कराना शुरू किया। पिछले 6 साल से बेजुबान जानवरों के हर दुख दर्द को बांटने में मशगुल विरेन्द्र सिंह इन्सां बेजुबानों को अपने घर में पनाह देकर बच्चों की तरह उनका दुख दर्द बांट रहे हंै।

बेजुबानों को ही बना लिया परिवार

आज विरेन्द्र इन्सां ने बेजुबानों को ही अपना परिवार बना लिया है। इस भागदौड़ भरी जिदंगी में जब इंसान अपनी इंसानियत को भूलता जा रहा है तो ऐसे में इन्सां परिवार समाज के सामने ऐसी मिसाल पेश कर रहा है जिसकी जितनी तारीफ की जाए वह कम है। इंसानी लापरवाही के चलते सड़क दुर्घटनाओं में घायल हुए बेजुबान को अपने बच्चों की तरह अपने घर में पनाह देकर उनका इलाज करने वाले विरेन्द्र इन्सां उन चुनिंदा लोगों में शामिल हंै, जिनके बल पर आज इंसानियत जिंदा है।

रामपुरा बिश्रोइयां और उसके आस-पास कहीं पर भी यदि कोई बेजुबान जानवर किसी भी परिस्थिति में घायल हो जाता है तो विरेन्द्र सिंह इन्सां शीघ्र ही उसकी जान बचाने के लिए पंहुच जाता है। यह इन्सां की इंसानियत का ही नतीजा है कि आज दर्जनभर बेजुबान जानवर ठीक होकर अपने पैरों पर चल रहे हैं। वर्तमान में वे बछड़ा का उपचार घर पर कर रहे हैं। बेजुबानों पशुओं का इलाज निरंतर सेवादार द्वारा किया जा रहा है, इन पर पूरा खर्च भी सेवादार स्वयं वहन करता हैं।

डॉ. एमएसजी से मिली प्रेरणा

विरेन्द्र इन्सां बताते हैं कि बेजुबान जानवरों की सेवा करने की प्ररेणा उन्हें डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ.गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां से मिली। पूज्य गुरु जी के पावन दिशा-निर्देशन में डेरा सच्चा सौदा द्वारा 133 मानवता भलाई के कार्य किए जा रहे हैं उनमें से एक कार्य जीव सुरक्षा भी है, जिसके अंतर्गत सड़क हादसों में घायल या बिमारी से पीड़ित पशुओं का इलाज करवाया जाता है।

 

 

 

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