ताइवानी खीरे की खेती ने बदली किसान की किस्मत

Taiwanee cucumber farming changed farmer fortunes

एक एकड़ में फसल उगाने पर आया 35 हजार खर्च

  • 2 लाख रुपये तक आमदनी होने की उम्मीद

पानीपत (सच कहूँ न्यूज)। अगर कोई किसान चाहे, तो खेती में नये-नये प्रयोग करके न सिर्फ खुद कामयाबी प्राप्त कर सकता है, बल्कि दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा भी बन सकता है। जैसा कि पानीपत जिले के गांव निंबरी निवासी युवा किसान विक्की मलिक ने किया है। उन्होंने परंपरागत खेती धान और गेहूं को छोड़कर सब्जियों की खेती से उपज बढ़ाने के लिए कई अभिनव तरीके अपनाकर मिसाल कायम की है। विक्की मलिक ने एक एकड़ भूमि में मात्र 35 हजार रुपये की लागत लगाकर ताइवान के रूचा खीरा की फसल उगाई। इसके बाद उन्होंने अपनी मेहनत और लग्न के साथ फसल की संभाल की और तीन माह बाद उन्हें अपनी मेहनत का फल मिला।

खीरे की फसल बेचने पर विक्की को दो लाख रुपये तक आमदनी की उम्मीद है। इस तरह विक्की मलिक ने किस्मत का रोना रोने की दकियानूसी सोच को पीछे छोड़ आधुनिक खेती की ओर बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया। विक्की बताते हैं कि सब्जियों की खेती के बारे में उन्होंने सीडलेस एक्सपर्ट दिनेश कुमार से सलाह मशवरा किया और उनके बताए टिप्स को फॉलो किया। सबसे पहले मिट्टी के बेड बनाकर रूचा किस्म के खीरे की फसल उगाई। उसने यह फसल दिसंबर के अंत में लगाई थी। इसके बाद मार्च के पहले हफ्ते से पैदावार शुरू हो गई। उन्होंने बताया कि उसी जमीन पर फिर से रूचीता ताइवान खीरा लगाएंगे। इस तरह दो बार खीरा लगाकर एक ही साल में तीन फसलें ली जा सकती हैं।

700 से 800 किलो प्रतिदिन पैदावार

विक्की मलिक बताते हैं फिलहाल रोजाना 700-800 किलोग्राम खीरे का उत्पादन हो रहा है। खीरे का बाजार में भाव 20 से 25 रुपये प्रति किलोग्राम मिलता है। 60 दिनों में 35 हजार रुपये की कमाई हो चुकी है। अभी दो माह तक और उत्पादन होगा, आशा है कि दो लाख रुपये तक की कमाई कर लूंगा।

ऐसी खेती में मोटी आमदनी

विक्की मलिक कहते हैं कि लीक से हटकर यदि खेती की जाए तो उससे दोहरा फायदा है, एक तो भूमि की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है, दूसरा आपकी कमाई बढ़ने के साथ-साथ कुछ नया सीखने को मिलता है। वे कहते हैं कि यदि किसान बे-मौसमी सब्जियों की खेती करें तो अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि इनमें कीट-रोगों का कम प्रकोप होता है। ऐसी फसल से कम क्षेत्र से अच्छी गुणवत्ता की अधिक पैदावार होती है।

क्या कहते हैं कृषि विज्ञानी

कृषि विज्ञान केन्द्र ऊझा के मुख्य विज्ञानी डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि ताइवान का रूचिता खीरा गहरे हरे रंग का होता है। इसे अच्छी तरह धोकर, छिलका उतारे बिना भी खाया जा सकता है। किसान यदि पुराने ढर्रे को छोड़कर आधुनिक खेती को अपनाएं तो आमदनी दोगुनी करने के साथ-साथ देश की तरक्की में सहायक बन सकते हैं।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।