जरूर पढ़ें , झूठे मुकदमे में महेन्द्रपाल बिट्टू की चिट्ठी

Mahendra Pal Bittu sachkahoon

महेन्द्रपाल बिट्टू की डायरी से सामने आई पंजाब पुलिस की काली करतूतें

पंजाब पुलिस ने अत्याचार कर लिखवाए थे बेअदबी के ब्यान

  • महेन्द्रपाल बिट्टू द्वारा लिखी गई 32 पेजों की डायरी आई सामने

सरसा (सच कहूँ न्यूज)। नाभा जेल में हुई महेन्द्र सिंह बिट्टु की हत्या से पहले महेन्द्र सिंह बिट्टु ने 32 पेज की डायरी लिखी थी। इस डायरी के आधार पर महेन्द्र सिंह बिट्टु की विधवा संतोष कुमारी ने माननीय उच्च न्यायालय में बिट्टु की हत्या की जांच सीबीआई या किसी निष्पक्ष एजेंसी से करवाने की गुहार लगाई है। इस डायरी में लिखा है –

 सात जून को मैंने पालमपुर में अपनी नई स्कूटी की कागजी कार्रवाई करवाकर वापिस अपनी दुकान जो चचिया नगरी में है, वापिस आते हुए मैंने अपने बेटे को फोन किया और कहा कि मुझे वापिस फिर अपने काम पर जाना है और रोटी बनवा दो। जब मैं वापिस अपनी दुकान से तकरीबन आधा किलोमीटर पीछे पुल बन रहा है, वहां गाड़ियां साईड से होकर गुजरती हैं। उस मोड़ पर 5-6 पुलिस कर्मचारी अपनी इनोवा गाड़ी खड़ी कर फटा-फट मेरी गाड़ी के पास आए और आगे की दोनों खिड़कियां खोल ली। मैंने पूछा कि आप कौन हो, मुझे क्यों रोका है। वह मेरे साथ धक्का-मुक्की करने लगे और कहने लगे कि हम पुलिस कर्मचारी हैं। एक अधिकारी ने अपना नाम लखवीर सिंह सीआईए जगराओं इंचार्ज बताया। वह कहने लगा कि हमें आपको गिरफ्तार करना है और पंजाब लेकर जाना है। मुझे ड्राईवर सीट से पीछे बिठा दिया गया और गाड़ी हरप्रीत एएसआई चलाने लगा। मैंने बहुत मिन्नतें की कि मेरी दुकान पर बता दो। मेरा परिवार आज ही पंजाब से आया है, उन्हें मेरी बहुत चिंता हो जाएगी। वह कहते हम अपने आप बता देेंगे। मेरी दुकान मेन रोड पर थी, बिल्कुल आगे से ही गाड़ियां निकली, लेकिन किसी ने रोकी नहीं। थोड़ी देर बाद मेरे फोन पर मेरे बेटे दविन्द्र का फोन आया, उस समय मुझे दूसरी गाड़ी में शिफ्ट कर दिया गया था, जिसमें आगे वाली सीट पर सरदार जी बैठे थे, मेरा फोन उस समय उनके पास था। मुझे उन्होंने पूछा कि जो कॉल आ रही है, यह किसका नंबर है। मैंने कहा, मेरे बेटा का है, आप उसे सबकुछ बता दो। उसने फोन होल्ड कर कहा कि यह फोन पालमपुर गिर गया था, जो कि मेरे पास है, आप पालमपुर से आकर ले जाओ। जब पालमपुर पहुंचोगे तो कॉल कर लेना, यह कहकर उन्होंने फोन स्विच ऑफ कर दिया। सरदार जी अधिकारी थे, कहते बिट्टू मुझे पहचाना? मैंने कहा नहीं, आप ही बता दो। वह कहता कि मैं इंस्पैक्टर दलबीर सिंह जो पहले बाजाखाना एसएचओ होता था, जब गुरदेव सिंह की मौत हो गई थी, आपने धरना लगाया था और वह अपशब्दों का प्रयोग करने लगा। एएसआई हरप्रीत और दलबीर सिंह दोनों … हम तुझे श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी वाले केस में लेकर जा रहे हैं। अगर तूं इस तरह ही मान जाए तो अच्छा है, नहीं तो पहुंचते ही तेरा जो होना है वह तेरे सामने आ जाएगा। दोनों ने बहुत ही मानसिक यातनाएं दी कि कबूल कर ले। तुझे कबूल करना ही पड़ना है। हमारे पास बहुत सुबूत हैं तेरे खिलाफ। मैंने उनकी बहुत मिन्नतें की कि मैं श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी को खुद मानता हूं, मैंने अपनी दुकान के मुहुर्त के समय में भी श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी का प्रकाश करवाया था और मेरी शादी भी श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी की पावन हजूरी में हुई है। मैं बहुत आस्था रखता हूं। मैं कभी ऐसा सोच भी नहीं सकता। अगर मैं चोर होता तो मैं मेन रोड़ पर दुकान नहीं करता व उस पर अपना नाम नहीं लिखवाता। रास्ते में एक जगह गाड़ी रोकी और मैंने कहा कि मैंने सुबह से खाना नहीं खाया और मैं बीमार आदमी हूं, मुझे कुछ खाना वगैरह खिला दो। इस बात पर हरप्रीत एएसआई ने गलत कमेंट किया। बोला जगराओं जाकर तुझे ऐसी रोटी खिलाएंगे कि तूं याद रखेगा। लगभग शाम 6 बजे शाम को जगराओं सीआईए 7-6-18 पहुंचे और पहुंचते ही दफ्तर में ले गए जहां सामने डीएसपी सुलखन सिंह और एसपी डी सोहल साहिब बैठे थे। मेरे खिलाफ एसपी सोहल ने काफी गाली-गलौच किया और बोला कि तू कबूल कर ले कि श्री गुरू ग्रन्थ साहिब आपने उठाया है। नहीं तो यहां से तुझे कोई जीवित नहीं ले जा सकता। वह मुझे कहता कि तुझे पालमपुर से यहां लाया गया है? मैंने कहा, हां जी, बोला आपके घर पर पता है?

मैंने कहा, नहीं। कहता किसी थाने में हिमाचल की एंट्री डाली नहीं। कहता यह हमारी एसआईटी की ताकत। तू विचार कर ले तेरे पास 5-10 मिनट हैं , नहीं तो फिर जो होगा तुझे जिंदगी में कुछ भी करने लायक नहीं छोड़ेंगें। तूने हमें पंजाब पुलिस को बहुत ही परेशान किया है, धरने लगाकर। अब हम देखेंगे कि तेरे पीछे कौन आता है? अब डेरे वालों को कहना कि तेरे पीछे धरने लगाएं। उसने बहुत ही गाली-गलौच की, कहा, बुला अब अपने धरनाकारियों को। 10 मिनट बाद उसने पुलिस कर्मचारी अंदर बुला लिए। जिनके आने पर डीएसपी सुलखन सिंह कहता, कि अपने सभी कपड़े उतार दे। मैंने पेंट और शर्ट उतारी। कहता अंडरवियर और बनियान भी उतार दे। उन्होंने मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया। कर्मचारी ने मुझे नीचे बिठा दिया और बालों से पकड़ लिया। एक कर्मचारी ने मेरी कमर में घुटना लगाया और 2 कर्मचारियों ने मेरी टांगें चौड़ी करनी शुरू कर दी। उन्होंने मेरी टांगें बहुत ही चौड़ी कर दी, जिससे मुझे बहुत अधिक तकलीफ हो रही थी। डीएसपी सुलखन सिंह डंडा जांघ पर मारता और कभी एसपी सोहल डंडा पैरों पर मारता। कहता लगाने हैं……….(अपशब्द) धरने, लेना है पुलिस के साथ पंगा। इसी तरह कभी छोड़ देते तो कभी कुछ समय बाद फिर से पीटने लग जाते।

कभी उसी तरह नग्न को कहते कि इसे बाहर भी इसी तरह लेकर जाओ। मेरा चलना मुश्किल हो गया था। अगर मैं नहीं चलता तो बाहर कर्मचारी चप्पलों से मारते। 11 बजे रात तक यह सब कुछ मेरा साथ होता रहा। उसके बाद मुझे दर्द वाली दवाई देकर कह दिया गया कि अब सो जा और सोच ले कि यह अपराध तुझे कबूल करना पड़ेगा। चाहे कितने भी दिन लग जाएं। 8-6-18 सुबह इकबाल सिंह एसआई जिस कमरे में मुझे रखा गया था, वहां आया और बोला कि बिट्टू कितने दिन मार खाएगा? कबूल कर ले अच्छा रहेगा। मानसिक तौर पर मुझे काफी परेशान किया गया और मुझे अपराध कबूल करने के लिए मजबूर किया जाता रहा। तकरीबन 10 बजे सुबह 8-6-18 फिर डीएसपी और एसपी साहिब दलबीर सिंह तीन अधिकारियों ने मुझे अंदर बुला लिया और फिर उसी हाल में मारना-पीटना शुरू कर दिया, दोपहर तक यही सब कुछ। करंट लगाना, गुप्तांग और कानों पर शुरू कर दिया। तो मुझे कहते कि तुझे डीआईजी साहिब से मिलवा देते हैं। तू उन्हें सब कुछ बता दे और वह तेरे पर पर्चे नहीं डालेंगे। तो मैंने हां कर दी। रास्ते में मैंने सोचा कि क्या कहूंगा। फिर गुरदेव सिंह प्रेमी की मौत याद आई। मौत के बाद उसकी पत्नी को डीआईजी परेशान करता था और एक गांव का लड़का डिफाल्टर उसे पहले भी पुलिस ने उठाया था। डीआईजी के घर मैंने गुरदेव और सुखविन्द्र का नाम बोल दिया।

डीआईजी ने मुझे कहा कि जीवित व्यक्तियों के नाम बता जो तेरे साथ रहते हैं, उन लोगों के नाम बता और मुझे कमरे से बाहर जाने के लिए कह दिया। मैं बाहर आ गया और थोड़ी देर बाद डीएसपी बाहर आ गया और मुझे कहता कि गाड़ी में बैठ। सभी अधिकारी बैठ गए हैं और उन्होंने मुझे पीछे बिठा लिया और कोठी से बाहर आते ही दलबीर सिंह और हरप्रीत सिंह ने मुझे पीछे बैठे हुए थप्पड़ों से बहुत मारा और सीआईए स्टाफ जगराओं ले आए। वहां पहुंचते ही फिर अंदर बुला लिया और अंदर मुझे गोपाल प्रेमी का नाम डालकर एक बयान पढ़ाया। बलजीत सिंह दादूवाल के साथ झगड़े के बारे और मेरे बारे बहुत ही अनाप-शनाप लिखा हुआ था। मुझे एसपी सोहल और डीएसपी सुलखन सिंह ने बयान पढ़कर कहा कि अगर आपने श्री गुरू ग्रन्थ साहिब नहीं उठाया तो उन दो लोगों के नाम बता, जो तेरेसाथ रहते थे और दादूवाल के साथ झगड़ा करने को तैयार थे। मैं चुप रहा। ऐसा कुछ नहीं है। उन्होंने फिर मुझे मारना-पीटना शुरू कर दिया। इंस्पैक्टर दलबीर सिंंह ने मुझे जबरदस्त करंट के झटके दिए। जो मुझसे बर्दाश्त नहीं हुए और मैंने दो प्रेमियों के नाम बोल दिए। सुखजिन्द्र सिंह (सन्नी) और नीला। मुझे उसके बाद नग्न अवस्था में सीआईए स्टाफ के ग्राउंड में चक्कर कटवाए गए और कहा कि जहां ये रूके इसे चप्पलों से पीटो। मुझसे बिल्कुल भी चला नहीं जा रहा था। वह सिपाही मुझे चप्पलों के साथ पीटते रहे। 9-6-18 सुबह सन्नी और नीला को लाया गया।

जोकि मुझे नहीं मिला। मुझे अलग कमरे में इनके चीखने की आवाजें सुन रही थी। तकरीबन 11 बजे मेरे पास जगदीश लाल इंस्पैैक्टर जो सीआईए इंचार्ज मानसा है, वह मुझे जानता था और डीआईजी खटड़ा का रीडर था गुरदेव सिंह की मौत के समय। वह मुझसे पूछताछ करने लगा। कहने लगा, बिट्टू सही बात बता। तुमने यह काम किया भी है? या फिर जूत्तियों के डर से कबूल कर रहे हो। मुझे (जगदीश लाल) डीआईजी साहब ने कहा भई तू पूछ सही बात। मैंने (महिंद्रपाल) बताया कि साहब मैं अपने परिवार की कसम खाकर कहता हूँ कि हमनें कोई गलत काम नहीं किया। हमारे साथ बहुत ही नाजायज हो रहा है। मैं बिल्कुल भी ऐसा नहीं सोच सकता। इतने में वहां हरप्रीत एएसआई आकर पास बैठ गए। दोनों आपस में बातें करने लगे। जगदीश लाल कहता इस बात में से कुछ भी नहीं निकलना, पहले की तरह होना है। बंदे तो मेरी रडार (निगाह) में थे। हमें ऊपर से हरी झंडी नहीं मिली। एएसआई हरप्रीत ने उसकी हां में हां मिलाई। दोनों बातें करते हुए कमरे से बाहर निकल गए। थोड़ी देर बाद इंस्पैक्टर दलवीर सिंह और तीन और पुलिस कर्मचारी को साथ लेकर मेरे पास आ गया।

वो कहने लगा कि अब तूं मुकर रहा है, मुकर जा। इंस्पैक्टर ने कर्मचारियों को कहा कि इसके हाथ पीछे बांध दो और उनमें से एक के हाथ में डंडा था और दो के पास चप्पलें, और कहता कि चप्पलों से इसका सिर पीटना शुरू कर दो और डंडे के साथ इसकी टांगें। इससे कुछ नहीं पूछना, इसे तब तक मारो जब तक यह अपने आप न कह दे कि हमनें ही गुरू ग्रन्थ साहिब उठाया है। वह बहुत जोर-जोर से मेरे सिर और पैरों पर चोट मारने लगे। मेरे सिर का मास भी निकलने लगा था। दलबीर सिंंह ने एक थानेदार को बुलाया और कहा कि पेट्रोल और सिरिंज लेकर आओ, वह लेकर आ गया। वह ऊंचा लम्बा भारी सा सरदार था। दलबीर ने मुझे मेरे सारे कपड़े उतारने के लिए कहा और सिरिंज पेट्रोल की भरकर मेरे गुप्तांगों पर डालने लग गया। जिसके साथ मैं तड़पने लगा और वह ऊपर से वह मेरी चप्पलों के साथ पिटाई कर रहे थे मैंने उनसे माफी मांगी और कहा कि अब नहीं मुकुरूंगा। इसके बाद फिर वो मुझे पीटने से रूक गए और मुझे कपड़े पहना दिए गए। थोड़ी देर बाद वह सरदार जी थानेदार आया। उसने मुझे फिर से पीटना शुरू कर दिया और कहने लगा कि तूने हमारे धर्म की बेअदबी की है। मैं तुझे जान से मार दूंगा, इसके बदले चाहे मुझे सजा ही क्यों न हो जाए, मुझे कोई फिक्र नहीं। वह बहुत ही गुस्से में आ गया और बाहर से बोतल पेट्रोल की भर लाया।

कहता तुझे पूहले निहंग की तरह जिंदा जलाना है। उसने वह सारा पेट्रोल मुझ पर डाल दिया और मैंने चीखें मारनी शुरू कर दी और वह थानेदार माचिस ढूूंढने लगा। मेरी चीखें सुनकर बाहर से 2-3 पुलिस कर्मचारी आए और उसे पकड़कर रोका और इसके बाद फिर उन्होंने मुझे नहलाया 10-6-18 को दो बार बहुत ही पीटा गया और जब 10-12 प्रेमियों को पकड़कर लाया गया तो उन्हें भी इसी तरह टॉर्चर किया गया और 11-6-18, 12-6-18 दो दिन तक यही सिलसिला चलता रहा। 13-6-18 को मुझे अंदर बुलाया, जहां डीआईजी रणबीर सिंह खटड़ा और एसपी सोहल एसएसपी सुखजिंद्र सिंह मान, डीएसपी सुलखन सिंह, दलबीर सिंह इंस्पैक्टर, लखवीर सिंह इंचार्ज जगराओं और सीआईए अधिकारी भी बैठे थे। मुझे कहते, जो आदमी हमने पकड़े हैं, उन्होंने सब कुछ कबूल कर लिया है। बाकी श्री गुरू ग्रन्थ साहिब के पन्ने कहां हैं? मैंने कहा कि मुझे इस बारे में कुछ भी नहीं पता, जिन्होंने कबूल किया है, आप उनसे पूरे करवा लें। यह सुनकर डीआईजी खटड़ा ने कहा कि अभी तुमसे इसकी पूरी धुलाई नहीं हुई है। एसपी सोहल ने कहा कि सभी कपड़Þे उतार दे, मैंने सभी कपड़े उतार दिए। मेरी पहले ही बहुत ही बुरी हालत थी और उसने और कर्मचारी बुला लिए और उन्होंने आते ही मेरे हाथ बांध दिए और मेरे पैरों पर जबरदस्त करंट लगाया।

मेरी जीभ पर मेरे दांत चुभ गए। उन्होंने मेरी बहुत ही बुुरी हालत कर दी। डीआईजी ने कहा, बाहर निकाल दो इनको। उन्होंने मुझे बिल्कुल नग्न अवस्था में हाथ पीछे बांधकर बाहर के चक्कर कटवाए और फिर वापिस उसी कमरे में छोड़ दिया। उसके बाद एसएसपी सतिन्द्र सिंह खन्ना भी आए हुए थे। वह मुझे एक कमरे में अकेले ले गए और मेरे साथ बातें करने लगे वह कहते कि झूठी कसम नहीं खाता। तूं अपने बच्चों की कसम खाकर बता कि यह काम तूने किया है या फिर तूं ये सब मारपीट के डर से कबूल रहा है। तो इस पर मैंने कहा कि मैं अपने तीनों बच्चों की कसम खाकर कहता हूं कि मैं श्री गुरू ग्रन्थ साहिब में पूरी श्रद्धा रखता हूं और ऐसा सोच भी नहीं सकता। मैंने यह काम नहीं किया। इतना सुनकर वह मेरे पास से उठकर चले गए और वह थोड़ी देर बाद मेरे पास इंस्पैक्टर दलबीर सिंह और हरप्रीत सिंह एएसआई आए। वह कहने लगे कि तूूं कितनी देर तक और मुकरेगा। पंजाब में प्रेमियों पर 150 केस हैं और तुझे हम जितनी देर चाहें रिमांड पर रख सकते हैं। तेरे बच्चों का क्या हाल होगा, वह तूं सोच भी नहीं सकता। तेरे बेटी पर भी मामले दर्ज करेंगे। उन्होंने मुझे मानसिक तौर पर बहुत ही टॉर्चर किया और बाद में उन्होंने मुझे अंदर बुला लिया। डीआईजी और एसपी कहने लगा कि इसकी वह हालत करो, इससे अब कुछ भी पूछना नहीं और इसे इतना मारो कि यह अपने आप ही बताएगा। फिर गुप्तांग में करंट और ऊपर से चप्पलों से पिटाई की। इंस्पैक्टर लखबीर सिंह ने मेरी टांगों पर लाठियां मारी। जिससे मेरे पैर जख्मी हो गए। दर्द न सहन करते हुए मैंने कह दिया कि मैंने श्री गुरू ग्रन्थ साहिब नहर में फैंक दिए थे।

सभी अधिकारी हंसने लगे और कहने लगे कि अभी भी तू झूठ बोल रहा है। वो कहने लगे ग्रन्थ तेरे पास है या फिर तूने कहीं और फैंक दिया। जब पुलिस कर्मचारी मुझे नहर के पास लेकर जा रहे थे, निशानदेही करवाने के लिए, तो उन्होंने अपनी गाड़ियां रोक ली और डीआईजी साहिब मेरी गाड़ी के पास आ गए और सभी को एक तरफ कर दिया और कहने लगे कि ऐसे ही मुझे नहर पर तूं लेकर जा। मुझे मेरे इष्ट की कसम खाने को कहा, मैंने कह दिया कि नहीं मैंने नहीं फैेंका, उन्होंने गाड़ियां मोगा सीआईए स्टाफ की तरफ मोड़ ली और मोगा ले आए , वहां मोगा एसएसपी राजजीत सिंह हुुंदल मौजूद थे। उन्होंने अपने हाथों में डंडा पकड़ लिया और उन्होंने डंडों से मेरे नाखुन तक तोड़ दिये। मैंने उनकी बहुत ही मिन्नतें की कि मेरे पहले ही बहुत मार पड़ चुकी है, मैं बीमार आदमी हूं, मुझे अब और न मारो, आप मेरे घुटनें तो न तोड़ो।

यह डुप्लीकेट है, खराब हो जाएंगे। वह कहने लगे कि तेरे को जिंदा नहीं छोड़ना है, तूने पुलिस को बहुत ही परेशान किया है तो अब तूने अपने घुटने बचाकर क्या करना है। एसपी सोहल और एसएसपी मोगा ने मुझे मानसिक तौर पर बहुत ही टॉर्चर किया। एसएसपी फरीदकोट को फोन कर दिया कि इसकी बेटी और बेटा और पुत्रवधू सभी को घर में बंद कर दो, जब हम कहेंगे, तब उनको यहां पर लाना है। मुझे कहते तेरे सामने तेरी बेटी…. मैं वो शब्द लिख नहीं सकता। इन्होंने दो दिन 14-15 तारीख को मुझे इतना मानसिक तौर पर परेशान किया कि मैं हार गया और वह जीत गए तो इस दौरान वह जो-जो भी कहने लगे,उनमें मैं हां-हां करता रहा। 16, 17, 18 तीन दिन हमारे बयान आपस में मैच नहीं हो रहे थे। फिर इकबाल सिंह एसआई और सुलखन सिंह डीएसपी दोनों का यही काम हो गया कि अलग-अलग लोगों के पास बैठकर खुद बताकर मुझे भी बातें बताई और उन्होंने मुझ पर प्रेशर डाला कि डेरे वाले लोगों का नाम बोल दे तेरी बचत कर देंगे।

एक दिन 90 साल के बुजुर्ग इंस्पैक्टर को साथ लेकर डीआईजी साहिब आए और सभी अधिकारी कमरे में से बाहर निकाल दिए और खुद भी बाहर चले गए। वह (डीआईजी) कहता, यह मेरे उस्ताद (90 वर्ष के बुजुर्ग) हैं इनको सारी बात सच-सच बता दे। तब मुझे बहुत ही बुखार था और मुझसे बैठा भी नहीं जा रहा था। उस बुजुर्ग ने मुझे 6 घंटे मैंटली टॉर्चर किया। वह कहने लगा, यह पर्चा तो तेरे पर हो गया, और तेरी बेटी पर भी होगा और बाकी तेरे परिवार को भी कट्टरपंथी मार देंगे। उसने मुझे बहुत ही टॉर्चर किया।

वह कहने लगा कि तू बता दे कि तूने गुरू ग्रन्थ साहिब कहां फैं का है। मुझे समझ नहीं आ रही थी कि अब मैं क्या कहूं, इनसे अपनी जान कैसे बचाऊं। उनका जो प्लान था, वह मेरे समझ न आया। मैंने कह दिया कि मैंने संस्कार कर दिया। फिर वह बुजुर्ग चला गया और फिर से मेरे साथ मारपीट होनी शुरू हो गई। उससे अगले दिन वह बुजुर्ग फिर से मेरे पास आया और उसने फिर से मुझे मानसिक तौर से परेशान करना शुरू कर दिया। फिर अधिकारी कहने लगे कि इसने किसी गंदी जगह पर ग्रन्थ फैंका है, जो यह सही नहीं बता रहा। तो मैंने उनकी बात सुनकर कह दिया कि मैंने ग्रन्थ सीवरेज वाले गंदे नाले कोटकपूरा देवी वाला रोड़ में फैंक दिया था और जिल्द अपनी दुकान पर लाकर जला दी थी। उस समय तो वह उस बात को मान गए। वह कहने लगे कि अब तू सही जगह पर आया है और सुबह 5 बजे मुझे उस जगह पर निशानदेही के लिए ले जाया गया। उन्होंने उतनी जगह जमादार से खाली करवा ली।

वहां डीआईजी सहित सभी अधिकारी मुझे गंदी-गंदी गालियां निकालने लगे। वह कहने लगे, कि अब बता कि तूनें ग्रन्थ कहां फैंका है। यहां डीआईजी और एसपी सोहल कहने लगा कि इसको (महेन्द्रपाल बिट्टू) को गंदे नाले में लेकर जाओ, सीवरेज वाली गंदगी में से पुली के नीचे से निकालो, मुझे हत्थकड़ी लगी हुई थी और एक सिपाही मुझे खींच रहा था और इस दौरान उन्होंने मेरी तस्वीरें भी खींची। गंदगी में से गुजरने के बाद मेरी हालत बहुत ही खराब हो गई। फिर से मुझे वापिस लाया गया और मुझे नहाने के लिए कहा गया। उसके बाद दोपहर के समय हरप्रीत एएसआई मेरे पास आया और मुझे डराने लगा। उसने मेरे साथ बहुत बातें की, उनमें से कुछ बातें अभी मुझे याद नहीं हैं। वह मुझे कहता कि तूने अभी तो कुछ भी नहीं देखा है कि पुलिस कहां तक जा सकती है, कोई जरूरी नहीं, हमनें तुझे ऑन रिकॉर्ड रिमांड पर ही रखना है, हम अपने दो सिपाहियों को सस्पैंड कर देंगे, किसी मोटर पर बाहर खेत में ले जाएंगे और चाहे 15 दिन वहीं रखें। बाहर से भईए-बिहारी बुलाकर तेरे साथ गलत काम करवाएंगे। तुझे बाद में मार देंगे, अब तेरे पास एक ही रास्ता है कि जैसे पुलिस कहती है, तू वैसे ही कर।

पुलिस ही तेरी जान बख्श सकती है। सुलखन सिंह डीएसपी आ गया और दोनों अधिकारी मुझे कहते कि तुझे डीआईजी के साथ मिलवाना है और तू कोर्ट में कबूलनामा कर ले, तेरी सजा कम करवा देंगे और तूं पुलिस के अत्याचारों से भी बच जाएगा। मुझे डीआईजी के साथ 18-6-18 को मिलवाया गया। डीआईजी कहता अगर तूू कबूलनामा करता है तो तेरे पर और पर्चे पंजाब में नहीं डालेंगे। एसपी सोहल ने कहा कि अगर तूने मना किया या फिर बयान बदलने की कोशिश की या फिर तू हाईकोर्ट जाएगा तो 100 पर्चे हैं, 6 महीने थानों में ही रिमांड पर रखेंगे। इस पर मैंने कह दिया कि मैं कबूलनामा कर लूंगा। फिर डीएसपी सुलखन ने मुझे कागज-पेन दिया और एप्लीकेशन सुपरडैंट के नाम लिखवाई, जिसमें लिखा गया कि मैं अपने जुल्म का कबूलनामा करना चाहता हूं , मुझे कृपा करके कोर्ट में भेजा जाए। उन्होंने मुझे समझा दिया गया कि जब तुझे जेल से छोड़ेंगे तो तब तू सुपरडैंट साहिब को यह एप्लीकेशन दे देना ।

साथ ही डीएसपी सुलखन सिंह और एएसआई हरप्रीत सिंह ने मुझे कहा कि डीआईजी साहिब के जेल मंत्री रंधावा साहिब भाई बने हुए हैं, अगर तूं सहयोग करके चलेगा तो तुझे धर्मशाला जेल में शिफ्ट करवा देंगे। अगर तूने कोई गलती की तो तुझे नाभा हाई सिक्योरिटी जेल भेजेंगे। डीआईजी की इतनी चलती है कि रंधावा साहिब करके हाई सिक्योरिटी जेल भेजा जाएगा, जहां बड़े-बड़े आतंकवादी बैठे हैं, जो तुझे मार देंगे। अब तूू खुद ही सोच ले कि अगर सीआईए स्टाफ में से एक थानेदार तेरे ऊपर पैट्रोल डाल सकता है तो जेल में तेरा क्या हाल होगा? डीएसपी सुलखन ने माझी के दीवान बारे और दादू को मारने के बारे में दो बयान अपनी मर्जी से लिखवाए और तीन खाली कागजों पर मेरे हस्ताक्षर करवाए गए और कहा गया कि अगर तू किसी भी बात से मुकरता है तो तेरे यह हस्ताक्षर तेरे परिवार के लिए मौत से कम नहीं होंगे।

19 तारीख को जब हमारा रिमांड खत्म हुआ यानि 12 बजे लोकल मोगा होते हुए भी हमें वीडियो कॉन्फैं्रसिंग (वीसी) के द्वारा पेश किया गया। पेश करने के बाद हमारे आॅर्डर जेल भेजने के हुए, लेकिन फिर भी हमें सीआईए मोगा लाया गया। वीडियो कॉन्फैं्रसिंग महिणा थाना, मोगा में हुई थी और दलबीर सिंह इंस्पैक्टर ने मुझे बुलाया। वह कहने लगा कि तूं किसी तरह अपने बयानों पर कायम नहीं है, क्योंकि मुझे डीएसपी का स्टार लगना है, अगर तू सीबीआई के पास या फिर कोर्ट में बदला तो अपना हाल देख लेना कि क्या होता है, तूं पुलिस के हाथ देख चुका है। इसके बाद शाम 6 बजे हमें फरीदकोट जेल ले गए, जहां पहुंचकर 9 लोगों को अंदर भेज दिया और मुझे अकेले को वहीं बिठा लिया गया, क्योंकि मेरी जेब में एप्लीकेशन थी। मुझे डीएसपी की ओर से कहा गया कि तूने जाते ही सुपरडैंट को एप्लीकेशन देनी है। मुझे पुलिस कर्मचारियों ने एक तरफ बैठा दिया। जेल सुपरीडैंट के पास एसपीडी मोगा जाकर बैठ गए और मुझे थोड़ी देर बाद ही अंदर बुला लिया गया और एसपीडी ने इशारा किया और मैंने एप्लीकेशन निकालकर सुपरीडैंट को दे दी।

सुपरडैंट साहब एप्लीकेशन पढ़कर मुझे कहने लगे कि तुझे सुबह भेज देंगे और उस रात मुझे अकेले अलग बैरक (चक्कियों) में रखा गया। 9 लोगों को अलग से रखा गया। हमें आपस में बिल्कुल भी मिलने नहीं दिया गया। सुबह 20-2-2018 को तकरीबन नौ बजे मेरे पास जेल कर्मचारी आए और कहते कि ड्यिूडी चलो, आपको बुलाया है। मैं उस समय काफी परेशान था, दर्द के साथ तड़प रहा था, उठकर उनके साथ आया। आगे वह मुझे सुपरीडैंट के कमरे में ले गए, जहां पहले से ही एएसआई हरप्रीत बैठा था। कार्यालय में और कोई नहीं था। हरप्रीत ने दो कप चाय मगंवाई और मुझे भी पिलाई और कहने लगा कि मैं रात से फरीदकोट में ही हूं, तेरे पीछे मैं घर भी नहीं गया। फिर वह मुझे डराने लगा कि कोर्ट में तूं कोई गलती मत कर बैठना। तुझे हमारी एसआईटी की पहुंच का पता चल ही गया होगा, अगर कोई तूने गलती की तो फिर तूं सोच भी नहीं सकता कि तेरे ऊपर कितने पर्चे डाले जाएंगे। उसके बाद मुझे हत्थकड़ी लगाकर बाहर लाया गया। मैंने देखा कि फरीदकोट की गारद के साथ मोगा पुलिस भी शामिल थी। मुझे गाड़ी में बैठा लिया गया और साथ ही हरप्रीत भी बैठ गया। वह रास्ते में एक ही बात कहता रहा और व्हाट्सएप पर डीआईजी के साथ बात भी करवाई। उन्होंने कहा कि कायम होकर बयान दे देना तेरी सजा मैं कम करवा दूंगा। जब हम मोगा कोर्ट पहुंचे तो वहां छुट्टी होने के कारण पुलिस पार्टी के अलावा और कोई आदमी वहां मौजूद नहीं था।

जब हम वहां पहुंचे तो गाड़ियां रूकी। मुझे गाड़ी में ही बैठने के लिए कहा गया। थोड़ी देर बाद मोगा के एसएसपी और एसपीडी आ गए, जिस गाड़ी में मैं बैठा था, एसएसपी ने उस गाड़ी में से सभी कर्मचारियों को उतार दिया और मेरे साथ आकर बैठ गए। वे कहने लगे कि अब तू सोच ले कि तेरे पास पुलिस के अलावा और कोई बचाव नहीं है, तेरा सारा परिवार हमारे कब्जे में है, तेरे घर के बाहर सिक्योरिटी लगी हुई है, अब अगर तूने कोई भी गलती की तो हम तेरे परिवार को कट्टर पंथिंयों के हाथों मरवा देंगे। अगर तूने कबूलनामा सही कर लिया तो तेरे परिवार की भी रक्षा करेंगे और तेरी सजा भी कम करवा देंगे। फिर मुझे कोर्ट के अंदर लाया गया। एक ही कोर्ट खुली थी, जिस कमरे में कोर्ट थी उसके बाहर दलबीर सिंह इंस्पेक्टर एक लैपटॉप लेकर बैठा था।

मेरी हथकड़ी खोल दी और दलबीर सिंह के पास बिठा दिया। दलबीर सिंह ने अपना लैपटॉप चालू किया व मेरा हाथ लिखित कबूलनामा जो उसके मोगा सीआईए स्टॉफ में लिखवाया था व लैपटॉप में फीड किया हुआ था, वह मुझे पढ़ाया। वह बोला इसे अच्छी तरह पढ़ ले, इसी तरह ही जज साहिब के पास ब्यान लिखवा देना। दलबीर सिंह ने मुझे कहा कि सामने देख, सामने हथियारबंद मुलाजिम खड़े थे। वह बोला आज यदि कोई बातचीत की तो तुझे रास्ते में शूट कर दिया जाएगा यानि जान से मार दिया जाएगा और भगौड़ा करार दे देंगे और तूं जेल भी नहीं पहुंचेगा। मुझे काफी डराने के बाद हरप्रीत अंदर ले गया और हम कुर्सी पर बैठ गए। थोड़ी देर बाद जज साहिब ने मुझे अंदर बुलाया व मेरे ब्यान लिखे। ब्यान अभी पूरा नहीं हुआ था कि मैंने जज साहिब को अपने जख्म दिखाए कि मुझे पुलिस ने बहुत पीटा।

अभी मैं जख्म दिखा ही रहा था कि इतने में एसपीडी मोगा अंदर आकर मेरे बराबर बैठ गए व मुझे बाहर निकाल दिया व बाहर आकर मुझे गॉड़ी में बिठा लिया। एसएसपी भी मेरे पास आकर बैठ गए। वह मेरे सामने कह रहे थे कि जो भी इसने ब्यान दिए हैं उसकी एक कॉपी मुझे जरूरी लाकर दें। इसके बाद मुझे दलबीर सिंह व हरप्रीत सिंह ने कहा कि यदि सीबीआई के पास तूने यह बताया कि मेरे साथ इस तरह हुआ है तो फिर अपना हिसाब लगा लेना। इसके बाद मुझे जेल में छोड़ दिया और 9 साथियों के साथ मिलवा दिया।

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