कनाडा में मंकीपॉक्स से संक्रमितों की संख्या 700 के करीब पहुंची

Monkeypox in Thailand

ओटावा (एजेंसी)। कनाडा में मंकीपॉक्स के कुल 681 मामले दर्ज किए गए हैं। यह जानकारी मुख्य जन स्वास्थ्य अधिकारी थेरेसा टैम ने दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘कनाडा में 22 जुलाई 2022 तक मंकीपॉक्स के कुल 681 पुष्ट मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से क्यूबेक (331), ओंटारियो (288), ब्रिटिश कोलंबिया (48), अल्बर्टा (12) और सस्केचेवान (2) शामिल हैं। ” उन्होंने बताया कि मंकीपॉक्स वायरस संक्रमित व्यक्ति की त्वचा के घावों के निकट संपर्क के दौरान या तौलिये, बिस्तर के लिनन और अन्य वस्तुओं सहित उनकी व्यक्तिगत या साझा वस्तुओं के सीधे संपर्क में आने से किसी भी व्यक्ति में फैल सकता है।

कनाडा के स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा प्रकाशित सुरक्षा दिशानिदेर्शों में नागरिकों को आगंतुकों के आने के बाद सतहों को साफ करने, मास्क पहनने और संभावित रूप से बीमार दोस्तों या रिश्तेदारों के संपर्क से बचने की सलाह दी गई है। दिशानिर्देश में रोगसूचक या संक्रमित लोगों को घर पर रहने की दृढ़ता से सलाह दी गई है। उल्लेखनीय है कि मंकीपॉक्स एक जूनोटिक बीमारी है, जो जानवरों से मनुष्यों में फैलती है।

आखिर है क्या मंकीपॉक्स?

  • मंकीपॉक्स एक वायरल बुखार है।
  • ये अफ्रीका में देखा गया है।
  • पिछले कुछ दिनों में अलग-अलग देशों से जैसे सिंगापुर, यूके और अमेरिका से भी कुछ केस रिपोर्ट किए गए हैं।
  • इसलिए लोगों के मन में इस बीमारी को लेकर कई सवाल हैं।
  • मंकीपॉक्स के लक्षण स्मॉलपॉक्स जैसे होते हैं।
  • पर ये उतना भीषण बुखार नहीं है।
  • 1950 में ये बीमारी अफ्रीका में रिसर्च के लिए इस्तेमाल किए जा रहे बंदरों में पाई गई थी। इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स पड़ गया।

लक्षण

  • पेशेंट को बुखार आता है।
  • बदन में दर्द होता है।
  • सिर में दर्द होता है।
  • मांसपेशियों में दर्द होता है।
  • ये लक्षण आने के 3-4 दिन बाद शरीर पर रैशेज पड़ जाते हैं।
  • ये बाद में फफूंद की तरह बन जाते हैं।
  • देखने में ये बड़ा भयंकर लगता है।
  • पूरे शरीर में फफोले बन जाते हैं।
  • ये फफोले 8-10 दिन तक अलग-अलग स्टेज से होते हुए झड़ जाते हैं।
  • 4 हफ़्ते लगते हैं पेशेंट को ठीक होने में।
  • ये बीमारी 100 में से 10 लोगों में भयानक रूप ले लेती है।
  • मौत भी हो सकती है।
  • पर ये बहुत रेयर बीमारी है।
  • इससे डरने की जरूरत नहीं है। क्योंकि इससे होने वाला संक्रमण बहुत सरल है।

कारण

  • अगर कोई इंसान ऐसे जानवर के संपर्क आए जिसे मंकीपॉक्स है, तो उसे ये बीमारी हो सकती होे।
  • अगर कोई ऐसा जानवर काट ले जिसे मंकीपॉक्स है तो भी ये बीमारी हो सकती है।
  • अगर मंकीपॉक्स से ग्रसित कोई पेशेंट किसी और इंसान के संपर्क में आता है।
  • जिसमें आपस में स्किन कॉन्टैक्ट होता है, उसके कारण संक्रमण होता है।
  • मतलब इसका संक्रमण लिमिटेड है।
  • ये कोविड जैसी बीमारियों के मुकाबले कम फैलता है और इसके संक्रमण का तरीका भी अलग है।

भारत में इस बीमारी का कोई केस सामने नहीं आया है। बस जागरूक रहने की जरूरत है। मंकीपॉक्स से अभी देश को कोई खतरा नहीं है। हालांकि अगर आप उन देशों में सफर कर रहे हैं, जहां मंकीपॉक्स फैला है तो सावधान रहें अपने डॉक्टर से पूछकर आप इसकी वैक्सीन लगवा सकते हैं।

मंकीपॉक्स का इलाज बिल्कुल आसान

  • इसका इलाज बाकी वायरल बीमारियों के तरह किया जाता है।
  • पैरासिटामॉल की गोलियां दी जाती हैं ताकि बुखार न आए।
  • शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा रहे, रेस्ट मिले
  • इस बीमारी को ठीक होने में 3-4 हफ़्ते लगते हैं।
  • इस बीमारी का मृत्युदर कम है।
  • मंकीपॉक्स से बचने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, जिसको लगाने से इस बीमारी से बचा जा सकता है।
  • हिंदुस्तान में रहने वाले लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है।
  • ये बीमारी अफ्रीका के देशों में फैली है। वहां से आने वाले लोगों के संपर्क में आने से हो सकती है। हालांकि एयरपोर्ट पर जांच की जाती है।
  • इस बीमारी के लक्षण 3-4 दिन के अंदर दिख जाते हैं। इसलिए पेशेंट को आराम से पहचाना जा सकता है और आइसोलेट किया जा सकता है।
  • इस तरह से इसको फैलने से रोका जा सकता है।
  • घबराने की जरूरत नहीं है, चौकन्ना रहने की जरूरत है।
  • अगर कोई भी इंसान इन देशों में सफर करता है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करे, वैक्सीन ले।
  • इन देशों से कोई आ रहा है और उस इंसान में बीमारी के लक्षण दिखते हैं तो उससे दूर रहें।

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