किसान जुबानी। फसलों का एमएसपी मूल्य कृषि क्षेत्र की जीवन रेखा है

Farmers Payment
सरसा। राज्यसभा से पारित होने के बाद अब यह तीनों विधेयक कानून बन गए इसके साथ ही कृषि पर राजनीति भी अपनी चरम सीमा पर है। विपक्ष द्वारा इसे किसानों के लिए काला दिन बताया जा रहा है। तथा सत्ता पक्ष इसे किसान मुक्ति दिवस बता रही है दोनों के अपने-अपने तर्क हैं। कृषि मंत्री और प्रधान मंत्री जी द्वारा इन कृषि सुधार विधायकों पर प्रत्यक्ष रुप से अपना मत रखना तथा किसानों में फैली भ्रामक बातों का निदान अपने आप में एक ऐतिहासिक कथन है पर किसान हितेषी संगठनों का चाहे वह इस पर सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटियां ही क्यों न सीख रही हो पर उनकी एक मांग पर किसानों की भलाई के लिए मोदी सरकार को सोचना चाहिए क्योंकि सही उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए यह किसान का अधिकार ही नहीं वरन उसकी जीवन रेखा को बचाए रखने के लिए आॅक्सीजन मात्र है माना कि विपक्ष बहुत सी बातों पर भ्रम फैला रहा है।
चाहे वो एमएसपी और मंडी का खत्म होना बता रहे हैं या फिर वे क्रीमैंट खेती को किसान की जमीन हड़पने का जरिया बता रहे हैं पर 1 लाइंस विद एक में और जोड़ दी जाती तो वास्तव में यह भी देख आज किसान की समझ में आ जाते और यह किसान कि बिचौलियों से मुक्ति का दिन साबित होता और यह थी कि किसान की सही फसल का अगर कोई भी व्यापारी या अन्य व्यक्ति एमएसपी से कम दाम पर खरीदने की कोशिश करेगा तो उसका लाइसेंस खत्म होगा और उसको सजा का भी प्रावधान होगाअगर यह दौड़ जोड़ दिया जाता तो बीजेपी के चार चांद लग जाते आज भविष्य में कभी भी विपक्षी दल या कुछ स्वार्थी किसान संगठन कभी भी किसान को बुला कर अपना उल्लू सीधा नहीं कर पाते मैं किसान हूं मैंने मंडियों का हाल देखा है। व्यापारियों की भक्ति में नुक्ता किसान भी देखा है अपने मुनाफे के लिए व्यापारियों को मंडी में अनाज में घटिया क्वालिटी का इलाज मिल आते देखा है इसकी गाहे-बगाहे सोशल मीडिया पर भी छाती रही है यह सब होता है और किसान पर इसका तो दिया जाता है।
वास्तविक ग्राउंड रिपोर्ट यही है कि किसानों से लेकर कटाई तक इन लोगों के द्वारा जाता है चाहे वह हर जगह इसको मार पड़ती है ऊपर से प्रकृति कब अपना रूप दिखा दे अत्यधिक पानी के कारण या फिर सूखे के कारण किसान हर जगह मरता है अगर वास्तव में इस को उभारना है तो अकेला किसान को खुली छूट दे देना ही अपनी मर्जी के दाम पर फसल भेजना यह कहना धरातल पर इसका उपयोग करने में जमीन आसमान का अंतर है
बिचौलियों को छुटकारे के साथ-साथ फसल की लागत से ज्यादा मूल्य दिलवाने के लिए ठोस कानून बनाने होंगे नकली दवाइयों पर भी नकेल कसनी होगी बहुत सारे हैं जिसको अभी किसान हित में करना जरूरी है तब जाकर किसान की आय दोगुनी करने का दम भर सकते हैं अन्यथा यह किसान बिचौलियों से विपक्षी दलों से और किसान संगठनों आदि के द्वारा यूं ही रहेगा और अंत में यही कहना होगा कि किसान तेरा रब रखा।
-सुरेश बणी, सरसा।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।