तुर्की सीरिया के भूकंप की कहानी, बिंटू भोरिया की जुबानी

बच्ची ने आँख खोली तब हमें एहसास हुआ कि ये बच्ची जिंदा है

  • लोग हम से गले मिलकर रो रहे थे
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भावुक पलों को किया सांझा
  • देश के प्रति ईमानदार रहते हुए अपने काम को करें वही सच्ची देश सेवा है
  • लोग इंडिया – इंडिया के नारों से व तालियों से हमारे स्वागत करते थे

उकलाना। (सच कहूँ/कुलदीप स्वतंत्र) 6 फरवरी को तुर्की और सीरिया में आए भूकंप ने पूरे तुर्की और सीरिया को हिला कर रख दिया। रिएक्टर पैमाने पर 7.8 की तीव्रता वाले भूकंप ने हजारों लोगों की जानें ले ली। इस भूकंप से लाखों लोग प्रभावित हुए।? इससे पहले तुर्की में 1939 में सबसे शक्तिशाली भूकंप आया था। जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.9 थी। भूकंप के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुर्की में राहत सामग्री, एनडीआरएफ की प्रशिक्षित टीम, श्वानों और आवश्यक उपकरणों के साथ तुर्की भेजा गया।? तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप में बचाव दल के इंचार्ज उकलाना खंड के गांव गैबीपुर निवासी बिंटू भोरिया थे। एनडीआरएफ बिंटू सिंह भोरिया गुरमिंदर सिंह कमांडेंट समेत एन डी आर एफ के 152 सदस्यों के साथ वायुसेना के विमान सी-17 द्वारा दिल्ली से तुर्की के लिए रवाना हुए।

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सच कहूँ से विशेष बातचीत में बिंटू भोरिया ने इस दर्दनाक दास्तां को सांझा किया। बिंटू भोरिया ने बताया कि वहां का माहौल बहुत ही भयावह और अफरा-तफरी का था। वहां लोगों को कैसे बचाना है। जिंदा कैसे निकालना है कैसे लोगों को रेस्क्यू करना है। यह सारी तकनीकी प्रशिक्षण के दौरान हमें सिखाई जाती है। उसी ट्रेनिंग का और एक फोर्स के नाते दृढ़ संकल्प मन में रहता है उसी की बतौर वहां पर हम कार्य करने में सफल रहे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भावुक पलों को किया सांझा

वहां पर जो एनडीआरएफ की टीम, वायु सेना और भारतीय सेना ने जो योगदान दिया। माननीय प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री ने सभी टीमों को अपने आवास पर बुलाया था। एनडीआरएफ की टीम की उन्होंने जमकर प्रशंसा की थी। हमने किन तकनीकों को वहां पर इस्तेमाल किया। तुर्की में भूकंप के दौरान महिला फोर्स की की गई थी। और हमारे साथ सैकिंड एनडीआरएफ जो कोलकाता के डॉग जूलियो और रोमियो थे। वहां पर उन्होंने बहुत ही अच्छा कार्य किया। वो डॉग ऐसे होते हैं यदि मलबे में कोई जिंदा व्यक्ति है तो वह उनकी धड़कनों को महसूस करके एक इंडिकेशन देते हैं। वहां कार्य के दौरान क्या क्या तकलीफें थी किन किन समस्याओं का हमने सामना किया। तो सारी चीजों के बारे में बातचीत की।

जो भारत दूसरे देशों को संदेश देना चाहता था उस संदेश को हमने कैसे दूसरे देशों तक पहुंचाने में कामयाब रहे। वहां पर रोते हुए लोगों से गले मिलना उन्हें अभिवादन करना यह सब दुनिया ने नए वीडियो के माध्यम से देखा। उसी के बारे में माननीय प्रधानमंत्री से हमारी बातचीत हुई। इस कार्य के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी टीम को सम्मानित किया।

बच्ची ने आँख खोली तब हमें एहसास हुआ कि य बच्ची जिंदा है

9 फरवरी को जब हम आॅपरेशन साइट पर गए थे। वहां पर 6 मंजिला इमारत थी जो कि बुरी तरह से ध्वस्त हो चुकी थी। उसकी तीसरी मंजिल में जाकर एक पूरा परिवार उसके माता-पिता और साथ में एक बड़ी बहन थी। और वह एक बच्ची थी। बिल्डिंग में दब गए थे। वहां रेस्क्यू कार्य कर रहे थे मलबे को हटा रहे थे देख रहे थे कोई जिंदा है या नहीं है। हम सुबह से सिर्फ डेडबॉडी ही निकाल रहे थे। परिवार में भी वह बच्चे अपने माता पिता की गोद में थी। दाहिने तरफ उनके पिता थे और वह बच्ची उनकी माता की गोद में थी। और उनकी बड़ी बहन एक तरफ मे थी।

जो हमें तकनीक सिखाई जाती कि किस प्रकार कोई जिंदा है मृत है उन सब तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए उनकी माता जी के हाथ उनसे हटाया। उनकी आंखों में पुतलियों में जो हरकत हुई उसको हमने नोट किया और जब हमने उसको बाहर निकाला तो उस बच्ची ने आँख खोली। तब हमें एहसास हुआ कि ये बच्ची जिंदा है। उस बच्ची को वहां मेडिकल ट्रीटमेंट दिया गया और उसकी जान बच गई। उस बच्ची का नाम बैरन था और वह 6 साल की थी। अगले दिन हम 10 फरवरी को दूसरी साइट पर गए वहां पर एक छत के नीचे 8 साल की बच्ची दबी हुई थी मिराई उसका नाम था।

वहां हमने स्लैब को काटा और उस बच्ची को बचाया। वहां पर हमारे काम को खूब सराहाया गया। इतने कम समय में इतना नाम कमाया। लोग हमसे गले मिलकर गर्व से आंसुओं के साथ रो रहे थे ।? जब हम कार्य समाप्त करके रेस्टोरेंट में जाते थे तो लोग इंडिया-इंडिया के नारे लगाते थे। तालियों से हमारे स्वागत करते थे। तो यह हमारे लिए बहुत ही सुखद अनुभव था जो हमने अपने काम के द्वारा अपने देश का नाम चमकाया।

देश के प्रति ईमानदार रहते हुए अपने काम को करें वही सच्ची देश सेवा है

सबसे ऊपर हम अपने देश को रखें। देश के प्रति ईमानदार रहते हुए अपने काम के प्रति ईमानदार रहते हुए अपने काम को करें। जो जिस जगह है कहीं पर भी है यदि वह अपना काम ईमानदारी से करता है तो देश सेवा ह। नशे से दूर रहिए शिक्षा को अपना हथियार बनाइए।

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