यह स्वतंत्रता दिवस पर्यावरण के नाम

World Environment Day
World Environment Day

प्रदूषण शब्द का अर्थ होता है चीजो को गन्दा करना। वर्तमान में हम खतरनाक रूप से पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से घिरे हुए हैं और यह समस्या भविष्य में हमारे लिये जानलेवा भी हो सकती है। इस भयंकर सामाजिक समस्या का मुख्य कारण हैं औद्योगीकरण वनों की कटाई और शहरीकरण प्राकृतिक संसाधन को गन्दा करने वाले उत्पाद जो की सामान्य जीवन की दैनिक जरूरतों के रूप में इस्तेमाल की जाती है। आज से सौ साल पहले की बात करें तो पृथ्वी पूरी तरह हरी भरी थी।

बिना प्रदूषण के पृथ्वी स्वर्ग सी प्रतीत होती थी। मानव की जरूरत के सारे कामों की वस्तु हमें प्रकृतिक से मिल जाती थी। फिर अधिक लालच व अपने जरूरतों को पूरा करने के लिए मानव ने वृक्षों को दोहन करना शुरू कर दिया। विज्ञान की प्रगति इतनी ज्यादा बढ़ गई कि ये एक अभिशाप के रूप में सामने आ गया। जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ वृक्षों का विनाश तेजी से बढ़ता चला गया। लोग भूलते चले गए कि पेड़ हमारी जिंदगी है वे अपने लालच व आवश्यकता को पूर्ति करने के लिए वृक्षों की अंधाधुंध कटाई करते चले आ रहे हैं।

जिसके कारण आज जंगलों का अस्तित्व खतरे में है और यह बात भी पक्की है कि जंगल के अस्तित्व खतरे में है तो मानव जीवन भी खतरे में ही है। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में हर साल एक करोड़ हेक्टेयर इलाके में वन काटे जाते हैं। जिनमें अकेले भारत में 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैले जंगल कट रहे हैं। वनों की अनियंत्रित कटाई के परिणामस्वरूप पृथ्वी का सामान्य रहने वाला वातावरण प्रदूषित हो गया है। ऐसा ही चलता रहा तो वे दिन दूर नहीं जब ओजोन परत पूरी तरह नष्ट हो जाएगा और पृथ्वी का नामों निशान मिट जाएगा और हमारे आने वाले पीढ़ी के लिए पृथ्वी नर्क सामान हो जाएगा।

इन दिनों प्रदूषण से बचने के लिए सरकार भी गंभीर दिख रही है। लेकिन हालत ज्यादा खराब होने के कारण पर्यावरण में फैल रहे इस जहर को रोकना एक चुनौती बन गई है। शहरों में हालत और ज्यादा नाजुक हंै। अगर हमें इन प्रदुषण से बचना है तो वृक्ष रोपण को बढ़ावा देना बेहद जरूरी है। यही एक मात्र साधन है जिसके जरिये इन्हें रोका जा सकता है। बीते दिन उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा इस बार के स्वतंत्रता दिवस पर वृक्ष रोपण का कार्यक्रम पर जोर दिया जाएगा।

सरकार ने कहा कि सरकार इस वर्ष विशेष वृक्षारोपण अभियान के तहत 9.16 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विशेष वृक्षारोपण अभियान के तहत एक दिन में पांच करोड़ से अधिक पौधे रोपे जाएंगे। स्वतंत्रता दिवस जैसे पावन अवसर पर ये अभियान ज्यादा जोर पकड़ेगा। जहां एक और हम स्वतंत्र होने की खुशी में झूमेंगे। वहीं दूसरी और प्रदूषण से स्वतंत्र होनी की बड़ी शुरूआत वृक्षारोपण रोपण से करेंगे। इस अभियान को एक ही प्रदेश में सीमित ना रखकर सभी राज्यों में लाना होगा। इस बार का स्वतंत्रता दिवस पर्यावरण के नाम कर देना ही पर्यावरण और पृथ्वी के लिए उचित होगा।

पर्यावरण आज इतना ज्यादा दूषित हो चुका है कि देश के राजधानी दिल्ली में सांस लेना भारी पड़ रहा है।बढ़ती विकास की रफ्तार में हम इतने मगन हो गए हैं कि पर्यावरण और अपने सेहत के प्रति उदासीन दिखते हैं। कुछ ही दिन पहले भारत प्रदूषण फैलाने वालों की सूचि में अव्वल आया था। बढ़ते उद्योगों और परिवहन के कारण शहर की हरियाली पूरी तरह तबाह हो चुकी है।लोग खुली और स्वक्ष हवा लेने के लिए तरस गए हैं। हवाओं में फैली इस जहर के कारण कई रोगों का जन्म होता है। जिनसे कई लोग जिंदगी से हाथ धो बैठते हैं। जिनका प्रतिकूल प्रभाव सभी उम्र के लोगों पर पड़ता है।लेकिन बच्चे सबसे ज्यादा प्राभवित होते हैं। आजकल सांसों का बढ़ता रोग प्रदूषण के कारण ही जोर पकड़ा हुआ है।
एक और जहाँ गावों में हरियाली भरी बाग बगीचों में लोगों का रहना बैठना होता है। जहां के बच्चे खुली और स्वच्छ पर्यावरण में अपना जीवन बिताते हैं। वहीं शहर के लोग प्रदूषण की मार झेल रहे होते हैं। बढ़ती जनसंख्या के कारण उन्हें एक संकीर्ण जगहों में रहना पड़ता है। जहां वृक्षों की भारी कमी होती है और उद्योगों की संख्या ज्यादा होती है। ऐसे जगहों में शारीरिक और मानसिक बीमारी होने के सारे कारण मौजूद होते हैं। फिर भी सुख सुविधा के लिए लोग शहर की और भागना पसन्द करते हैं।

विकसित करने हेतु आज कल शहरीकरण पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। सारे सुख सुविधाओं को पाने के लिए लोग पृथ्वी को भूल जाते हैं। उन्हें याद ही नही रहता कि हम एक प्रकृति दायरे में रहते हैं। जिनका स्वास्थ्य बिगड़ने पर विज्ञान से उपचार संभव बिल्कुल नहीं हैं। उसका स्वास्थ्य बिगड़ने पर प्रकृति पर ही निर्भरता दिखाना पड़ेगा। इन दिनों स्वास्थ्य तो पूरी बिगड़ ही चुकी है। जिसका उपचार लोगों का सोच परिवर्तन और वृक्षारोपण बेहद जरूरी हो गया है।

वाहनों की परिवहन के कारण शहरों का प्रदूषण गांवों के तुलना में बहुत अधिक है। बढ़ते उद्योग के धुवों के कारण पूरा पर्यावरण प्रदूषण से ग्रसित है। मानव को विकास क्रिया ने पृथ्वी के कोई हिस्सा को नही छोड़ा। आज पृथ्वी के भूमि,वायु,जल पूरी तरह प्रदूषण के चपेट में है। यहां तक मानव से कोशों दुर आकाश को भी नही छोड़ा गया। कई उपग्रह के नष्ट हो जाने के कारण आज आकाश में प्रदूषण फैला रहा है। आज हमारा फर्ज बनता है कि हम पेड़ पौधे लगाएं और पर्यावरण को शुद्ध बनाएं।

नीलेश मेहरा

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें