प्रभु याद में लगाया समय दो जहान में मददगार

Bad thoughts weaken the power of thinking

सरसा। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां (Dr. MSG) फरमाते हैं कि ‘परमात्मा (God) की याद में जितना समय इन्सान लगाता है वो समय दोनों जहान में हर क्षण (Every Moment) इन्सान का साथ देता है। कहते हैं समय कभी किसी का साथ नहीं देता, यह गलत बात है। समय उनका साथ देता है जो समय की कद्र किया करते हैं और समय की कद्र अल्लाह, वाहेगुरू के नाम के बिना किसी और तरीके से हो नहीं सकती। क्योंकि जितना समय आप प्रभु की याद में देते हैं, वो समय अनमोल (Priceless) बन जाता है। उस समय में मालिक बेइंतहा (Immoderate) खुशियां बख्श देते हैं। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि कर्तव्य (Duty) निर्वाह अति जरूरी है, कर्तव्य का निर्वाह करना चाहिए। लेकिन यह नहीं कि सारा दिन कोल्हू के बैल की तरह आप दिन-रात धन दौलत कमाने में, ठग्गी, बेईमानी, भ्रष्टाचार में लगे रहें तो यह कोई इन्सानियत नहीं है। बाल-बच्चों का पालन पोषण करना इन्सान का फर्ज है। उनके लिए समय दो। लेकिन अगर परमात्मा के लिये समय दोगे तो की गई भक्ति आपकी कुलों का भला करेगी। इसलिए भक्ति करते रहना चाहिए, सुमिरन करते रहना चाहिए। भक्ति से इन्सान के अंदर वो शक्ति आती है कि वो कभी कोई गलत कार्य नहीं करता। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि जब कोई इन्सान भक्ति छोड़ देता है मनमते चलने लग जाता है तो उसका हर कार्य मन के अधीन हो जाता है और वो बुरे कर्म करने शुरू कर देता है। इसलिए सेवा व सुमिरन से अपने विचारों का शुद्धिकरण करो, मालिक से मालिक को मांगा करो और पीर-फकीर जो बात कहे उस पर अमल करना अति जरूरी है। लोग मनमते चलते हैं इसलिए दु:खी रहते हैं, गमगीन रहते हैं। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि संत, पीर-फकीर की बात मानो, सुमिरन करो, सेवा करो, मन व मनमते लोगों से जितना हो सके दूर रहो। मन व मनमता यानि जो कोई आपको अंगुली लगाता है, गलत बोलता है, उसकी तरफ ध्यान न दो, जो सच्चे राह पर चलने के लिए मदद करता है उसके अनुसार चलो। संत, पीर-फकीर को कोई गर्ज नहीं होती। कोई इन्सान आपको कोई बात कहता है तो हो सकता है उसको आपसे कोई गर्ज हो। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि आपको कोई रोग है, आप परेशान हैं तो अपने कर्मों की वजह से। हर किसी को अपने कर्मों की खेती काटनी पड़ती है। आपजी ने फरमाया कि अगर आपको किसी के लिए दर्द है तो आप उसके लिए सुबह-शाम सुमिरन (Meditation) करें व प्रार्थना (Prayer) करें कि मालिक वो परेशान है उस पर कृपा करना। ये होती है भक्तों वाली बात। तो एक भक्त को चाहिए कि वह किसी को दु:खी देखता है तो उसके लिए दुआ करे। कोई अपना अगर आपको लगता है कि वो दु:खी परेशान है तो उसके लिए आप सुमिरन के टाईम प्रार्थना करो।

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