सच्चे सतगुरू जी ने शिष्य को बख्शी नई जिंदगी

मैं लगभग 13-14 साल का था। हमने अभी नया घर बनाया था। घर बनाने के 5 दिन बाद मैं मकान की छत पर पानी से तराई कर रहा था कि अचानक मेरा पैर फिसल गया और मैं छत से 12 फुट की ऊंचाई से पीठ के बल गिर गया। मुझे ऐसा लगा जैसे पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने मुझे अपनी गोद में उठाकर धीरे से जमीन पर लिटा दिया हो। उसके बाद मैं बेहोश हो गया। मेरे घर वालों ने सोचा कि लड़का तो मर गया। सभी रोने लगे। यह बात किसी भाई ने पूजनीय परम पिता जी को बता दी। यह सुनकर पूजनीय परम पिता जी ने सत ब्रह्मचारी सेवादार को भेजा और फरमाया, ‘‘परिवार को कहना, फिक्र न करें।

’’ जब वह सेवादार हमारे घर पहुंचा और पूजनीय परम पिता जी का फरमान बताया तो उसी समय मुझे होश आ गया और मैंने कहा, मुझे कुछ नहीं हुआ। मैं बिल्कुल ठीक हूं। जब मैं छत से गिरा तो मुझे पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने अपने पावन कर-कमलों में ले लिया था। यह सुनकर सारा परिवार स्तब्ध रह गया। अगले दिन पूजनीय परम पिता जी कल्याण नगर आए और फरमाया, ‘‘बेटा, हम सारी रात नहीं सोए क्योंकि काल ने तुम्हारा विश्वास तुड़वाने के लिए अपनी चाल चली परंतु दयाल ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया।’’ इस प्रकार पूजनीय परम पिता जी ने मुझे खंरोच तक भी नहीं आने दी तथा अपनी रहमत से मुझे मौत के मुंह से बचा लिया। मैं सच्चे सतगुरू के उपकारों को जीवनभर नहीं भुला सकता।

-श्री राकेश धवन, कल्याण नगर, सरसा (हरियाणा)

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