सच्चे सतगुरू जी ने नाम देकर छुड़वाया नशा

Shah-Satnam-Singh-Ji-Mahara

गांव धन्न सिंह खाना में अवतार सिंह नामक व्यक्ति था। वह शराब व मांस का अत्यधिक सेवन करता था और गलियों में गिरा रहता था। किसी सत्संगी ने उसे नाम लेने के लिए कहा कि तू नाम ले ले, तेरी चौरासी कट जाएगी और शराब और मांस आदि चीजों से बच जाएगा। उसने सत्संगी से कहा कि अगर सच्चे सौदे वाले बाबा जी मुझे कोई रहमत दिखाएं तो मैं नाम ले लूंगा। यह सुनकर वह सत्संगी चुप हो गया। अचानक कुछ दिनों बाद पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने गांव कोटफत्ते में सत्संग दे दिया।

वह व्यक्ति और उसकी पत्नी दोनों सत्संग पर गए, उन्होंने सत्संग सुना। उस व्यक्ति ने अपनी पत्नी से कहा कि तू नाम ले ले। मुझे संतों की संंगत तो बहुत अच्छी लगी पर मैं नाम बाद में लूंगा। उसकी पत्नी ने नाम ले लिया और वापिस घर आ गए। उसकी पत्नी सतगुुरू से यही मांगती थी कि मेरा पति भी नाम ले ले और फिर हम सत्संग करवाएंगे। एक दिन वह व्यक्ति रात को लेटा हुआ था । उसने देखा कि उसके चारों तरफ बहुत ही प्रकाश हो रहा है और वह रोशनी बहुत ही सुंदर लग रही थी जो उसने पहले कभी नहीं देखी। फिर उसने क्या देखा कि हाथ में लाठी, सिर पर सुंदर टोपी, सफेद कपड़े, लम्बी दाढ़ी और मनमोहक स्वरूप वाले पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज उसके पास आए और फरमाया कि बेटा! तू अब जाग।

तेरा नाम शब्द लेने का समय आ गया है। कल सच्चा सौदा आश्रम में सत्संग है। तू जाकर नाम ले आ। यह दृश्य देखकर वह हैरान हो गया। वह उठकर अपनी पत्नी को कहने लगा कि मुझे सत्संग में सरसे जाना है। उसकी पत्नी यह सब देखकर हैरान हो गई। उसने तैयारी कर दी और वह सरसा की तरफ चल पड़ा। गाड़ी से सफर करके वह भटिंडा पहुंचा और वहां जाकर उसकी आंख लग गई। वहां उसे सरसा के लिए गाड़ी बदलनी थी। गाड़ी के चलने में सिर्फ दो मिनट ही रह गए और वह सोया ही रहा।

पूजनीय परम पिता जी ने फिर उस सत्संगी के पास आकर कहा कि भाई, तू सोया पड़ा है। तेरी गाड़ी का तो टाईम हो चुका है। उठ, जल्दी कर। वह तुरंत खड़ा हो गया लेकिन तब तक सरसा जाने वाली गाड़ी का समय बीत चुका था। वह आधा घंटा लेट हो चुका था। वह निराश हो गया पर उसने सोचा कि शायद गाड़ी खड़ी हो इसलिए उसने एक टीटी से पूछा कि क्या सरसा जाने वाली गाड़ी चली गई है? उसने कहा कि भाई शायद तेरे इंतजार में ही खड़ी है, उसका इंजन नहीं चल रहा। वह भागकर गाड़ी में बैठ गया और गाड़ी उसी वक्त चल पड़ी। उसने सतगुरू जी का लाख-लाख धन्यवाद किया और कहने लगा कि मालिक तूने मुझ जैसे तुच्छ इन्सान के लिए इतनी बड़ी गाड़ी रोक दी। तेरा यह अहसान मैं जीवन भर नहीं भुला सकता। फिर उसने सत्संग सुना और नाम-शब्द ले लिया।

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