ट्रंप ने उत्तर कोरिया खिलाफ बदला रूख

Donald Trump
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अपने गर्म स्वभाव के लिए जाने जाते अमेरिकी राष्टÑपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के खिलाफ नई रणनीति के तहत अपना रूख बदल लिया है। पिछले कई माह से यही लग रहा था कि यदि उत्तर कोरिया के शासक किम योंग व अमेरिकी राष्टÑपति ट्रंप इसी तरह अड़े रहे तो परमाणु युद्ध से इंकार नहीं किया जा सकता।

अजीब सी हरकतों व बयानबाजी करने वाले योंग का सामना भी सख्त नेता ट्रंप से हुआ था। सनकी किस्म के योंग के लिए तबाही एक आम सी बात हो सकती है लेकिन अमेरिका जैसे देश जो विश्व आतंकवाद के खिलाफ युद्ध का नेतृत्व कर रह है, का किम योंग जैसे नेता से उसके अंदाज में पेश आना सही नहीं। अमेरिकी राष्टÑपति से जिम्मेदारी व संयम की ही उम्मीद की जा सकती है।

खैर! सख्त बयानबाजी के बाद अब ट्रंप ने उत्तर कोरिया के खिलाफ नया रास्ता बनाते हुए उसे रूस व चीन जैसे शक्तिशाली मित्रों से अलग करने की रणनीति बनाई है। लगता है कि अमेरिका 1950 में हुए कोरिया युद्ध में तबाही को दोहराना चाहता है। दरअसल मजबूत देश विश्व के विभिन्न हिस्सों में प्रभाव कायम करने के लिए अपना गुट मजबूत बनाने पर जोर देते हैं।

उत्तरी कोरिया को चीन व रूस का सहयोग मिल रहा है। चीन का व्यापार में सबसे बड़ा सहयोगी उत्तर कोरिया है। सीरिया के खिलाफ अमेरिकी कार्रवाई से रूस काफी नाखुश था। इसी तरह रूस सीरियाई नेता अल बसर असद का समर्थन कर चुका है। यही कारण रहे कि आतंकवाद या बागी ग्रुपों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं हो सकी।

चीन की गलत नीतियों के कारण ही भारत में हमलों के दोषी पाक में बैठे इन आतंकियों के खिलाफ संयुक्त राष्टÑ में प्रस्ताव पास नहीं हो सका। आतंकवाद किसी का मित्र न हीं, कभी आतंकवाद की चिंगारी जलाने वाले देश आज खुद ही उसमें जल रहे हैं।

अमन शांति से विश्व में विकास व सफलता संभव है। आतंकवाद व परमाणु हथियारों के लिए ठोस मापदंड व स्पष्ट रणनीति बनाने की जरूरत है। विश्व को परमाणु युद्ध या आतंकी हमलों से बचाने के लिए दोगली नीतियों का त्याग करना होगा। अमन शांति किसी एक देश की कोशिशों से कायम नहीं हो सकती। बड़े छोटे सभी देशों को नेक नीयत से काम करना होगा।

 

 

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