पार्टी पर किसान, मजदूर और व्यापारी वर्ग की अनदेखी का लगाया आरोप
सच कहूँ/लाजपतराय रादौर। कृषि विधेयकों को लेकर न सिर्फ विपक्षी पार्टियां भाजपा से नाराज हैं, बल्कि अब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के दिलों से भी गुस्से के भाव बाहर आने लग गए हैं। बुधवार को हरियाणा भाजपा को उस वक्त एक बड़ा झटका लगा, यमुनानगर के रादौर से विधायक रह चुके श्याम सिंह राणा ने पार्टी का दामन छोड़ दिया। एक प्रैस कांफ्रेंस में पूर्व विधायक श्याम सिंह राणा ने पार्टी के सभी पदों को छोड़ने का ऐलान करते हुए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को अपना त्यागपत्र भेजा। वहीं धनखड़ ने राणा का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। इस अवसर पर पूर्व विधायक श्याम सिंह राणा ने कहा कि भाजपा द्वारा देश व प्रदेश के किसानों की अनदेखी कर उन पर कृषि संबंधी 3 अध्यादेश थोपकर उन्हें बर्बाद करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि वह किसान के बेटे पहले हैं और पार्टी के कार्यकर्ता बाद में हैं। वह पूरी तरह से किसानों के साथ है और उनकी लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि आज हरियाणा-पंजाब का किसान अपने हकों के लिए सड़कों पर संघर्ष कर रहा है। लेकिन भाजपा सरकार किसानों की कोई सुध नहीें ले रहीं है। जिससे पता चलता है कि पार्टी किसान, मजदूर व व्यापारी के हितों के विपरित जाकर काम कर रही है। उन्होंने 13 वर्षों तक पार्टी की सेवा की। 7 जून 2007 को वह कुरूक्षेत्र में पार्टी में शामिल हुए थे। जिसके बाद उन्होंने रादौर विधानसभा क्षेत्र को अपनी कर्मभुमि बनाया और क्षेत्र के हर गांव में भाजपा के साथ लोगों को जोड़ा। आज क्षेत्र के हर गांव में भाजपा के कार्यकर्ता है। 2009 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा की टिकट पर रादौर से चुनाव लड़े थे और उन्होंने 13750 मत हासिल किये थे। 2014 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने इनेलो के राजकुमार बुबका को हराकर 67800 मत प्राप्त किये थे। उन्होंने बताया कि वह जल्द ही अपने समर्थकों की बैठक बुुलाकर उस दल में शामिल होंगे, जो दल किसानहित की बात करेगा। इस अवसर पर ऋषिपाल दोहली, कुलभूषण राणा, विशाल काजीबांस, गोल्डी शर्मा, दिलबाग भगवांगढ़, रूपेंद्र मल्हि, बचित्र सिंह, मुनीर खान, तिलक राज, शेर सिंह धौडंग आदि मौजूद थे।
चुनाव लड़ने की अनुमति न मिलने से नाराज थे समर्थक
हालांकि राणा ने अपने इस्तीफे में किसानहित को वजह बताया है, लेकिन इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि वह और उनके समर्थक उन्हें 2019 में विधानसभा चुनाव में उतारने की कर्णदेव कंबोज को मौका दिए जाने से नाराज थे। कर्णदेव ने भी हार का ठीकरा राणा के सिर फोड़ा। राणा पर आरोप लगे कि उन्होंने अपने समर्थकों को फोन करके कर्णदेव का समर्थन करने से रोका था। दूसरी ओर सूत्रों की मानें तो अब पिछले कुछ समय से बीजेपी की ओर से किसी भी कार्यक्रम की सूचना राणा को नहीं दी जा रही थी। न ही किसी कार्यक्रम में आने का निमंत्रण उन्हें दिया जा रहा था।
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