वेंकैया नायडू होंगे 15वें उपराष्ट्रपति

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11 अगस्त को लेंगे शपथ

नई दिल्ली। राजग उम्मीदवार वैंकेया नायडू देश के 15वें उपराष्ट्रपति होंगे। उन्होंने शनिवार को कांग्रेस सहित विपक्ष के उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी को 272 वोटों से हराया। नायडू को 516 वोट मिले जबकि गांधी को 244 वोटों से ही संतोष करना पड़ा। इससे पूर्व उपराष्ट्रपति चुनाव में 785 मतदाताओं में से 771 ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया और इस तरह कुल 98.21 प्रतिशत मतदान हुआ। मतदान सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक चला। उप राष्ट्रपति चुनाव के सहायक निर्वाचन अधिकारी मुकुल पांडे ने यह जानकारी दी। इसके बाद शाम छह बजे मतगणना शुरू हुई।

शुरूआती दौर में मतदान करने वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजग के उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार एवं राज्यसभा सदस्य एम वेंकैया नायडू, संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल थे। योगी आदित्यनाथ अभी लोकसभा के सदस्य बने हुए हैं। इनके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और एच.डी. देवगौड़ा, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, राज्यसभा के मनोनीत सदस्य सचिन तेंदुलकर, रेखा, मैरीकॉम, राष्ट्रीय जनता दल के सांसद जयप्रकाश नारायण यादव, लोक जनशक्ति पार्टी के रामचन्द्र पासवान, नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) के नेता फारूक अब्दुल्ला मतदान करने वालों में शामिल थे।

हामिद अंसारी का कार्यकाल 10 अगस्त को पूरा

केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी मत डालने के लिए संसद भवन आए। पैर में चोट के कारण वह इस संसद सत्र में संसद की कार्यवाही में अब तक हिस्सा लेने नहीं आ पाए हैं। बता दें कि वर्तमान उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी का कार्यकाल 10 अगस्त को पूरा हो रहा है। वह लगातार दो कार्यकाल से इस पद पर हैं। वैंकेया नायडू 15वें पराष्ट्रपति के रूप में 11 अगस्त को कार्यभार संभालेंगे।

1 जुलाई 1940 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में पैदा हुए नायडू के पिता का नाम रंगैया नायडू है, जो एक किसान थे। नायडू ने छात्र जीवन में एबीवीपी से जुड़कर अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की और वह नेल्लोर के वीआर कॉलेज में 1971 में छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद 1972 में ‘जय आंध्रा’ आंदोलन से उनको नेता के रूप में पहचान मिली। 1975 के आपातकाल में वह जेल जाने वाले नेताओं में भी शामिल थे। वह 3 बार कर्नाटक और एक बार राजस्थान से राज्यसभा पहुंचे।

वह 2 बार आंध्र प्रदेश की विधान परिषद के भी सदस्य रहे। उन्होंने अटल सरकार में ग्रामीण विकास मंत्रालय संभाला और 2002 से 2004 तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली। 2004 के आम चुनाव में पार्टी की हार के बाद पद छोड़ दिया था। मोदी सरकार में शहरी विकास, संसदीय मामलों और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली।

किसे मिले कितने वोट

  • वैंकेया नायडू 516
  • गोपालकृष्ण गांधी 244
    (कुल 785 सदस्यों में से 771 ने डाले वोट)

 

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