उपलब्धि: टोका मशीन चलाने वाले हाथों ने जीता कांस्य मैडल

  • नाभा की बेटी हरजिन्दर कौर ने राष्ट्रमंडल खेलों में गाड़े सफलता के झंडे

  • हरजिन्दर कौर की सफलता से गांव मैहस में बना विवाह जैसा माहौल

  • वेटलिफ्टर हरजिन्दर कौर ने 71 किलो वर्ग में कुल 212 किलो भार उठाकर कांस्य मैडल पर जमाया कब्जा

नाभा। (सच कहूँ/तरूण कुमार शर्मा) बरमिंघम राष्ट्रमंडल खेल-2022 में देश के साधारण परिवारों के बच्चों का शानदार प्रदर्शन जारी है। पारंपरिक शहर नाभा के गांव मैहस की होनहार बेटी महिला वैटलिफ्टर हरजिन्दर कौर ने 71 किलो वर्ग में कुल 212 किलो भार उठाकर कांस्य मैडल पर कब्जा किया है और पूरे देश में अपने अभिभावकों सहित पारंपरिक शहर नाभा का नाम रौशन किया है। हरजिन्दर कौर ने 93 किलो सनैच और 119 किलो क्लीन जरक उठाया। नाभा के नजदीक के गांव मैहस के रहने वाले साहब सिंह और कुलदीप कौर ने अपनी बेटी हरजिन्दर कौर की इस शानदार उपलब्धि का श्रेय उसकी सख्त मेहनत को दिया।

उन्होंने बताया कि जहां हरजिन्दर कौर घर में पशुओं को चारा डालने के लिए टोके वाली मशीन पर घंटों पसीनां बहाती रही है वहीं खेलों और वेटलिफ्टर की तैयारियों की तरफ पूरे उत्साह के साथ जुड़ी रही। मेहनत और समय की बात देखें तो आज उसके टोका मशीन चलाने वाले हाथों राष्ट्रमंडल खेलों में मैडल जीतन के भार उठाया है और कामयाबी को अपना निशाना बनाकर सफलता को अपने नाम करवा लिया। उल्लेखनीय है कि हरजिन्दर कौर कबड्डी और रस्साकसी की भी खिलाड़ी भी रही है। हरजिन्दर की मेहनत और उसके जजबे को परिवार सहित आज सारा देश सलाम कर रहा है। हरजिन्दर कौर द्वारा बीती रात हासिल किए अहम मुकाम से गांव मैहस सहित पूरे शहर नाभा में खुशी की लहर दौड़ गई है और गांव विवाह जैसा माहौल बन गया। परिवारक सदस्यों सहित समर्थकों ने ढोल बजाकर एक-दूसरे का मुंह मीठा करवाया।

बेटियां भी बेटों से कम नहीं : माता-पिता

एक गरीब घर से उठकर जिस प्रकार सफलता की सीढ़ी चढ़ रही इस बेटी ने पूरे भारत का नाम रोशन किया है, उसकी खुशी अभिभावकों और गांववासियों से संभाले नहीं संभल रही। परिवार के पास आज भी पुराना मकान है परंतु खेती के लिए जमीन नहीं। हरजिन्दर कौर के अभिभावक साहब सिंह और कुलदीप कौर अनुसार उनकी होणहार बेटी हरजिन्दर कौर की इस बेमिसाल उपलब्धि पर पंजाब सरकार के मंत्रियों सहित देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर बधाई दी है। उन्होंने कहा कि हमारी बेटी ने साबित कर दिया है कि लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से कम नहीं है। बल्कि हमें गर्व है कि हमारी बेटी, जिसने अपनी मेहनत से हमारे साथ-साथ पूरे देश को गौरव का अहसास करवाया है।

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