पंजाब में हिंसा

पिछले कई साल से पंजाब में धार्मिक संस्थाओं से जुड़े नेताओं व उनके समर्थकों की हत्या करने का सिलसिला जारी है। गत दिवस लुधियाना में आरएसएस के नेता का कत्ल कर दिया गया। इससे पहले जालंधर में आरएसएस के प्रदेशाध्यक्ष जगदीश गगनेजा की गोली मारकर हत्या की गई। उसके बाद नामधारी दरबार की माता चंद कौर व फिर जंगेड़ा के नामचर्चा घर में डेरा सच्चा सौदा के दो श्रद्धालुओं की दिनदिहाड़े हत्या कर दी गई। लगभग दो सालों का समय गुजर जाने के बाद भी इन मामलों की गुत्थी नहीं सुलझ सकी।

पिछली अकाली-भाजपा सरकार ने स्पैशल जांच टीम (एसआईटी) बनाकर जांच शुरू की लेकिन पुलिस के हाथ कुछ भी नहीं लगा। पुलिस ने विशेष तौर पर जगदीश गगनेजा की हत्या के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ कहकर पल्ला झाड़ दिया। हैरानी तो इस बात की है कि हत्यारों ने देश में आकर वरदात को अंजाम दिया है। विदेशी ताकतों के सरगना कौन हैं?, इसका पता लगाने के लिए कातिलों का सुराग ढूंढना होगा।

वर्तमान कांग्रेस सरकार ने भी एसआईटी बना दी, लेकिन पिछले कुछ समय का अनुभव यही बताता है कि विशेष टीमें भी कोई गिरफ्तारी नहीं कर सकी, साजिश का पर्दाफाश करना तो दूर की बात। सबसे अहम बात यह है कि विभिन्न घटनाओं में कातिलों का तरीका एक ही है। दो हमलावर आते हैं और घटना में बाइक का इस्तेमाल किया गया है।

वारदात के तरीके से इस बात का अंदाजा तो बड़ा सहज ही लगाया जा सकता है कि कातिल किसी एक ही ग्रुप से सबंधित हो सकते हैं। हालांकि सीसीटीवी कैमरे में आरोपी कैद हो जाते है, इसके बावजूद पुलिस उन्हें पकड़ नहीं पा रही। सरकार अब कुछ भी दावे करे लेकिन ताजा हालात काफी चिंता वाले हैं। इससे पहल भी पंजाब आतंकवाद के दौर से गुजर चुका है।

भारी नुकसान के साथ-साथ राज्य की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई और लाखों लोग पंजाब छोड़कर चले गए। पंजाब की कांग्रेस सरकार इस ताजा मामले के साथ-साथ बीते साल की वारदातों को गंभीरता से लेकर राज्य के अमन व भाईचारे की दुश्मन ताकतों का पदार्फाश करे। इन घटनाएं से यह बात तो साफ है कि साजिशकारी धर्म के नाम पर हमले कर धार्मिक सदभावना को तोड़ने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं।

यह सदभावना की ऐसी ताकत है जिसने आतंकवाद को जड़ से उखाड़ दिया था। राज्य की जनता अपने कर्तव्य को समझे व भाईचारे को कायम रखें, ताकि समाज विरोधी तत्व अपने मंसूबे में सफल न हो सकें। हिंसा राज्य की प्रगति में बाधा बन सकती है। आतंकवाद किसी भी कीमत पर सहन नहीं होना चाहिए।

 

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।