इंतजार खत्म : हरियाणा व दिल्ली सहित उत्तर भारत में आज रात से सक्रिय होगा मॉनसून

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सच कहूँ/संदीप सिंहमार। हिसार।  मॉनसून टर्फ उत्तर में ऊपर हिमालय की तरफ बढ़ने के कारण बारिश से वंचित चल रहे हरियाणा व दिल्ली सहित शेष उत्तर भारत में अब आज रात 9 जुलाई से मॉनसून दस्तक देने वाला है। 10 जुलाई से हरियाणा के ज्यादातर हिस्सों में मानसून की सक्रियता बढ़ने की संभावना है। इस दौरान हरियाणा के लगभग सभी जिलों में 14 जुलाई तक गरज चमक के साथ बारिश होगी। सक्रिय मानसून की पहली बारिश होने के बाद जहां उमस भरी गर्मी से लोगों को राहत मिलेगी वहीं फसलों को भी नवजीवन मिलेगा। भारत मौसम विभाग के अनुसार देश में 4 दिन की देरी से 3 जून को केरल में मॉनसून सक्रिय हुआ था।

अरब सागर में आए चक्रवात ताऊते व बंगाल की खाड़ी में आए यास चक्रवात से वातावरण में अधिक नमी बनी,जिससे उत्तर पूर्व व मध्य बारिश में समय से पहले मानसून पहुँच गया। इसी प्रकार 19 जून को मानसूनी हवाओं ने उत्तरी सीमा बाड़मेर,भीलवाड़ा,धौलपुर अलीगढ़ मेरठ,अंबाला व अमृतसर की ओर रुख किया। लेकिन ऊपरी सतह की अधिक ऊंचाई वाली पश्चिमी हवाओं के चलने से बंगाल की तरफ से नमी वाली पुरवाई मानसूनी हवाओं की सक्रियता में कमी आ गई। यही सबसे बड़ी वजह रही कि मानसूनी हवाएं सीधी हिमालय के ऊपरी क्षेत्रों की तरफ चली गई और हरियाणा,दिल्ली राजस्थान व पंजाब के लगभग हिस्सों में मानसूनी बारिश नहीं हो सकी।

2006 में 9 जुलाई को हुई थी पहली बरसात

उत्तर भारत में हर बार आमतौर पर समय पर मॉनसून का आगाज हो जाता है। इससे पहले 2006 में 9 जुलाई को दिल्ली व हरियाणा में मॉनसून ने दस्तक दी थी। इसी प्रकार वर्ष 2002 में 19 जुलाई को मॉनसून की पहली बरसात हुई थी तो 1987 में 26 जुलाई को हरियाणा व दिल्ली में मॉनसून पहुंचा था। इस प्रकार आंकड़ों के हिसाब से 15 साल बाद देरी से मॉनसून उत्तर भारत में सक्रिय होगा।

2010 में हुई थी रिकार्ड बारिश तो 2014 में बन गए थे सूखे जैसे हालात

इस बार भारत मौसम विभाग ने 15 जून के आसपास ही हरियाणा में भी मानसून पहुंचने का अनुमान लगाया था,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस दौरान कहीं कहीं हल्की बरसात जरूर हुई। मॉनसूनी सीजन में भी अब तक इस क्षेत्र में 60 मिलीमीटर बारिश का आंकड़ा भी पार नहीं हो सका है। यदि पिछले 10 सालों के मॉनसून के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो हरियाणा प्रदेश में 2010 में सबसे अधिक रिकॉर्ड 707.5 मिलीमीटर बारिश हुई थी। इसी प्रकार सबसे कम 2014 में 262.0 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी। तब भी वर्तमान समय की तरह सूखे जैसी स्थिति बन गई थी।

-मॉनसून में देरी की वजह से विशेषकर धान,नरमा,कपास ज्वार,ग्वार दलहन व अगेती बाजरा की फसलों को नुकसान पहुँचा है। लेकिन 10 जुलाई से मॉनसून सक्रिय होने पर फसलों को भी फायदा मिलेगा व तापमान में भी गिरावट आएगी।

डॉ. मदन लाल खीचड़ विभागाध्यक्ष कृषि मौसम विज्ञान विभाग हकृवि हिसार।

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