अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा युद्ध

Ukraine-Russia war sachkahoon

वैश्वीकरण के कारण किसी भी जंग का दुनिया के हर हिस्से पर असर पड़ता है। फिर चाहे वह युद्ध खाड़ी के देशों में हो या सुदूर अफ्रीका में लड़ा जा रहा हो। मगर रूस और यूक्रेन की जंग इनसे अलग है। यह दो महाशक्तियों के बीच का टकराव है। इसमें एक तरफ रूसी फौज है, जबकि दूसरी तरफ अमेरिका व नाटो द्वारा परोक्ष रूप से समर्थित यूक्रेन की सेना। दो ‘ब्लॉक’ बन गए हैं, जिनकी तनातनी भारत पर भी असरंदाज हो सकती है। यह युद्ध तात्कालिक तौर पर वैश्विक कारोबार, पूंजी प्रवाह, वित्तीय बाजार और तकनीकी पहुंच को प्रभावित करेगा। भारतीय अर्थव्यवस्था तो पहले ही कोविड-19 महामारी की आर्थिक चुनौतियों से उबर नहीं पाई है, वहीं अब रूस-यूक्रेन युद्ध ने नयी चुनौतियां खड़ी कर दी है।

ब्रोकरेज फर्म नोमुरा का कहना है कि मौजूदा भू-राजनीतिक संकट से भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। भारत कच्चे तेल का आयातक है। तेल की अपनी जरूरतों का लगभग 80 फीसदी आयात किया जाता है। पांच विधानसभा चुनावों को देखते हुए नवंबर, 2021 से पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों को अपरिवर्तित रखा गया है. लेकिन, चुनावों के बाद पेट्रोल और डीजल कीमतों में तेजी दिखेगी. एलपीजी कीमतों में भी बड़ी वृद्धि के आसार हैं। युद्ध का असर शेयर बाजार, उद्योग-कारोबार पर दिखने लगा है। बीते 25 फरवरी को सेंसेक्स 55858 अंकों पर था। रुपये में भी गिरावट आ रही है। कई प्रमुख वैश्विक मुद्राओं की तुलना में डॉलर मजबूत हुआ है. लगभग सभी उद्योगों में कच्चे माल की कीमतें बढ़ने लगी हैं।

वाहनों की परिचालन लागत बढ़ गयी है। यूरिया और फॉस्फेट महंगे हुए हैं। खाद्य तेल की कीमतों पर बड़ा असर हुआ है। इस युद्ध का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कुछ अन्य असर भी हो सकता है। जैसे, यह दुनिया भर के देशों का बजट बिगाड़ सकता है। सभी देश अपनी सेना पर ज्यादा खर्च कर सकते हैं। इससे वास्तविक विकास तुलनात्मक रूप से कम हो जाएगा और राजस्व में भी कमी आएगी। महंगाई से कर वसूली बढ़ती जरूर है, लेकिन यह शायद ही वास्तविक अर्थों में हो। इनसे राजस्व घाटा बढ़ता जाता है, जिसके बाद सरकारें सामाजिक क्षेत्रों से अपने हाथ खींचने लगती हैं। इससे स्वाभाविक तौर पर गरीब प्रभावित होते हैं। भारत शायद ही इसका अपवाद होगा। मुमकिन है कि वैश्वीकरण की अवधारणा से भी अब सरकारें पीछे हटने लगें, जिसका नुकसान विशेषकर विकासशील देशों को होगा। जाहिर है, यह युद्ध भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था को कई रूपों में प्रभावित कर रहा है।

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