आने वाले सालों में पानी होगा महंगा

Save water

अभी भले ही देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, परन्तु देश में एक त्रासदी ऐसी है जो हर वर्ष लौट-लौट कर आती है। गर्मी के मौसम में पीने के पानी की समस्या से लगभग पूरा देश जूझने लगता है। भारत की जलवायु गर्म है और पूरे वर्ष में नौ महीने गर्मी बनी रहती है। गर्मी से यहां पानी सूखता है, वहीं देश के उद्योगों एवं शहरों के विस्तार ने नदी-झीलों, तालाबों को बुरी तरह से प्रदूषित कर दिया है। अभी देश में पानी बचाने व उसके पुन: उपयोग (रीयूज) के बहुत से तौर-तरीके आजमाये जा रहे हैं, लेकिन वह तब तक नाकाफी हैं, जब तक हम हमारे प्राकृतिक स्त्रोतों को ठीक नहीं कर लेते। प्राकृतिक स्त्रोत ठीक करने के साथ-साथ ही हमें उद्योग, शहरों में घरेलू पानी के उपयोग को सुधारने की भी आवश्यकता है। कानपुर मेट्रो का प्रयास बेहद सराहनीय है। कानपुर मेट्रो न केवल वर्षा जल को इकट्ठा करने के लिए काम कर चुकी है, वहीं प्रतिदिन मेट्रो की साफ-सफाई में बेहद कम पानी का उपयोग कर रही है।

जो महज 150 लीटर तक ही है। इतना ही गाड़ी धोने के लिए पानी पहले से ही उपयोग किया गया काम में लिया जाएगा, गाड़ी धो लेने के बाद भी उसे पुन: साफ करने के लिए इकट्ठा किया जाएगा। रेलवे की ही तरह देश के अन्य बड़े-बड़े औद्योगिक संस्थान भी यदि पानी को बचाएं, नगर निगम एवं नगरपालिकाएं पानी बचाएं तो काफी हद तक देश में पीने के पानी की कमी को दूर किया जा सकता है। देश में 60 करोड़ लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। पानी की कमी का सबसे अधिक दुष्प्रभाव बच्चों एवं महिलाओं के जीवन पर पड़ता है। कई क्षेत्रों में बच्चे व महिलाएं दिन के कई घण्टे परिवार के लिए पानी जुटाने में लगा देते हैं। देश के 21 महानगरों में जमीनी पानी भी न के बराबर है।

देश में यदि पानी की फिक्र नहीं की गई तो आज मुफ्त के भाव मिल रहा पानी 2050 आते-आते पेट्रोल-डीजल की तरह लोगों की कमाई का बड़ा हिस्सा खर्च करवाने लगेगा। एक अनुमान के मुताबिक आने वाले वक्त में देश की जीडीपी का 6 प्रतिशत तक सिर्फ पानी के लिए खर्च करना पड़ेगा। पानी खर्च नहीं बढ़े इसके लिए पेड़ों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ानी होगी। पेड़ जहां जमीन में पानी इकट्ठा करते हैं, वहीं समुद्री पानी की भाप को वर्षा में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पेड़ों के अलावा हर घर, संस्थान, निगम, निकाय, वर्षा जल तकनीक से वाटर टैंक भरे। देश में करोड़ों की संख्या में वाटर टैंक, तालाब, खरबों घन मीटर वर्षा पानी भरकर रख सकें तो देश में पानी की कमी से उभरा जा सकता है। पानी की बर्बादी को रोक लेना ही पानी की कमी दूर कर लेना है, जिसे कि हर नागरिक आसानी से कर सकता है।

 

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