किसानों के अरमानों पर मौसम की मार, फसलें बर्बाद

Crops Ruined sachkahoon

सच कहूँ संवाददाता ने किया गांव का दौरा, किसान बोले मुआवजा नहीं मिला तो मर जाएंगे भूखे

सच कहूँ/सुरजीत कुराली, नारायणगढ़। दो महिने से भारी बरसात के कारण जहां फसलों को हुए नुकसान (Crops Ruined) के सदमे से अभी किसान उबरे भी नहीं थे, उपर से उपमंडल के कुछ गांवों में गत दिनों हुई ओलावरिष्ट ने किसान को बर्बाद कर दिया है। बरसात के साथ हुई ओलावरिष्ट के कारण गेहूं, सरसो, आलू, बरसीन जैसी फसलों को नुकसान पहुंचा है। लेकिन उपमंडल के गांव लाहा के मौजा में भारी ओलावरिष्ट से करीब 90 एकड़ पर खड़ी फसलों को व सड़को पर सफेद चादर सी बिछ गई थी।

यहां तक कि ठेके पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसान की फसल नष्ट (Crops Ruined) होने पर व छोटे किसान जिन्होंने अपने घर के लिये अनाज व पशुओं के लिये घास लगा रखी थी, बर्बाद होने पर मोहताज नजर आये। किसानों ने सरकार से विशेष गिरदावरी करवा कर मुआवजे की मांग की है। जब सच कहूँ संवाददाता ने गांव लाहा में दौरा किया तो स्थिति सामने आई।

गेहूं व आलू की फसल का भारी नुकसान

किसान मनजीत ने बताया कि उसने ठेके पर सवा दो एक्ड जमीन 70 हजार पर ठेके में ली हुई थी। जिसमें आलू व गेहूं लगा रखी थी। पहली भी बरसात से काफी नुकसान हुआ था । परन्तु खाद वगैरह डालकर ठीक की थी। लेकिन अबकि बार ओलावृष्टि होने जहां सब फसले तबाह हो गई है। सरकार से मांग है कि गिरदावरी करवाकर मुआवाजा दिया जाये।

ठेके पर लेकर सवा 7 एकड़ की लगाई गई गेहूं की फसल बर्बाद

किसान हरदीप ने बताया कि सवा 7 एकड़ में जमीन ठेके पर 40 हजार रुपए पर प्रति एकड़ के हिसाब से ली हुई है। उसमें गेंहू लगा रखी थी। कल भारी ओलावृष्टि होने पर सभी फसल बरबाद हो गई है। अब तो हम सड़क पर आ गये हैं। सरकार हमारी मदद करे।

अभी कोई नहीं लेने आया सुध

किसान मदनलाल ने बताया कि दो एकड़ में गेहूं लगी हुई थी। लेकिन ओलावृष्टि के कारण फसल नष्ट (Crops Ruined) हो गई है। अभी सरकार का कोई भी नुमाइंदा देखने नहीं आया है। सरकार द्वारा गिरदावरी करवाकर उचित मुआवजा दिया जाये।

खाने के लिए नहीं बचे दाने

किसान गुरदीप सिंह ने बताया कि मेरी यहां लाहा मौजे में 8 एकड़ जमीन है, उसमें गेहूं लगा रखी है। पहले भी बरसात बहुत हुई थी। उससे भी नुकसान हुआ था। अब ओला इतना ज्यादा पड़ा है। जिसपर फसलें बिल्कुल बर्बाद हो गई है। न तो खाने के लिये दाने है और न कुछ और है। इस समय हम बर्बाद हो गये हैं। गेहूं की फसल बिल्कुल टुटने से नष्ट हो चुकी है।

सरकार हमारी मद्द करे

किसान बबली ने बताया कि हमने एक छोटी सी जमीन पर लहसुन, गेहूं, सरसो लगाई हुई थी। ओले के कारण सभी फसल खराब हो गई हैं। हम सरकार से मांग करते है कि अबकी बार घर में अनाज न होने पर पर सरकार हमारी मदद करे। वहीं किसान नसीबो देवी ने बताया कि अपने घर की 6 कनाल जमीन है। उस जमीन में अपने घर के लिये गेंहू व घास लगाया हुआ था। ओलावरिष्ट के कारण सब नष्ट हो गया है। अबकी बार तो घर के लिये अनाज व पशुओ के लिये घास तक के लिये मौहताज हो गये है।

40 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन लेकर की थी बुआई

किसान सत नारायण जो 30 साल से अपने परिवार के साथ गांव लाहा रह रहे हैं ने बताया कि मैने ठेके पर 40 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से 18 एकड़ जमीन ले रखी है। दो एकड़ में सरसो लगा रखी थी जो पकने पर काटनी थी। अन्य खेतों में चना, गेंहू , प्याज लगा रखा था लेकिन ओले के कारण सब बर्बाद हो गया है। अब बच्चों को क्या खिलायेगें। भूखे मरने की बात आ गई है। वहीं किसान गुरमीत सिंह ने बताया कि साढ़े तीन एकड़ जमीन में गेहूं लगाई हुई थी। ओले के कारण जो खराब हो चुकी है।

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