Satsang Bhandara:- नभ से धरा तक भरा ही भरा है...

Satsang Bhandara:- नभ से धरा तक भरा ही भरा है...

Satsang Bhandara:- रूहानी तरंगों की लय हो रही है... ये नगरी सकल भक्तिमय हो रही है

Satsang Bhandara: कि  नभ से धरा तक भरा ही भरा है कि सागर में रूहें विलय हो रही है। संजय बघियाड़