मध्यवर्गीय लोगों की पहुँच से बाहर हुए तूड़ी के भाव, महंगे भाव भी तूड़ी मिलनी हुई मुश्किल

Wheat Bran sachkahoon

सच कहूँ/कर्म थिन्द, सुनाम उधम सिंह वाला। इस बार तूड़ी (Wheat Bran) के रेट आसमान छूने के कारण छोटे मध्यवर्गीय किसानों, और गरीब मजदूरों की पहुँच से तूड़ी बाहर होती जा रही है। इस बार 900 से 1100 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से तूड़ी बिक चुकी है और अब 400 से 600 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से तूड़ी बिक रही है। इससे पहले तूड़ी के रेट दो-ढाई सौ रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से रहा करते थे।

इस बार तूड़ी के रेट इतने बढ़ने के कई कारण बताए जा रहे हैं, एक तो पिछले साल के मुकाबले इस बार तूड़ी आधी ही बन रही है, दूसरा बहुत किसान ऐसे हैं जो तूड़ी को अब बेच नहीं रहे। उनकी तरफ से तूड़ी को स्टोर किया जा रहा है, जिससे वह आने वाले समय में तूड़ी को महंगे भाव पर बेच सकें। कई किसानों के बताने मुताबिक तो उनकी तरफ से यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले समय में तूड़ी 1000 से 1500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक सकती है, जिसको देखते हुए वह तूड़ी किसी को बेच नहीं रहे।

तूड़ी कम निकलने के कारण और किसानों की तरफ से इसको न बेचे जाने कारण छोटे किसान और गरीब मजदूर जो अपने घरों के में दुधारू पशु रख रहे हैं। उनको तूड़ी किसी भाव भी नहीं मिल रही। उनके पास हरे चारे की भी कमी होती है, जिस कारण उनको तूड़ी लेना बहुत लाजिमी होता है।

पशु बेचने के लिए हूँ मजबूर, इतनी महँगी तूड़ी डाल कर क्या करूंगा : छोटे किसान, मजदूर

कई छोटे किसानों और मजदूर परिवारों से सम्बन्धित लोगों ने बातचीत करते कहा कि उनके पास दुधारू पशु रखे हुए हैं। हर साल वह तूड़ी मूल्य लेकर अपने पशुओं को डालते हैं। उन्होंने कहा कि दो -चार पशु रखकर थोड़ा बहुत दूध बेचकर वह अपने परिवारों का खर्चा चलाते हैं। उन्होंने कहा कि वह इस बार तूड़ी खरीदने में असमर्थ हैं क्योंकि तूड़ी के भाव अब भी बहुत ज्यादा बढ़े हुए हैं और किसान इन रेटों पर भी तूड़ी उनको देने को तैयार नहीं हैं। क्योंकि ज्यादातर बड़े किसान तूड़ी को स्टोर कर रहे हैं जो आगे जाकर पिछले साल की तरह महंगे भाव पर तूड़ी बेचेंगे।

उन्होंने बताया कि अब हम इतने महंगे भाव की तूड़ी डाल कर हमें बचने बचाने को तूड़ी भी नहीं रहनी, जितना दूध यह पशु देते हैं उसके साथ तो इनका खर्चा भी नहीं पूरा होना, जिस कारण वह अपने पशुओं को बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनको यह भी चिंता सता रही है कि पशुओं के बेचने के बाद वह अपने परिवारों का खर्चा कैसे चलाऐंगे, उन्होंने कहा कि बहुत लोग अब अपने पशु बेच रहे हैं परंतु पशुओं को खरीदने वाले पशुओं का आधा रेट लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह पंजाब सरकार को यह अपील जरूर करेंगे कि पंजाब से बाहर जो फैक्टरियों में जलाने के लिए तूड़ी ले जायी जाती है, उस पर पूर्ण तौर पर पाबंदी लगाई जाये।

तूड़ी महंगी होने का ठीकरा किसानों के सिर न फोड़ा जाये: जोगिन्द्र सिंह उगराहां

भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के राज्य प्रधान जोगिन्द्र सिंह उगराहां ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो के द्वारा किसानों से अपील की है कि वह छोटे किसानों और मजदूरों को वाजिब रेटों पर तूड़ी जरूर दें और साथ ही उनहोंने यह भी कहा कि तूड़ी के रेट किसानों की ओर से नहीं बढ़ाए गए, रेट बढ़ने का कारण भी कॉपोर्रेट घराने हैं, क्योंकि सरकार की ओर से पिछले समय कोयले को प्राईवेट सैक्टर के हाथों दे दिया था, जिससे कोयले के रेट बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं, अब जबकि फैक्टरियों को कोयला महँगा मिलता है और तूड़ी सस्ती मिलती है|

जिस कारण फैक्टरियां वाले तूड़ी महंगे रेट पर खरीद रहे हैं, जिस कारण तूड़ी के रेट बढ़े हैं, उन्होंने कहा कि जब कोयले को प्राईवेट सैक्टर को दिया जा रहा था उस समय भी उनकी जत्थेबंदी ने आपत्ति जताई थी क्योंकि कोयला महँगा होने साथ बिजली, कपड़ा, खाने पीने की वस्तुओं सहित और बहुत चीजें महँगी होंगी। इस कारण किसानों और मजदूरों को मिल कर कॉपोर्रेट घरानों के खिलाफ यह लड़ाई लड़नी पड़ेगी।

जिससे इसका हल निकल सकता है। उन्होंने मजदूरों को भी कहा कि तूड़ी महँगी होने का ठीकरा किसानों के सिर न तोड़ा जाये। उन्होंने एक बार फिर किसानों को कहा कि मजदूर हमारा हिस्सा हैं, हमारे भाई हैं, आप जितनी हमदर्दी से उनकी हरे चारा की जितनी मदद कर सकते हो उतनी मदद जरूर करो।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।