Laika Doggy: जब अंतरिक्ष में पहली बार कुत्ता गया तो…

Laika-Doggy

लाइका, जिसकी जिदगी  यूं ही सड़कों पर घूमते फिरते कट रही थी (Laika Doggy ) लेकिन उसे क्या पता था कि ये सब जल्दी ही बदलने वाला था। बात 1950 के दशक की है। इंसान जब भी आकाश की ओर देखता, एक उत्सुकता जाग उठती थी। अंतरिक्ष की अनंत गहराइयों को हम कब नाप पाएंगे। लिहाजा रॉकेट बनाए गए, जिनमें बैठकर इंसान आकाश गंगाओं का रुख करने वाला था। इसे किस्मत कहेंगे या बदकिस्मती कि वैज्ञानिकों ने इस मिशन के लिए लाइका को चुना। वैज्ञानिक ये जानना चाहते थे कि स्पेस फ्लाइट का किसी जीवित प्राणी पर क्या असर होता है। रॉकेट की मदद से स्पेस क्राफ्ट ने टेक आॅफ किया और 162 दिन बाद धरती पर लौटा। धरती के 2570 चक्कर लगाने के बाद। लेकिन लाइका न लौटी। उसकी मौत हो चुकी थी।

‘लम्बी छलांग में एक पंजा भी शामिल’ | Laika Doggy

बात वाजिब थी लेकिन पूरी नहीं। असलियत में ये छोटा सा कदम सिर्फ इंसान का नहीं था। एक छोटा पंजा भी इसमें शामिल था। एक कुत्ते का, जिसका नाम था लाइका।

अंतरिक्ष का सफर | Laika Doggy

दिन 4 अक्टूबर 1957, अमेरिकी राष्ट्रपति आइजनहावर के आॅफिस में गहमागहमी और दिनों से कुछ ज्यादा थी। लोग फाइलें लिए इधर उधर दौड़ रहे थे। प्रेस रूम में पत्रकार अपने तीखे सवालों के साथ तैयार खड़े थे। टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज चल रही थीं। सोवियत रूस से हार गया अमेरिका। लानत हो, वाले लहजे में एंकर फिकरे बरसा रहे थे। ये सब हो रहा था एक छोटे से चमकते गोले के कारण। महज 23 इंच व्यास था जिसका, लेकिन आइजनहावर के लिए मुसीबत का सबब बन गया था, क्योंकि ये गोला अंतरिक्ष में था और धरती के चक्कर लगा रहा था।
स्पेस रेस में सोवियत रूस ने पहली बाजी मार ली थी। स्पूतनिक-1, ये नाम था दुनिया की पहली आर्टिफिशियल सैटेलाइट का। स्पूतनिक- रूसी भाषा के इस शब्द का मतलब होता है हमसफर। सफर जो अनंत आकाश में चल रहा रहा लेकिन इस यात्रा में हमसफर बनने की होड़ में एक और देश लगा हुआ था। – अमेरिका।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका ने चुपके से नाजी जर्मन वैज्ञानिकों और इंजीनियरों अपने यहां भर्ती किया। इनमें से एक का नाम था वर्नर वॉन ब्रॉन। ब्रॉन ने WW2 के दौरान V2 नाम की एक उन्नत तकनीक वाली मिसाइल बनाई थी। उनकी इसी योग्यता के चलते अमेरिका ने अपने इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम की कमान उसके हाथ में सौंप दी। हालांकि तब राकेट और मिसाइल का मतलब एक ही था। इसलिए यही स्पेस प्रोग्राम का शुरूआती चरण भी बन गया। ब्रॉन खुद भी स्पेस प्रोग्राम में बहुत रूचि रखता था। बल्कि युद्ध के दौरान जब उसकी मिसाइलें लन्दन पर कहर बरसा रही थीं, वो कहता था, ये राकेट काम तो ठीक से कर रहे है लेकिन इनकी लैंडिंग बस गलत ग्रह पर हो रही है. ब्रान धरती दरअसल अपने रॉकेटों को धरती के पार सुदूर अंतरिक्ष में पहुंचाना चाहता था। जल्द ही उसका ये मंसूबा भी पूरा हो गया।

अमेरिका-रूस आमने-सामने | Laika Doggy

आइजनहावर ने 1955 में घोषणा की कि अमेरिका जल्द ही अपनी पहली आर्टफिशियल सैटेलाइट लॉन्च करेगा। चार दिन बाद रूस ने भी ऐसा ही ऐलान किया और दोनों देश स्पेस रेस की स्टार्टिंग लाइन पर आकर खड़े हो गए। अमेरिका तैयारी में लगा था लेकिन रूस ने पहली बाजी मारते हुए अक्टूबर 1957 में पहली सैटेलाइट लॉन्च भी कर दिया। इससे पहले कि अमेरिका रियेक्ट कर पाता, रूस ने स्पूतनिक टू के लॉन्च की तैयारी भी पूरी कर ली और 30 दिन के भीतर उसे भी लॉन्च कर दिया। हालांकि स्पूतनिक वन और टू में एक अंतर था। इस बार ये सैटेलाइट अकेले नहीं जा रहा था। एक जीवित हमसफर भी इसके साथ था। यहां से इस कहानी में एंट्री होती है लाइका की।

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