महिलाओं की सुरक्षा करनी होगी अन्यथा विकट होगा भविष्य

When will stop torture against women

हाथरस घटना में नित नये खुलासे हो रहे हैं। दलित युवती के साथ दुष्कर्म की घटना के बाद उपजी स्थितियों ने मामले को बहुत गंभीर बना दिया है। इस घटना की आड़ में जातीय हिंसा फैलाने के षडयंत्र का खुलासा भी यूपी पुलिस ने किया है। जस्टिस फॉर हाथरस नाम की एक फर्जी वेबसाइट रातों-रात बनाई गई। जिसके जरिए दिल्ली दंगों की तर्ज पर सांप्रदायिक दंगे कराने की साजिश रची जा रही थी। मीडिया के एक वर्ग ने टीआरपी और निजी हितों के चलते तमाम मनगढंत तथ्य असल घटना के साथ जोड़कर देश के सामने पेश किये। वहीं स्थानीय पुलिस और प्रशासन की लापरवाह कार्यशैली ने मामले को बिगाड़ने का काम किया। इस मामले में जमकर राजनीति हो रही है।

युवती के साथ दुष्कर्म हुआ या नहीं ये तो जांच का विषय है। लेकिन किसी सभ्य समाज में किसी महिला का अपमान व मारपीट का कोई स्थान नहीं हो सकता। देश में महिला सुरक्षा के कई कानून हैं। जो समाज बेटियों की रक्षा नहीं कर सकता, उस समाज को अपने गिरेबान में झांककर जरूर देखना चाहिए। हाथरस में युवती के साथ जो हुआ, वो पीड़ादायक है। उसकी जितनी निंदा की जाए कम है। देश में महिलाओं के प्रति अपराध की घटनाएं घटने की बजाय बढ़ी हैं, ये जमीनी हकीकत है। किसी बड़े चैनल ने इस घटना को कवर नहीं किया। और न ही राजनीतिक दलों के नेताओं ने वहां जाने की जहमत ही उठाई। क्योंकि यहां अपराधी एक वर्ग विशेष का था। ऐसे में हाथरस में न्याय मांगने वाले राजनीतिक दलों को वोट बैंक के हिसाब से ये घटना रास नहीं आई।

देश में दुष्कर्म की घटनाओं को अगर आंकड़ों के आलोक में देखा जाए तो उनके अनुसार पिछले एक वर्ष में 33,658 दुष्कर्म की घटनाएं हुई। दुष्कर्म की घटनाओं के आंकड़ें इस ओर इशारा करते हैं कि बेटियों के लिये सुरक्षित माहौल हम अब तक बना नहीं पाये हैं। किसी के लिए ये आंकड़े और ब्यौरे हो सकते हैं, लेकिन हमारे लिए दरिंदगी की बारियां और गणनाएं हैं। हाथरस मामले में उप्र सरकार तथा स्थानीय पुलिस और प्रशासन जिस फजीहत का शिकार हुए उसके लिए वे खुद जिम्मेदार हैं। वास्तव में समाज को मिल बैठकर बेटियों की सुरक्षा की चिंता करनी होगी। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। वहीं मीडिया को ऐसे मामलों में टीआरपी खोजने की बजाय संवेदनशीलता बरतनी चाहिए। पीड़ित को कानून के दायरे में शीघ्र न्याय मिलना चाहिए। अगर इन पर नकेल कसने के लिए अभी गंभीरता नहीं दिखाई गई तो भविष्य इससे भी विकट हो सकता है। मामले की सच्चाई सामने आनी चाहिए।

 

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