लालडू की महिलाओं ने सच कहूँ के साथ बेबाकी से रखी अपनी बात
- बोली-सतगुरु ने किए असंख्य उपकार
- दुष्प्रचार से विश्वास तोड़ने की साजिश नाकाम
लालडू (सच कहूँ न्यूज)। मीडिया और समाज के विरोधी तत्वों द्वारा डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ किया जा रहा झूठा प्रचार बुरी तरह नाकाम साबित हो रहा है। श्रद्धालुओं की पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां और डेरा सच्चा सौदा के प्रति श्रद्धा, विश्वास और प्यार दिन-दोगुणा और रात-चौगुणा बढ़ रहा है। इसका उदाहरण देखने को मिला पंजाब के लालडू ब्लॉक में।
यहां की महिलाओं ने सच कहूँ प्रतिनिधि के साथ बातचीत करते हुए डेरा सच्चा सौदा के प्रति बेबाकी से अपने मनोभाव प्रकट किए। सच कहूँ से बात करते हुए नीतू इन्सां ने कहा कि डेरा सच्चा सौदा एक खुली किताब है, उसे एक बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हर आयु वर्ग का व्यक्ति आसानी से जान सकता है, इसमें कुछ छिपी हुई बात नहीं हैं।
मैं बचपन से डेरा सच्चा सौदा दरबार से जुड़ी हुई। वहीं हॉस्टल में रहकर मैंने अपनी एमए तक पढ़ाई पूरी की और इस दौरान मैं दरबार में सेवा कार्य भी करती रही। मैंने वहां कुछ भी गलत नहीं देखा। उन्होंने कहा कि मीडिया ने पूज्य गुरू जी और दरबार के बारे में जो कुछ भी बोला, उसमें लेशमात्र भी सच्चाई नहीं है बल्कि पूरा झूठ है।
नीतू इन्सां ने कहा कि हमें अपने सतगुरू पर पूरा विश्वास है। हर वक्त पिताजी का ही ख्याल दिमाग में रहता है। उन्होंने कहा कि हमारा सतगुरू पूर्ण है। सीमा रानी इन्सां ने कहा कि मैं पिछले 15 साल से डेरा सच्चा सौदा से जुड़ी हूँ। मेरे पापा बहुत ज्यादा शराब पीते थे। इसके बाद मेरा परिवार डेरा सच्चा सौदा गया और पूज्य गुरू जी से गुरूमंत्र लिया। उसके बाद से परिवार के जैसे दिन ही फिर गए और घर में स्वर्ग जन्नत सा माहौल बन गया। हमारे परिवार पर पूज्य गुरू जी ने इतनी रहमतें बरसाई कि हम अपनी जुबां से ब्यां ही नहीं कर सकते।
मुझे अपने सतगुरू पर बेहद विश्वास है। उन्होंने कहा कि पूज्य गुरू जी ने वेश्याओं को बेटियां बनाकर उनकी शादियां करवाई, समाज में लोगों का नशा छुड़वाया, रक्तदान कैंप लगवाने सहित 133 मानवता भलाई कार्य चलाए। मनजीत कौर इन्सां ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मैं 1994 से डेरा सच्चा सौदा से जुड़ी हुई हूँ।
वहां के माहौल में कितनी पवित्रता और सच्चाई है, उसे वहीं समझ सकता है, जो वहां गया है, जिसने कभी वहां जाकर ही नहीं देखा, वो कुछ भी कहता रहे। पूरी साध-संगत अपने से छोटों को बेटा-बेटी और बड़ों को अपने भाई, माता-पिता के समान मानती है, यह सब पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं की बदौलत ही संभव हुआ है।
हमारा गुरू पूर्ण है, उनमें सुर्इं की नोंक जितनी भी कमी नहीं है। जसविन्द्र कौर इन्सां ने कहा कि मेरे दादा-परदादा के समय से ही मेरा परिवार डेरा सच्चा सौदा दरबार से जुड़ा हुआ है। शाह मस्ताना जी महाराज के समय से ही परिवार के सदस्य दरबार में जा रहे हैं। डेरा सच्चा सौदा में कुछ भी गलत नहीं है।
बचपन से वहां पढ़े, खेले वैसा प्रेम भाव और आदर सत्कार कहीं और देखने को नहीं मिला। वहां जाकर आत्मा को जो शांति मिलती है। एक अन्य महिला मनजीत कौर ने कहा कि हम सतगुरू के उपकारों का देन नहीं दे सकते। लेकिन हम अपनी आखरी सांस तक डेरे जाते रहेंगे। डेरा सच्चा सौदा में अच्छाई और सच्चाई सिखाई जाती है, बुराई से छुड़वाई जाती है। हमें पूर्ण विश्वास है एक दिन सच्चाई की जीत होगी।
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