‘धर्म हथियार’ से वोट हड़पने का फंडा नाकाम

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मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में मिली करारी हार के बाद मोदी लहर थम सी गयी है। तीनों राज्यों में अब कांग्रेस की सरकार है। किसी ने नहीं सोचा था कि भाजपा हारेगी परन्तु बाजी पलटी और सत्ता कांग्रेस के हाथ में आई। देखा जाए तो लोग कांग्रेस के पक्ष में कम भाजपा के खिलाफ ज्यादा वोट कर रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि जनता हिंदू-मुस्लिम के विवाद को लेकर तंग आ चुकी है। बीजेपी के कुछ नेता धर्म को अपना हथियार बनाकर वोट हड़पना चाहते थे परंतु जनता जागरूक हो चुकी है वह सब जान चुकी है कि धर्म के नाम पर वोट मांगा जा रहा है जोकि सरासर गलत है।

मोदी ने सत्ता में आने से पहले कहा था कि अयोध्या विवाद का हल होगा परंतु प्रधानमंत्री बनने के चार साल बाद भी इसका हल नहीं निकला बल्कि सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने के बाद समस्या तनावपूर्ण बनती जा रही है। बीजेपी के शासन में जातिवाद को लेकर आए दिन हंगामे हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हनुमान जी तक को भी नहीं बख्शा वह उन्हें शूद्र संबोधित कर गए जोकि गलत बात है। वह खुद एक गेरुआ धारी हैं उनको तो सबको एक समान नजरों से देखा देखना चाहिए परंतु उन्होंने जातिवाद का भयावह खेल खेला और भगवान को भी नहीं छोड़ा तो हम इंसानों की बात ही छोड़ दी जाए। चुनाव होने से पूर्व इन तीन राज्यों में योगी जी कुल 74 रैली करने गए।

अमित शाह ने कुल 36 रैली की और हमारे प्रधानमंत्री ने कुल 31 रैलियां करने के बावजूद उनको इन तीन राज्यों में मुंह की खानी पड़ी। योगी आदित्यनाथ ने तो इतने स्थानों के नाम बदल डाले कि पूछो ही मत, हद तो तब हो गई जब वह हैदराबाद गए और वहां जाकर बोले की हैदराबाद का नाम बदल देंगे। जनता जान चुकी है कि नाम बदलने से कुछ नहीं होता यदि आपको सत्ता में रहना है तो जनता के लिए काम करना होगा। प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी ने कहा था कि किसानों का कर्ज माफ कर देंगे और उनकी उपज डेढ़ गुना दाम पर बिकेगी परंतु यह राजनीति है यहां वादे केवल वोट पाने के लिए किए जाते हैं।

अब चार साल बीत गए परंतु किसानों के हित के लिए एक भी कार्य नहीं किया गया इसके अलावा मोदी जी ने कहा था बेरोजगारी की समस्या को जड़ से उखाड़ देंगे परंतु इसका विपरीत हुआ आज बेरोजगारी इतनी बढ़ गई है कि छात्र आत्महत्या करने पर विवश हो गए हैं। हाल ही में ग्रुप-डी की परीक्षा समाप्त हुई है और हम सब जानते हैं कि ग्रुप डी की परीक्षा में लगभग दो करोड़ अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरा था जोकि भारत में पहली बार हुआ है। इससे स्पष्ट है कि भारत में बेरोजगारी कैसे पनप रही है। यही सब कारणों से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। सत्ता चाहे किसी के भी हाथ में हो, हमें ऐसा नेता चाहिए जो गरीबों की सुने, बेरोजगारी दूर करे। आज कांग्रेस की जीत हुई है, यदि वे ठीक से अपना काम नहीं करते तो उनको भी हार का सामना करना पड़ेगा।

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