नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ताज़ा रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि हैजा अब भी वैश्विक स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौती बना हुआ है। वर्ष 2025 तक दुनिया के 31 देश इस बीमारी की चपेट में बताए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, उपचार उपलब्ध होने के बावजूद 2024 में हैजा से होने वाली मौतों में 2023 की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। लगातार दूसरे वर्ष इस रोग ने 6,000 से अधिक लोगों की जान ली। वहीं, मामलों में भी लगभग पाँच प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। WHO News
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रस्तुत आँकड़े वास्तविक स्थिति को कम करके दर्शाते हैं। हैजा विब्रियो कोलेरा नामक जीवाणु से फैलने वाला संक्रमण है, जो मुख्यतः अशुद्ध जल और दूषित भोजन के कारण तेजी से फैलता है। डब्ल्यूएचओ ने रिपोर्ट में बताया कि संघर्ष की परिस्थितियाँ, जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या का विस्थापन और स्वच्छ पेयजल व स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी इस रोग के प्रसार को बढ़ा रही हैं। वर्ष 2023 की तुलना में 2024 में प्रभावित देशों की संख्या 45 से बढ़कर 60 हो गई।
डब्ल्यूएचओ ने दी चेतावनी
अफ्रीका, मध्य-पूर्व और एशिया इस रोग का सबसे अधिक बोझ झेल रहे हैं। कुल दर्ज मामलों में से लगभग 98 प्रतिशत इन्हीं क्षेत्रों से आए। इनमें से 12 देशों में दस-दस हजार से अधिक रोगी पाए गए, जबकि सात देशों में पहली बार बड़े पैमाने पर संक्रमण फैला। डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि हैजा से निपटने के लिए सरकारों और समुदायों को मिलकर काम करना होगा। स्वच्छ जल और सुरक्षित स्वास्थ्य ढाँचे की उपलब्धता, लोगों को सही जानकारी, त्वरित इलाज और टीकाकरण आवश्यक है। साथ ही, निगरानी तंत्र को और मज़बूत करने तथा टीका उत्पादन पर अधिक निवेश करने की आवश्यकता बताई गई है।
संगठन ने यह भी बताया कि 2024 की शुरुआत में नए ओरल वैक्सीन यूविचोल-एस को अनुमोदन मिला, जिससे भंडार स्तर बेहतर हुआ। इसके बावजूद, वैक्सीन की बढ़ती मांग के कारण कई स्थानों पर दो-खुराक व्यवस्था को अस्थायी रूप से एक खुराक में बदलना पड़ा। केवल 2024 में ही 16 देशों को आपातकालीन उपयोग हेतु लगभग 4 करोड़ खुराकें भेजी गईं। फिर भी, 2024 और 2025 दोनों वर्षों में आपूर्ति की कमी बनी रही। WHO News