‘‘पूर्ण सतगुरू अपने मुरीदों का साथ कभी नहीं छोड़ता’’

Ruhani-Karishma

बल्ले-बल्ले हो जाएगी

12 दिसम्बर, 1985 की बात है। मैंने अपनी लड़की की शादी रखी हुई थी। एक दिन मैं पूजनीय परम पिता जी के पास आया। तेरावास के बाहर खड़े हुए सत्ब्रह्मचारी सेवादार से कहा कि मुझे पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी से मिलना है। उसने कहा कि क्या आपने नाम ले रखा है? मैंने कहा, नहीं जी। तभी पूजनीय परम पित जी ने मुझ पर दृष्टि डाली और मुझे अंदर आने का इशारा किया। मैंने पूजनीय परम पिता जी के पास अर्ज की कि गुरू जी, मैंने लड़की की शादी रख दी है और घर में पैसे की कमी है। पूजनीय परम पिता जी ने वचन फरमाए, ‘‘बेटा, घर में शराब नहीं आने देना, बल्ले-बल्ले हो जाएगी।’’ मैं खुशी-खुशी घर पहुंचा और मैंने पूजनीय परम पिता जी के वचनानुसार ही कार्य किया। लड़की की शादी में कोई कमी नहीं आई। तत्पश्चात हमारे समस्त परिवार ने नामदान ले लिया। पूजनीय परम पिता जी की रहमत से अब हमारे घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं है।
श्री हुक्म चंद टुटेजा, दरियापुर, फतेहाबाद (हरियाणा)

कमाई में बरकत

एक बार एक लड़का पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज से कहने लगा कि आपजी की कृपा से मेरे पापा की तनख्वाह 4000 रूपये से बढ़कर 6550 रूपये हो गई है जी। इस पर पूजनीय परम पिता जी ने फरमाया, ‘‘बेटा! तेरा पापा हक हलाल की कमाई करता है। जो प्रेमी हक हलाल की कमाई करता है तथा वचनों पर अमल करता है तो मालिक उसकी कमाई में बरकत करता है। यहां पर अक्ल-इल्म फेल हो जाते हैं। आदमी सोचता है कि ऐसा कैसे हो गया? लेकिन मालिक चाहे तो कमाई को किसी भी तरह से बढ़Þा सकता है।’’ इस प्रकार पूजनीय परम पिताजी ने उस बच्चे के ख्यालों को दृढ़ता प्रदान की।
श्री गगनदीप, लुधियाना(पंजाब)

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