पंजाब वैकल्पिक फसलों के लिए तैयार परन्तु केंद्र लाभदायक भाव दे : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री की तरफ से लुधियाना में दो-दिवसीय किसान मेले और पशुपालन मेले का उद्घाटन

  • पराली की समस्या के हल के लिए जल्दी ले रहे हैं फैसला
  • कृषि माहिरों को खेतों में जाकर किसानों को उन्नत खेती संबंधी जागरुक करने के लिए कहा

लुधियाना। (सच कहूँ/रघबीर सिंह) मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज कहा कि पंजाब में पानी के गंभीर संकट के हल के लिए किसानों को पानी के अधिक खपत वाली फसलों की बजाय वैकल्पिक फसलों की काश्त करने के लिए प्रेरित करने के लिए भारत सरकार को इन फसलों पर लाभदायक मूल्य देने की जरुरत पर जोर दिया। यहाँ पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी में किसानी, जवानी और हवा-पानी बचाइए, आओ रंगला पंजाब बनाऐं के नारे के साथ आज शुरु हुए दो-दिवसीय किसान मेले और गुरु अंगद देव वैटरनरी एंड एनिमल सायंसज यूनिवर्सिटी में पशु पालन मेले के उद्घाटन मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान धान के विकल्प के तौर पर सूरजमुखी, दालें और मक्का जैसी फसलें बीजने के लिए तैयार हैं परन्तु केंद्र सरकार धान के बराबर लाभ के तौर पर इन फसलों पर लाभदायक मूल्य दे जिससे राज्य में पानी के संकट के मंडरा रहे बादल और गहरे न हों।

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भगवंत मान ने कहा कि हमारे किसान भी दिनों-दिन पानी के गिर रहे स्तर और धान की पराली के साथ दूषित होते वातावरण से बहुत चिंतित हैं परन्तु वे अपनी आमदन छिनने के डर से गेहूँ-धान के फसली चक्र में से बाहर नहीं निकल रहे। पंजाब की सोने जैसी धरती इतनी उपजाऊ है कि यहाँ कुछ भी बीजा हुआ अंकुरित हो जाता है। पानी के गंभीर संकट को हम अनदेखा नहीं कर सकते क्योंकि खाड़ी मुल्क अपनी धरती में से जितनी गहराई में से तेल निकाल रहे हैं, हम यहाँ उतनी गहराई में से पानी निकाल रहे हैं जो हमारे लिए खतरे की घंटी है। चावल पंजाबियों की मुख्य खुराक नहीं है परन्तु एक किलो चावल पैदा करने के लिए 4000 लीटर तक पानी की खपत की जा रही है जिस कारण हमें अन्य फसलें अपनानी ही पड़ेंगी।

डेयरी धंधे को और प्रफुल्लित करने के लिए वेरका का विस्तार करने का ऐलान

मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि एक-दो दिन में पराली की समस्या के लिए बड़ा फैसला लिया जा रहा है जिससे धान की फसल काटने के बाद पराली को आग लाने से पैदा होती समस्या से छुटकारा पाया जा सके। उन्होंने कहा कि वास्तव में तो केंद्र सरकार को पराली का उपयुक्त प्रबंध करना चाहिए क्योंकि पंजाब के किसान देश के लिए चावल पैदा करते हैं। उन्होंने कहा कि चावल तो केंद्र के भंडार में चला जाता है परन्तु पराली जलाने के मौके पर किसानों पर सख्ती करने के लिए राज्य को कह दिया जाता। डेयरी धंधे को और प्रफुल्लित करने के लिए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार वेरका का और विस्तार कर रही है क्योंकि वेरका के उत्पाद पूरे दुनिया में मशहूर हैं जिस कारण किसानों की आमदन में और विस्तार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पठानकोट की लीची और अबोहर के किनूं का सही मंडीकरण भी किया जाएगा जिससे उत्पादकों को और वित्तीय लाभ मिले।

इस मौके पर कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने खेती में पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी की अह्म योगदान पर रौशनी डालते हुए किसानों को इस यूनिवर्सिटी से समय- समय पर मार्गदर्शन लेते रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि सरकार के अदारे पनसीड की तरफ से गेहूँ का मानक बीज किसानों को मुहैया करवाया जाएगा जिससे फसल की अधिक से अधिक पैदावार ली जा सके। उन्होंने किसानों को इस बार पराली न जलाने की अपील करते हुए कहा कि सरकार जल्द ही इस समस्या का ठोस हल निकाल रही है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने प्रगतिशील किसानों को उनके खेती क्षेत्र में विलक्षण योगदान के लिए सम्मानित किया। पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के उप कुलपति डॉ. सतबीर सिंह गोसल और गुरु अंगद देव वैटरनरी एंड एनिमल सायंसज यूनिवर्सिटी के उप कुलपति डॉ. इन्द्रजीत सिंह ने मुख्यमंत्री का सम्मान किया।

किसानों ने सीएम के खिलाफ किया रोष प्रदर्शन

किसान मेले में जहां कई किसान मेला देखने के लिए उत्साहित नजर आए। वहीं कुछ किसानों ने सीएम ागवंत सिंह मान के खिलाफ रोष प्रदर्शन भी किया। किसानों का कहना था कि जब मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान मेले में पहुंचे है तो किसानों को बाहर क्यों रोका गया। किसानों को मेले में दाखिल नहीं होने दिया गया जिस कारण किसानों ने आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के खिलाफ नारेबाजी भी की। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के मेला स्थल से जाने के बाद किसानों को मेले में दाखिल होने दिया गया। वास्तव में मुख्यमंत्री की सुरक्षा को लेकर भारी संख्या में तैनात पुलिस बलों ने मुख्यमंत्री के पंडाल में पहुंचने पर किसानों को बाहर रोक दिया। जिससे किसान खफा नजर आए और उन्होंने सीएम के खिलाफ विरोध दर्ज करवाते हुए नारेबाजी की।

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