पीयू में पक्का मोर्चा चौथे दिन में शामिल, ग्रांट जारी करने के लिखित भरोसे पर अड़े विद्यार्थी

पंजाबी यूनीवर्सिटी में निकाला रोष मार्च, सरकार के खिलाफ की नारेबाजी

  • साल 2022-23 में सरकार की ग्रांट से खर्च का हिस्सा सिर्फ 42.2 फीसदी: नेता

पटियाला। (सच कहूँँ/खुशवीर सिंह तूर) पंजाबी यूनीवर्सिटी की ग्रांट में की गई कटौती के बाद पंजाबी यूनीवर्सिटी में शुरू हुआ दिन-रात का पक्का मोर्चा वीरवार को चौथे दिन में शामिल हो गया है। आज पंजाबी यूनीवर्सिटी पटियाला के विद्यार्थियों, अध्यापकों व कर्मचारी संगठनों ने ग्रांट घटाने के मुद्दे के तहत यूनीवर्सिटी में रोष मार्च निकाला। इस मौके मोर्च के नेताओं ने रोष प्रकट किया कि चार दिन बीत जाने के बाद भी पंजाब सरकार द्वारा मोर्चे के साथ कोई बात नहीं की गई है, जो यह दर्शाता है कि पंजाब सरकार शिक्षा के मुद्दे व पंजाबी यूनीवर्सिटी को लेकर गंभीर नहीं है। विद्यार्थी नेताओं अमनदीप सिंह ख्योवाली, पूटा नेता डॉ. निशान सिंह व डॉ. राजदीप सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा यूनीवर्सिटी में अधिक भर्तियों की दलील देकर लोगों को गुमराह करना है।

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आंकड़ों से स्पष्ट है कि 1990-91 में यूनीवर्सिटी की कुल आमदन में फीसों का हिस्सा 9.05 फीसदी था व सरकार की ग्रांट से यूनीवर्सिटी के खर्च में हिस्सा 88.63 फीसदी था। साल 2022-2023 में विद्यार्थियों की फीसों से आमदन 42.2 फीसदी है जबकि पंजाब सरकार की ग्रांट से खर्च यूनीवर्सिटी का हिस्सा सिर्फ 42.2 फीसदी ही रह गया है। इससे स्पष्ट है कि सरकार लगातार अपनी जिम्मेवारी से दूर हो रही है। नेताओं ने कहा कि मोर्चा सिर्फ आर्थिक पक्ष की लड़ाई ही नहीं लड़ रहा, इसका असल मकसद कार्पोरेटी नीतियों के तहत गैट्स जैसे समझौतों में शिक्षा को व्यापारिक वस्तू बनाने के खिलाफ है। नेताओं रसपिन्दर जिंमी, वरिन्दर खुराना व गुरप्रीत सिंह ने कहा कि असल सवाल शिक्षा की जिम्मेवारी तय करने की है।

इस कारण पंजाब सरकार द्वारा सार्वजनिक विभागों को संभालना व प्रफुल्लित करना अहम जिम्मेवारी है। उन्होंने कहा कि जिनता समय सरकार द्वारा नीतिगत फैसले के तहत 150 करोड़ का कर्ज माफ नहीं किया जाता व पूरा बजट जारी करने का लिखित नोटीफिकेशन जारी नहीं किया जाता, उतने समय तक मोर्चा जारी रहेगा। सरकार द्वारा अगर जल्द यह फैसले नहीं किए गए तो संघर्ष और तेज किया जाएगा। इस मौके अमृतपाल सिंह, डॉ सुखजिन्दर बुट्टर, हरदीप शर्मा, हरप्रीत सिंह, मनोज भांबरी, पुसपिन्दर बराड़, सुखविन्दर सहित अन्य विद्यार्थी मौजूद थे।

जनवरी व फरवरी महीने का नहीं हुआ वेतन नसीब

पंजाबी यूनीवर्सिटी का हाल यह है कि कर्मचारियों को जनवरी व फरवरी महीने का अभी तक वेतन नहीं मिला है जबकि मार्च महीना भी आधा बीत चुका है। यूनीवर्सिटी के सिर चढ़ा कर्ज व अन्य देनदारियां यूनीवर्सिटी की हालत और नाजुक कर रही हैं। नेताओं का कहना है कि कर्मचारियों में अपने भविष्य को लेकर डर पाया जा रहा है। सरकार सिर्फ बातों में ही यूनीवर्सिटी को ग्रांट की कमी न रहने की बात कह रही है, जिसपर मोेर्च को कोई विश्वास नहीं है।

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