राजस्थान सीएम का दिखा नया रंग, नया रूप! जानकर आप भी रह जाओगे दंग

Bhajan Lal Sharma
राजस्थान सीएम का दिखा नया रंग, नया रूप! जानकर आप भी रह जाओगे दंग

‘फूल चमन में खिलते हैं, हम सदन में मिलते हैं’… | Bhajan Lal Sharma

जयपुर। मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने विधानसभा में वित्त एवं विनियोग विधेयक चर्चा पर प्रत्युत्तर के दौरान शेरो-शायरी, कविता, गीत की पंक्तियों से लेकर महापुरूषों के कथन, श्रीमद्भगवत गीता के श्लोक का उल्लेख किया –

विधानसभा में कविताओं व शेरो-शायरियों से दिया विपक्ष को जवाब | Bhajan Lal Sharma

1. हमसे बैर रखो या ना रखो, ये आपकी है मर्जी
लेकिन जनहित के कार्यों में सहयोग करो, ये हमारी है अर्जी।

2. कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी की पंक्तियां-
‘‘सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है।
शूरमा नहीं विचलित होते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।
मुख से न कभी उफ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं।
जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं।

3. पुराने गीत का अंश-
‘‘चाहे दिन हो चाहे रैना।
बस नोट गिनते रहना।
…………. मचाये शोर।।‘‘

4. स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक का कथन-
महान उपलब्धियां कभी भी आसानी से नहीं मिलती
और आसानी से मिली उपलब्धियां महान नहीं होती।

5. श्रीमद्भगवत गीता के तीसरे अध्याय का 19वां श्लोक –
‘‘तस्माद्सक्तः सततं कार्य कर्मसमाचर।
असक्तो ह्यारन्कर्म परमाप्नोति पुरूषः।।‘‘

अर्थात् ‘‘आसक्ति का परित्याग करके कर्तव्य समझकर कर्म करना चाहिये क्योंकि फल की आसक्ति किये बिना कर्म करने से व्यक्ति परम लक्ष्य को प्राप्त करता है।‘‘

6. ‘‘फूल चमन में खिलते हैं।
हम सदन में मिलते हैं।
फूलों के होने से,
चमन खिलता है।
हम सबके होने से,
सदन चलता है।
फूलों का रूठ जाना,
चमन को वीरान करता है।
हमारा रूठ जाना,
सदन को उदास करता है।
फूल खिलते रहें,
तो चमन आबाद है।
हम मिलते रहे,
तो ये सदन शाद है।
फूलों में और हममें,
बस इतना ही फर्क है…
फूल बायकॉट नहीं करते।
चमन छोड़ कर,
बाहर नहीं जाते।
वो चमन की गरिमा को,
ठेस नहीं पहुँचाते।
फूल फूल से नाराज हो,
पर चमन को नहीं छोड़ता।
हम सबसे पहले
सदन छोड़ते हैं।
मर्यादाएं तोड़ते हैं।
क्या सही है क्या गलत
हम नहीं देख पाते हैं,
एक दूसरे की नाराजगी में,
सदन ही छोड़ जाते हैं।
शादी में नाराज फूफा,
शादी नहीं रूकवाता है।
उसकी नाराजगी भी चलती है,
शादी भी चलती है।
पर यहाँ,
नाराज फूफा, मामा, मौसी
सदन नहीं चलने देते।
जैसे कोई नाराज बाराती,
शादी बिगाड़ डाले।
जैसे कोई गुस्से में आया फूल,
चमन उजाड़ डाले।
क्या भाई भाई से गुस्सा हो,
घर छोड़ देता है?
घर की चीजें, कुर्सी टेबल
तोड़ फोड़ देता है?
क्या नाराजगी से
सुबह शाम रूक जाते हैं?
घर के रोजमर्रा के
सारे काम रूक जाते हैं?
नहीं, ऐसा नहीं होता।
काम होते रहते हैं,
चमन खिलता रहता है,
ऐसे ही,
कोई रूठे नाराज हों,
पर सदन चलना चाहिए।
कार्यवाही होनी चाहिए।
गरिमा बनी रहनी चाहिए।
गलतियां कह लो,
कहलवा लो।
सॉरी की बात हो तो,
बोल लो, बुलवा लो।
पर घर तो मत छोड़ो…
सदन से तो न जाओ…
चमन को तो मत भूलों…

प्यार से, प्रेम से, स्नेह से
बनाओ प्रेम रंगोली, आप
सबको मेरी तरफ से
हैप्पी वाली होली।’’

7. मुख्यमंत्री ने इस दौरान ’जैसी दृष्टि-वैसी सृष्टि’, ’नाच न जाने आंगन टेढ़ा’, ’देर आए दुरस्त आए’, ’अधजल गगरी छलकत जाय’ जैसे मुहावरों एवं लोकोक्तियों का भी जिक्र किया। Bhajan Lal Sharma

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